2009-05-27 14:28:55

परंपरागत तकनीक व कला का विकास लोगों का ध्यानाकर्षक मुद्दा बन गया

टिन बर्तन बनाने वाले 80 वर्ष के बूढ़े ईन ये कन पूर्वी चीन के चेच्यांग प्रांत से आये हैं। उन्होंने 13 वर्ष की उम्र से ही अपने चाचा जी से टिन बर्तन बनाना सीखना शुरू कर दिया था। उन्हें टिन से विभिन्न प्रकार के विविध जानवर, चाय का डिब्बा, मोमबत्ती स्टैंड व मदिरा कटोरी आदि बनाना आता है। वे इस मुद्दे पर प्रांत स्तरीय प्रतिनिधि वारिस चुने गये हैं। अब वे लगातार हर दिन दस से ज्यादा घंटों तक टिन बर्तन बनाते हैं, और वे इससे आनन्द भी उठाते हैं। उन्होंने कहा कि, टिन बर्तन बनाने में मुझे बहुत खुशी होती है। मैं तरह-तरह के टिन बर्तन बना सकता हूं। यह एक आनन्द की बात है कि मैं अपना पसंदीदा काम कर रहा हूं। हर दिन मैं दस से ज्यादा घंटों तक टिन बर्तन बनाता हूं। हर सुबह चार या पांच बजे मैं उठता हूं। एक दिन में मैं केवल छह घंटे सोता हूं। मैं आम तौर पर मोमबत्ती स्टेंड, चाय का डिब्बा, फूल गमला आदि बनाता हूं। हमारी जगह हर लड़की की शादी के लिये दहेज के रूप में टिन बर्तनों की ज़रूरत है।

परंपरागत कला के उत्तराधिकारी कला से प्यार करते हैं। वे अपना पूरा दिल परंपरागत तकनीक व कला के अध्ययन में लगाते हैं जिससे परंपरागत तकनीक व कला का विकास होता है। स्याही से निर्मित चित्र की प्रतिलिपि बनाने वाली सुश्री लीन यू छिन तीस सालों से अपने काम में मग्न हैं। उन्होंने कहा कि, मैंने वर्ष 1972 से यह काम शुरू किया। अब 36 साल हो चुके हैं। मुझे यह काम बहुत पसंद है। और मेरी सारी जिन्दगी इसी में गुज़री है। मेरे लिये यह तकनीक एक आसान बात है, अजनबी महसूस नहीं होता। हर चित्र की प्रतिलिपि बनाने के बाद मुझे अच्छा लगता है।

प्रदर्शनी भवन में परंपरागत तकनीक व कला को देखकर बूढ़ों को पुराने समय की याद आयी, और युवाओं में दिलचस्पी जागी। पर सभी लोगों का मानना है कि परंपरागत तकनीक व कला की रक्षा करना बहुत जरुरी है, क्योंकि वे हमारे देश की सांस्कृतिक संपत्ति हैं। एक 19 वर्ष के लड़के वांग चो ने संवाददाता को कहा कि, लोक कला-वस्तुएं बहुत सुन्दर हैं, लेकिन बहुत मुश्किल व जटिल भी हैं। उन्हें बनाने के लिये बहुत समय चाहिए। हमें चीन की गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करनी चाहिए।

लेकिन विश्व के अन्य देशों की तरह आधुनिकीकरण व औद्योगिक सभ्यता के प्रभाव से चीन की परंपरागत तकनीक व कला का विकास भी मुश्किल से हो रहा है। बूढ़े कलाकार धीरे-धीरे से खत्म हो जाएंगे, और युवाओं को परंपरागत तकनीक व कला सीखने का बहुत शौक नहीं है। अभी तक बूढ़े इन ये कन व सुश्री लीन यू छिन का कोई शिष्य नहीं है। उन्होंने कई युवाओं को अपनी तकनीक सिखायी थी, लेकिन अंत में सभी शिष्य यह तकनीक छोड़कर अन्य काम करने लगे।

चीनी राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की रक्षा कार्य की विशेषज्ञ कमेटी के सदस्य श्री चू पेइ छू ने कहा कि परंपरागत तकनीक व कला को सीखने के लिए धीरज व योगदान करने की भावना होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान का समाज तेजी से बदल रहा है। इसलिये परंपरागत तकनीक व कला शायद आज के युवाओं के स्वभाव व इच्छा के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि, परंपरागत तकनीक व कला के लिए बड़ा धैर्य व योगदान करने की भावना होनी चाहिए। पुराने समय में कलाकार केवल पैसे कमाने के लिये यह काम नहीं करते थे, उन में बड़ा शौक और काम करने की भावना भी थी। वे अपने काम से प्यार करते थे। लेकिन आज के युवा यह नहीं समझ सकते। ध्यान रहे, खूब प्रचार-प्रसार के बाद अब जनता ने गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों से जुड़ी काफ़ी जानकारी प्राप्त कर ली है।

इस बार दसेक विभागों ने संयुक्त रूप से इस प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस का लक्ष्य है कि जनता को परंपरागत तकनीक व कला से जुड़ी और ज्यादा जानकारी प्राप्त हो सके। प्रदर्शनी के दौरान मंच का आयोजन किया गया। संबंधित विशेषज्ञों, विद्वानों, परंपरागत तकनीक व कला के वारिसों ने निमंत्रण पर मंच में भाग लेकर इस विषय पर विचार-विमर्श किया कि गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की रक्षा व उचित प्रयोग कैसे किया जाए, ताकि उन का अनवरत विकास हो सके।(चंद्रिमा)