नामसे गांव में पहले सिर्फ 8 परिवारों के 27 व्यक्ति रहते थे । गांववासी मुख्य तौर पर पहाड़ पर जा कर पेड काट कर जीवन निर्वाह करते थे। क्योंकि श्रम शक्ति कम थी ,गांववासियों के लिए खाना एक बडी समस्या रही । वे हर साल सरकार से अनाज राहत मांगते थे । वर्ष 1995 में बासुम प्राकृतिक पार्क का विकास शुरू हुआ । यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या साल ब साल बढती रही ।
पर्यटन उद्योग के विकास से नामसे वालों के लिए आम चीजें अचानक लोकप्रिय माल बन गयीं । पश्चिमी चीन के कान सू प्रांत से आये मा इन नो नामसे गांव में चार साल तक व्यापार कर चुके हैं । उन की सालाना आय 70 हजार य्वान और 80 हजार य्वान के बीच है । उन्होंने बताया: "इस क्षेत्र में विशेष स्थानीय वस्तुएं बहुत हैं । मै स्थानीय लोगों से उन वस्तुओं को खरीदता हूं और फिर बाहर से आये पर्यटकों को बेचता हूं ।"
पर्यटन उद्योग के विकास से नामसे गांव की प्रतिव्यक्ति सालाना आय वर्ष 2004 में दस हजार चीनी य्वान से अधिक हो गयी , इस तरह काउंटी में नामसे इतनी अधिक आय वाला प्रथम गांव बन गया । गांव की आबादी 27 से बढकर 90 से अधिक हो गयी ।
तिब्बत में नामसे जैसे गांवों की संख्या बहुत है । प्रचुर प्राकृतिक संसाधन के कारण पर्यटन उद्योग तिब्बत का स्तंभ उद्योग माना जाता है ।अब तिब्बत में लगभग 9 हजार परिवार पर्यटन से जुडे हैं । उन की सालाना आय 22 करोड जा पहुंची है ।
निंगची प्रिफेक्चर के पर्यटन ब्यूरो के उपनिदेशक ल्यू चैन ने बताया कि निंगची क्षेत्र का पारिस्थितिकी पर्यटन विकास प्रारंभिक दौर में है । विभिन्न दृश्य स्थलों के वैज्ञानिक विकास व प्रबंध के लिए अब तिब्बत के पर्यटन विकास की आम योजना , विभिन्न प्राकृतिक पार्कों की योजनाएं और विभिन्न कांउटियों की पर्यटन योजनाएं तय की गयी हैं । पारिस्थितिकी पर्यटन के विकास से तिब्बती जनता का जीवन और उन्नत होगा । उन्होंने बताया ,पर्यटन उद्योग के विकास से आम आदमियों को सब से अधिक लाभ मिला है । स्थानीय लोग पेड़ काटने को छोडकर पर्यटन पर निर्भर रह सकते हैं । पहले निंगची क्षेत्र में सिर्फ 1 या 2 दुकानें स्थानीय विशेष वस्तुएं बेचती थीं । अब सौ से ज्यादा ऐसी दुकानें हैं ।
पर्यटन विकास से स्थानीय पर्यावरण पर पड़ने वाले कुप्रभाव के बारे में निंगची प्रिफेक्चर के पर्यटन ब्यूरो के उपनिदेशक दाद्राक ल्हामो ने बताया कि पर्यटन विकास से ठोस लाभ प्राप्त करने वाले स्थानीय लोगों को पर्यावरण संरक्षण की चेतना है । वे दृश्य स्थलों में छोडे गया कचरा इकट्ठा करते हैं । इस के अलावा वन की सुरक्षा के लिए कई साल पहले गांवों में पर्यावरण संरक्षण टीमें स्थापित की गई थीं ।वे नियमित समय पर पहाडों पर जाकर गश्त लगाती हैं और पेड काटने व शिकार की चोरी की रोकथाम करती हैं । गांवों में मैथन गैस जल्द ही उपलब्ध होगी ।स्थानीय लोग साफ ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले है । गांववासियों को पता है कि उन की किस्मत पर्यावरण संरक्षण से जुडी हुई है । दाद्राक ल्हामो को वहां के पर्यावरण संरक्षण पर पक्का विश्वास है ।
वर्तमान में नामसे के नागरिक फिर स्थानांतरण करने के बारे में सोच रहे हैं ।वे आसपास के क्षेत्र में एक बडे गांव का निर्माण करना चाहते हैं । वे मौजूदा गांव व दुकानों को किराये पर बाहर सेआने वाले व्यापारियों को देना चाहते हैं । वे अधिक बडा व्यापार करना चाहते हैं । उन को विश्वास है कि इस स्थानांतरण से नामसे गांव और अधिक धनी बन जाएगा ।