नयी चीन की स्थापना के बाद तिब्बत के पोटाला महल का किया गया दूसरी बार का बड़े पैमाने वाला सुधार वर्तमान में अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर गया है। और इस वर्ष के अंत में चतुर्मुखी तौर पर खत्म होने की संभावना होगी। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत ब्यूरो से मिली खबर के अनुसार इस सुधार में लगायी गयी वास्तविक पूंजी आरंभिक बजट को पार कर 20 करोड़ 50 लाख य्वान तक पहुंच गयी।
वर्ष 2002 में पोटाला महल का दूसरा सुधार औपचारिक रूप से शुरू हुआ। उस समय देश ने 17 करोड़ य्वान की पूंजी लगाने की योजना बनाई थी। पर सुधार के गहन होने के साथ-साथ नये मामले लगातार मौजूद हुए, और इंजीनियरिंग कार्य भी ज्यादा अधिक हो गया। वर्ष 2008 के जून में देश ने और ज्यादी पूंजी लगायी, जिस की कुल रकम 20 करोड़ 50 लाख य्वान तक पहुंच गयी।
पोटाला महल का सुधार केंद्र सरकार द्वारा तिब्बत में किये गये सांस्कृतिक विरासतों के बड़े सुधार वाले इंजीनियरिंग कामों में से एक है। बाकी नोर्बुलिंगका व साक्या मंदिर का सुधार है। उन तीन सांस्कृतिक विरासतों के सुधार में अब तक वास्तविक 38 करोड़ य्वान की पूंजी लगायी जा चुकी है।(चंद्रिमा)