2009-06-10 17:23:11

चीनी विश्वविद्यालयों को शिक्षा में रोजगारी के प्रशिक्षण पर बल देना चाहिए

चीनी समाज विज्ञान अकादमी ने 10 जून को चीन में विश्वविद्यालय छात्रों के रोजगारी सवाल के बारे में एक रिपोर्ट जारी की, जिस में कहा गया है कि अब तक विश्वविद्यालय के वर्तमान सत्र के स्नातक छात्रों की रोजगारी दर पिछले साल की तुलना में गिर पड़ी । आर्थिक विकास पर वित्तीय संकट के असर को देखते हुए विशेषज्ञों ने यह राय दी है कि बहुरूपों से विश्वविद्यालय छात्रों की रोजगारी समस्या का समाधान किया जाना चाहिए ।

चीनी शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल चीन में विश्वविद्यालय के 61 लाख 10 हजार स्नातक हुए हैं, जो पिछले साल से 5 लाख अधिक हैं। चीनी मानव संसाधन व सामाजिक प्रतिभूति मंत्रालय के अधिकारी ने हाल ही में कहा कि अब तक नए स्नातक हुए छात्रों में से केवल 45 प्रतिशत लोगों ने रोजगार के लिए अनुबंध संपन्न किए हैं यानी 27 लाख 50 हजार स्नातक छात्रों को अब रोजगार मिला है, यह दर पिछले साल से 3 प्रतिशत कम है।

चीनी समाज विज्ञान अकादमी की ताजा रिपोर्ट में माना गया है कि विश्वविद्यालय छात्रों को मुश्किल से रोजगार मिलने के कारण में स्नातक छात्रों की संख्या अधिक होना, पढाई विषयों की संरचना में असंतोलन तथा पाठ पर ज्यादा ध्यान देना शामिल हैं, जिस से छात्रों की बहुमुखी गुणवत्ता और कामकाज की क्षमता ऊंची नहीं है।

पेइचिंग साइंस व तकनौलोजी विश्वविद्यालय के उच्च शिक्षा अध्ययन प्रतिष्ठान के प्रधान श्री यांग तुंगफिंग ने कहा कि चीनी विश्वविद्यालयों में अन्डर ग्रेजुएड छात्रों को रोजगारी की शिक्षा कम दी जाती है, जिस से उन की रोजगार पाने की क्षमता नीची हो गयी है। उन्हों ने कहाः

वर्तमान में हम केवल स्नातक छात्रों को रोजगारी के बारे में शिक्षा देते हैं, यह बिलकुल अपर्याप्त है, हमें छात्रों के दाखिला समय से ही उन्हें अपने करियर की योजना बनाने की शिक्षा देना चाहिए, उन्हें सामाजिक काम में भाग लेने तथा विभिन्न व्यवसायों के बारे में जानकारी पाने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए, ताकि वे अपने करियर के विकास के लिए सही दिशा चुन सकें।

समाज विज्ञान अकादमी की रिपोर्ट से जाहिर है कि विश्वविद्यालय छात्रों के रोजगार में दिक्कत होने के विपरित अब चीन में व्यवसाय शिक्षा से स्नातकों की रोजगारी दर ऊंची हो गयी है। शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि 2005 से यह रूझान बना रहा है । लेकिन चीन में हर सौ स्कूली छात्रों में से केवल 18 छात्र आगे व्यवसाय शिक्षा चुनते हैं, जबकि जर्मनी और भारत में यह संख्या क्रमशः 30 और 56 है।

शिक्षा विशेषज्ञ श्री यांग तुंगफिंग का मत है कि चीन में प्रतिभाशाली लोगों के अतिशय होने का सवाल नहीं है। चीन में परम्परागत मान्यता और शिक्षा के फार्मुने की समस्या मौजूद है। महज विश्वविद्यालय छोत्रों को अच्छी रोजगारी मिल सकने की मान्यता तोड़ी जानी चाहिए । उन्हों ने कहाः

समाज को व्यवसाय शिक्षा और अन्य शिक्षा को जोड़ देने के लिए अनुकूल स्थिति तैयार करना चाहिए और विश्वविद्यालय में व्यवहारिक काम की क्षमता तैयार करने पर बल देना चाहिए।

चीन सरकार ने स्वःरोगगार पर बल देने की नीति बनायी है । लेकिन समाज विज्ञान अकादमी की रिपोर्ट से पता है कि अब चीनी विश्वविद्यालय छात्रों की स्वःरोजगारी की दर केवल 1 फीसदी है, जो कुछ देशों की 20 से 30 तक की दर से कहीं नीची है। इसलिए विभिन्न स्थानों में अब स्वः रोजगार के लिए उदार कर्ज देने की नीति लागू की गयी। श्री यांग तुंग फिंग ने कहा कि स्वःरोजगारी की शिक्षा स्कूल में शुरू की जानी चाहिए।

चीनी मानव संसाधन व सामाजिक प्रतिभूति मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि मौजूदा सत्र के स्नातक छात्रों की रोजगार दर स्कूल को छोड़ने से पहले ही 70 प्रतिशत बनाने की कोशिश है । इस पर चीनी रोजगारी संवर्धन केन्द्र के उपाध्यक्ष श्री छन यु ने कहा कि रोगजार की समस्या एक कदम से हल नहीं हो सकेगी और चीनी विश्वविद्यालय छात्रों के लिए मझोले व छोटे कारोबारों में करियर का विकास करना चाहिए। उन्हों ने कहाः

केन्द्र सरकार ने छात्रों को बुनियादी स्तरीय संस्थाओं में काम करने जाने के लिए प्रोत्साहन देने की नीति लागू की है । जैसा कि वे गांव में अधिकारी तथा शहरी समुदायिक बस्ती में सहायक अधिकारी के लिए जा सकते हैं और निजी कारोबारों व मझोले छोटे कारोबारों में नौकरी ले सकते हैं।

आर्थिक मंदी से चीन में छात्रों के लिए रोजगार की समस्या पैदा हुई. लेकिन इस से चीनी उच्च शिक्षा के प्रतीभा प्रशिक्षण के फार्मुले में परिवर्तन को बल मिलेगा और चीनी मानव संसाधन की श्रेष्ठता का विकास भी संभव होगा।