2009-06-09 16:50:05

पिछले 30 वर्षों में तिब्बत में आया परिवर्तन बड़ा है

तीस साल पहले ट्रैक्टर पहली बार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के गांव में आया और तिब्बती लोगों ने इसे आश्चर्य से देखा । लेकिन आज परम्परागत खेती करने के तरीके का स्थान ट्रैक्टर और फ़सल काटने की मशीन आदि उपकरणों ने ले लिया है । अधिकांश किसानों व चरवाहों का"सूर्योदय में काम करना और सूर्यास्त में आराम करना"वाला परम्परागत जीवन तरीका भी बदल गया है, किसानों व चरवाहों के लिए ट्रैक्टर व ट्रक खरीदना साधारण बात बन गई है ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कृषि व पशुपालन विभाग के उप प्रधान श्री लिन मू ने जानकारी देते हुए कहा कि इधर के पांच सालों में स्वायत्त प्रदेश ने एक अरब य्वान की पूंजी लगाकर 173 विशेष कृषि व पशुपालन उद्योग परियोजनाओं के विकास का समर्थन किया है। उन्होंने कहा:

"विशेष कृषि व पशुपालन उद्योग विकास क्षेत्र प्रारंभिक तौर पर कायम हुआ है, जहां क्षेत्रीकरण ढांचा, पैशेवर उत्पादन, औद्योगिकीकरण विकास आदि प्रारंभिक रूप बन गया है। इस क्षेत्र में देश का भत्ता, नागरिकों की पूंजी और कारोबारों की भागीदारी वाली व्यवस्था कायम हुई है। विशेष कृषि व पशुपालन उद्योग का विकास और कृषि व पशुपालन उद्योग के ढांचे के परिवर्तन को आगे बढ़ाना हमारे स्वायत्त प्रदेश की विभिन्न स्तरीय जन सरकारों और व्यापक किसानों व चरवाहों का समान विचार बन गया है।"

सुधार व खुले द्वार की नीति लागू की जाने के पिछले 30 वर्षों में तिब्बत का आर्थिक व सामाजिक विकास तेज़ गति से हो रहा है । इस के चलते तिब्बती शहरों व कस्बों के नागरिकों की आय लगातार बढ़ रही है और उन का जीवन स्तर उन्नत हो रहा है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांख्यकी ब्यूरो के आंकड़ों से पता चला है कि वर्ष 2007 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शहरों व कस्बों के नागरिकों की औसतन आय तथा किसानों व चरवाहों की शुद्ध आय अलग-अलग तौर पर 11131 य्वान और 2788 य्वान थी, जो वर्ष 1978 की तुलना में अलग-अलग तौर पर 10566 और 2613 य्वान बढ़ी है ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक विज्ञान अकादमी के ग्रामीण अर्थतंत्र अनुसंधान केंद्र के उप निदेशक श्री तोछिंग ने कहा कि तिब्बत में ग्रामीण पर्यटन, जातीय हस्त उद्योग, नीजिगत परिवहन, मशरूम इक्ट्ठा करने का उद्योग आदि गैर कृषि उद्योग का तेज़ विकास हो रहा है , श्रमिक आय किसानों व चरवाहों की नकद आय का महत्वपूर्ण भाग बन गया है। उन्होंने कहा:

"देश ने किसानों व चरवाहों के प्रचलन क्षेत्र में प्रवेश के उत्साहन वाली नीति अपनाई है, इस तरह तिब्बती नागरिकों की व्यापार करने की विचारधारा दिन ब दिन बढ़ रही है । तिब्बती किसान व चरवाहे विभिन्न स्थलों में वाणिज्यिक उद्योग में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं । 2008 में सारे प्रदेश के कृषि व पशुपालन क्षेत्रों में औद्योगिक व वाणिज्यिक व्यापारियों की संख्या 78 हज़ार थी, इस क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों की संख्या अब एक लाख 70 हज़ार है।"

श्री तोछिंग ने कहा कि पहले तिब्बती लोग"खूब खाने और पर्याप्त कपड़े पहनने"पर ज्यादा ध्यान देते थे । लेकिन आज उन का जीवन स्तर लगातार उन्नत हो रहा है । इस तरह तिब्बती नागरिक जीवन की गुणवत्ता का अधिक ख्याल रखते हैं । इस के साथ ही चिकित्सा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में तिब्बती नागरिकों का खर्च भी निरंतर बढ़ रहा है ।

सुधार व खुले द्वार की नीति लागू की जाने के पिछले 30 वर्षों में तिब्बत के स्वास्थ्य कार्य का लगातार विकास हुआ है । बुनियादी तौर पर ल्हासा को केंद्र बनाकर सारे प्रदेश के विभिन्न शहरों व कस्बों को शामिल करने वाला चिकित्सा व स्वास्थ्य जाल बन चुका है । प्रारंभिक तौर पर तिब्बत में सिर्फ़ तीन तिब्बती चिकित्सा संस्थाएं थीं, लेकिन अब सारे प्रदेश में विभिन्न प्रकार की चिकित्सा संस्थाओं की संख्या 7127 है । वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सभी किसान व चरवाहे मुफ्त इलाज के आधार पर चिकित्सा व्यवस्था का उपभोग कर करे हैं ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के स्वास्थ्य ब्यूरो के बुनियादी स्तरीय स्वास्थ्य व महिला बाल स्वास्थ्य विभाग के निदेशक श्री वांग च्येनफङ ने कहा:

"वर्ष 2007 में तिब्बत के कृषि व पशुपालन क्षेत्र में प्रति व्यक्ति हर वर्ष 110 य्वान की राशि जुटायी थी, जिस में केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई 85 य्वान शामिल थे । यह हमारे सारे प्रदेश के कुल किसान व चरवाहा चिकित्सा कोष का 77 प्रतिशत बनता है । यह स्तर देश के औसतन स्तर से ज्यादा है । अब तक हमारी चिकित्सा व्यवस्था का सारे प्रदेश के सभी किसान व चरवाहे उपभोग करते हैं ।"

सुधार व खुले द्वार की नीति लागू की जानेके पिछले तीस वर्षों में तिब्बती जनता का जीवन साल ब साल अच्छा हो रहा है । हमें विश्वास है कि भविष्य में उन का जीवन और सुखी होगा ।