वर्ष 1959 में दस लाख तिब्बती भूदासों को मुक्ति मिली, वे पहली बार सच्चे"मानव"बने ।
गेसांग छ्वूदा:"उस दिन लोगों ने जागीरदारों के साथ संपन्न असमानता वाले अनुबंध को आग लगाकर नष्ट कर दिया । भविष्य में जागीरदारों के शोषण से मुक्ति पा सकेंगे, इस से वे बड़े खुश थे ।"
50 साल में दस हजार से ज्यादा सूत्र चक्र घुमाए जाते हैं । रंगबिरंगे सूत्र झंडियां फहराती हैं, भविष्य के प्रति तिब्बती लोग आशाप्रद हैं।
लोसांग शानतान:"मैं बुजुर्गों की सेवा करने वाले घर में काम करता हूँ। छ्वु क्वो मठ में बुजुर्गों का घर बनाया गया है ।"
50 साल में तिब्बत के प्राचीन नृत्यों में नयी जीवंत शक्ति दिखाई पड़ रही है ।《राजा गैसर》गाने की आवाज़ और ऊंची हो रही है ।
चांग छिंगली:"भविष्य में हम योजनानुसार कदम ब कदम तिब्बत की सभी सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण कार्य को संपूर्ण करेंगे, ताकि ऐतिहासिक, रंगबिरंगी और परम्परागत तिब्बती संस्कृति को चिरस्थाई तौर पर सुरक्षित किया जा सके।"
50 साल में आगे बढ़ने के कदमों में ऐतिहासिक परिवर्तन दिखायी पड़ता है ।
काल्ज़ांग येशे:"जनवादी सुधार के बाद पचास साल बीत चुके हैं । इस दौरान तिब्बत में जमीन आसमान का परिवर्तन आया है ।"
उक्त वाक्यों से आप को पता होगा कि पिछले पचास वर्षों में चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में क्या-क्या परिवर्तन हुआ । इस लेख में तिब्बती में हुए परिवर्तन का परिचय दिया जाएगा, जिस का शिर्षक है"भारी परिवर्तन"।
आधी शताब्दी में तिब्बती समाज में जमीन आसमान का परिवर्तन आया है । सुविधापूर्ण यातायात, बेरोकटोक सूचना और आर्थिक विकास इत्यादि। तिब्बती जनता को ज्यादा से ज्यादा मौके मिल रहे हैं ।
59 वर्षीय तिब्बती बंधु जाम्पा डाइन्डा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाज़े प्रिफैक्चर का एक साधारण रिटायर अध्यापक है । चीन में सुधार व खुले द्वार की नीति लागू की जाने के बाद जाम्पा डाइन्डा ने चाय की एक दुकान खोली, जिस से होने वाली कमाई से वह अमीर बन गया । हाल में तिब्बती बंधु जाम्पा डाइन्डा ने और बड़ी योजना बनायी, वह शिकाजे में सब से बड़ा मदिरा कारखाना स्थापित करेगा और स्थानीय मशहूर तिब्बती शराब को भीतरी इलाके में पहुंचाएगा ।
शिकाज़े शहर तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का दूसरा बड़ा शहर है, जहां शराब बनाई जाती है । शिकाज़े में एक विशेष प्रकार की जौ से शराब बनायी जाती है, जो देश विदेश में बहुत मशहूर है । इस प्रकार की शराब प्राकृतिक चष्मे के पानी और शुद्ध अनाज को मिलाकर बनायी जाती है, जिस की विशेष महक और रहस्यमयी दवा जैसा परिणाम होता है । पुराने तिब्बत में इस प्रकार की शराब तिब्बती राजा और कुलिन लोगों के लिए बनाई जाती थी । इस प्रकार की शराब का और बड़ा बाज़ार खोलने के लिए जाम्पा डाइन्डा ने एक 4500 वर्गमीटर वाले शराब के कारखाने की स्थापना की । गत वर्ष इस कारखाने में उत्पादित शराब ने शांगहाई में आयोजित राष्ट्रीय पर्यटन उत्पाद प्रदर्शनी में भाग लिया और व्यापारियों व ग्राहकों ने इस का खूब स्वागत किया । इस की चर्चा में तिब्बती बंधु जाम्पा डाइन्डा ने कहा:
"शांगहाई में आयोजित उत्पाद सिफ़ारिश सभा में भाग लेने के बाद मेरा मोबाइल फोन बंद ही नहीं हो रहा था। सभी लोग मेरे कारखाने में उत्पादित शराब खरीदना चाहते थे। हर दिन मैं ने चार या पांच लाख य्वान की आय प्राप्त की । आज हमारे सामने सवाल मौजूद है कि भीतरी इलाके में शराब की मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन कारखाने की उत्पादन शक्ति कम है ।"
शराब की बिक्री अच्छी से अच्छी हो रही है । भविष्य में जाम्पा डाइन्डा की योजना है कि अधिक उपकरणों को खरीद कर शराब उत्पादन की क्षमता को उन्नत करेगा और पेशेवर तकनीकी कर्मचारियों को आमंत्रित करेगा । शराब की गुणवत्ता को बनाए रखने की पूर्व शर्त में परम्परागत उत्पादन तरीके से उत्पादन का आधुनिकीकी तरीका अपनाएगा । इस योजना को पूरा करने के लिए तिब्बती बधु जाम्पा ने डाइन्डा बैंक से 40 लाख य्वान का ऋण मांगा।
जाम्पा डाइन्डा का शराब कारखाना तिब्बत के आर्थिक विकास का एक छोटा सा भाग है । जनवादी सुधार किए जाने के समय तिब्बत में आधुनिक उद्योग न के बराबर थे । वर्तमान में तिब्बत में तिब्बती चिकित्सा, तिब्बती गलीचा , जातीय हस्त उद्योग समेत स्थानीय विशेषता वाली औद्योगिक व्यवस्था कायम हुई है और आधुनिक वाणिज्य, पर्यटन, डाक तार, खानपान सेवा, सांस्कृतिक मनोरंजन, आई.टी आदि नए व्यवसायों का तेज़ विकास हुआ है। आज तिब्बत के अर्थतंत्र, संस्कृति, सामाजिक जीवन और बुनियादी संस्थापन निर्माण आदि क्षेत्रों में दिन दोगुना रात चौगुना परिवर्तन हुआ है।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।