2009-06-12 18:15:23

भारत के अर्थतंत्र का परिचय

इधर के वर्षों में भारत में तेज़ आर्थिक विकास हुआ है। अनेक वर्षों से भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9 प्रतिशत पर बरकरार है, जिसे दुनिया में भारतीय अचंभा माना जा रहा है। वर्ष 2007 में भारत दुनिया का 12वां ऐसा देश बन गया, जिस की जी डी पी 10 खरब अमरीकी डॉलर को पार कर गयी।

भारत की आर्थिक वृद्धि की प्रमुख प्रेरणा शक्ति सेवा उद्योग से आयी है, जो भारत की कुल अर्थ के आधे से ज्यादा है। भारत में सूचना तकनीक उद्योग उल्लेखनीय है। भारत दुनिया का दूसरा बड़ा सॉफ्टवेयर निर्यात देश है और दुनिया का सब से प्रमुख सूचना सेवा उद्योग का उत्पादन देश है।

लेकिन, विश्वव्यापी वित्तीय संकट से भारत में अनेक वर्षों की तेज़ आर्थिक वृद्धि दर में कमी आयी है। वर्ष 2008 की चौथी तिमाही में भारत की जी डी पी की वृद्धि दर 5.3 दर्ज हुई। विश्व आर्थिक मंदी के प्रभाव से भारत की निर्यात स्थिति भी बिगड़ी। इस वर्ष के अप्रैल माह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन ने वर्ष 2009 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत से 4.5 प्रतिशत तक पूर्व आंका है।

विश्वव्यापी वित्तीय संकट के निर्यात पर लगे धक्के से निजात पाने के लिए भारत ने निर्यात के लिए सिलसिलेवार नये कदमों की घोषणा की। अब ये कदम प्रभावी होने लगे हैं। इधर के दिनों में भारत के मुम्बई स्टॉक बाजार में समग्र सूचकांक में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और भारत के अर्थतंत्र का पुनरुत्थान होने लगा है।

भारत की नयी सरकार ने कहा कि भारत के अर्थतंत्र की रक्षा करके अपने देश के अर्थतंत्र को प्रेरित करना और आर्थिक पुनरुत्थान को साकार करना नयी सरकार का सर्वप्रथम मिशन है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत संभवतः सब से पहले वित्तीय संकट की छाया से बाहर आने वाली महत्वपूर्ण आर्थिक इकाइयों में से एक बनेगा। (श्याओयांग)