2009-06-15 16:49:09

ब्रिक चार अहम देशों के बीच सहयोग मजबूत करना जरूरी

दोस्तो , ब्रिक चार अहम देशों की शिखर वार्ता 16 जून को रुस के येकतरिंगबर्ग शहर में हो रही है । विश्व वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि तले ब्राजिल , रुस , भारत और चीन इन चार प्रमुख नवोदित आर्थिक समुदायों के नेता प्रथम बार एकत्र होकर वर्तमान विश्व आर्थिक स्थिति समेत भारी अंतर्राष्ट्रीय सवालों पर विचारों का आदान प्रदान करेंगे । भारत के विभिन्न जगतों का ध्यान इस बात पर गया हुआ है । भारतीय शांति व मुठभेड़ अनुसंधान प्रतिष्ठान के अनुसंधानकर्ता व चीनी सवाल विशेषज्ञ याकुब ने हाल ही में मौजूदा शिखर वार्ता के महत्व और चार देशों के सहयोग आदि सवालों को लेकर भारत स्थित हमारे संवाददाताओं के साथ बातचीत की । 

यह शिखर वार्ता नयी भारतीय सरकार की स्थापना के बाद भारत व चीन दोनों देशों के शास्नाध्यक्षों की प्रथम भेंट और ब्रिक चार अहम देशों की प्रथम विधिवत शिखर वार्ता होगी । मौजूदा शिखर वार्ता में विभिन्न देशों के नेता विश्व वित्तीय संकट समेत व्यापक सवालों पर वार्ता करेंगे और फलदायक परिणाम प्राप्त कर लेंगे । साथ ही शिखर वार्ता के आयोजन से अंतर्राष्ट्रीय मामलों में ब्रिक चार अहम देशों का महत्वपूर्ण स्थान साबित होगा ।

श्री याकुब ने बातचीत में सब से पहले भारत के विभिन्न जगतों के मौजूदा शिखर वार्ता को महत्व देने के कारणों पर प्रकाश डाला । उन का विचार है कि ब्रिक की धारणा 2001 में चर्चित होने लगी है , तब से लेकर अब तक हालांकि इन चार देशों के आर्थिक विकास में ध्यानाकर्षक उपलब्धियां हासिल हुई हैं , पर राजनीतिक क्षेत्र में सहयोग फिर भी बहुत सीमित है , अंतर्राष्ट्रीय मामलों में उन का स्थान व प्रभाव आर्थिक विकास की गति से मेल नहीं खाता है । 

चीन , भारत, ब्राजिल और रूस ये चार देश अहम प्रभावशाली बड़े देश तो हैं , लेकिन उन के द्विपक्षीय संबंध पश्चिम के साथ संबंध जितने घनिष्ठ नहीं हैं । वास्तव में यदि ये चार देश आपसी सहयोग बढ़ाकर भारी मसलों पर एक ही आवाज उठायेंगे , तो वे दूसरे देशों व विश्व मामलात पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल देंगे ।

श्री याकुब ने आगे कहा ब्रिक चार देश विश्व में महत्वपूर्ण देश हैं और विश्व मामलात में उन का बड़ा प्रभाव भी है , अतः उन के बीच इसी प्रकार की वार्ता का आयोजन अत्यावश्यक है । चीन और भारत कुछ सवालों पर पश्चिम के दबाव से प्रभावित हुए हैं , इसलिये भारत व चीन दोनों देशों के बीच और अधिक द्विपक्षीय सलाह मशविरा करने की सख्त जरूरत है ।

श्री याकुब ने जोर देकर कहा कि वर्तमान विश्व के चार आशाजनक नवोदित आर्थिक समुदाय होने के नाते इन चार देशों की अपनी अपनी श्रेष्ठता है । मसलन चीन की समग्र श्रेष्ठता , ब्राजिन व रूस के समृद्ध साधन स्रोत और भारत की सोफ्ट वेयर तकनीक सब से चर्चित हैं , इसलिये चार देशों के सहयोग की बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं । श्री याकुब ने खास कर जताया कि हालांकि चार देशों , विशेषकर चीन व भारत के बीच कुछ सवालों में भिन्न भिन्न दृष्टिकोण मौजूद हैं , पर ये मतभेद द्विपक्षीय सहयोग के लिये बाधित नहीं हैं । 

भारत व चीन दोनों बड़े देश हैं और अपने अपने हित का ख्याल रखते हैं , दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्द्धाओं की मौजूदगी स्वाभाविक है , पर सहयोग भारत व चीन के बीच प्रमुख धारा है । ये दोनों देश बड़े जिम्मेदाराना देश हैं , दोनों देशों के संबंधों का भविष्य आशाप्रद है ।

असल में चीन व भारत समेत चार देशों के बीच बहुत से अंतर्राष्ट्रीय मामलों में समान हित मौजूद हैं और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग बरकरार रहा है । ब्रिक चार देशों की शिखर वार्ता से पहले भारतीय मीडिया का आम विचार है कि सामूहिक कार्यवाहियों के जरिये वर्तमान विश्व वित्तीय संकट का कैसे मुकाबला करना मौजूदा शिखर वार्ता का प्रमुख चर्चित विषय होगा । जिन में कार्यांवित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था का सुधार , अमरीकी डालर के अंतर्राष्ट्रीय रिजर्व मुद्रा स्थान पर विचार विमर्श भी शामिल हैं । इस बात की चर्चा में श्री याकुब ने कहा कि चार देशों के लिये यह जरूरी है कि वस्तुगत व स्पष्ट रूप से अपनी अपनी विकास स्थिति को समझा जाये और इन चार देशों के संबंधों के सामने खड़ी चुनौतियों को समन्वित किया जाये ।

श्री याकुब का मानना है कि एक बार का शिखर सम्मेलन सभी सवालों का समाधान नहीं कर सकता , इस क्षेत्र में ब्रिक चार देशों को और लम्बा रास्ता तय करना है ।ब्राजिल , रुस , भारत व चीन विश्व अर्थतंत्र व राजनीति पर क्या प्रभाव डालेंगे , चार देशों के बीच भावी सम्पर्क व सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है ।