2009-05-22 16:16:51

चीन में फ्लू रोग पर हद से अधिक नियंत्रण की दलील का खंडन

इधर के कुछ दिनों में कुछ विदेशी अफसरों और मीडिया ने चीन पर यह आरोप लगाया है कि ए एच एक एन एक फ्लू की रोकथाम के लिए चीन ने हद से अधिक कड़ाई अपनायी है। इस दलील के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीन स्थित कार्यालय के प्रतिनिधि और संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने कहा कि फ्लू रोग की रोकथाम के लिए चीन ने जो कदम उठाए हैं, वह चीन की वास्तविक स्थिति से मेल खाता है और उचित व प्रभावकारी है । उन्हों ने कहा कि फ्लू पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाना अन्तरराष्ट्रीय समाज के प्रति जिम्मेदाराना रूख की अभिव्यक्ति है।

इस साल के अप्रैल से मैक्सिको और अमरीका आदि देशों में ए एच एक एन एक फ्लू का प्रकोप हुआ, अब तक विश्व के 40 से अधिक देशों व क्षेत्रों में इस के दस हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं, जिन में से 80 से अधिक मौत भी हुई। फ्लू रोग की गंभीर स्थिति के मुद्देनजर चीन सरकार ने विभिन्न प्रकार के रोग रोकथाम तरीके अपनाए ताकि फ्लू को चीन में फैलने से रोका जा सके। इन तरीकों में सीमा पोर्टों पर जांच, रोगियों को अलग कर रखते हुए इलाज और रोगी के साथ घनिष्ठ संपर्क में आए लोगों का मेडिकल निरीक्षण शामिल हैं । वर्तमान में चीन के भीतरी इलाके में पांच फ्लू मामले दर्ज हुए हैं जो सभी विदेश से आए हैं।

ए एच एक एन एक फ्लू की रोकथाम के लिए चीन ने जो कड़े कदम उठाए हैं, उस पर मैक्सिको और कनाडा आदि देशों की सरकारों व कुछ पश्चिमी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने असंतोष व्यक्त किया और कहा कि चीन के कदम हद से ज्यादा कड़े है।

उन के रूख को लेकर चीन स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यालय के प्रेस अफसर सुश्री विविन्एन छन ने कहा कि चीन के ये कदम चीन की स्थिति से मेल खाते हैं और उचित भी हैं। उन्हों ने कहाः

हर देश के सामने अलग समस्या है, हमारे विचार में चीन के कदम, खासकर फ्लू की रोकथाम के लिए उठाए गए तरीके बहुत अच्छे हैं, आम तौर पर बहुत ही उचित है। चीन में 5 फ्लू मामलों का पता चला है, इन पर चीन सरकार ने तेज गति से अच्छी प्रतिक्रिया की है। मामले का पता चलने के तुरंत बाद कदम उठाया गया और रोगी को अलगाव में रखकर उपचार करने का काम भी अत्यन्त शीघ्र और अच्छा है।

चीनी श्ये ह मेडिकल विश्वविद्यालय के सार्वजनिक स्वास्थ्य कालेज के कुलपति, सुप्रसिद्ध संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर ह्वांग च्यान शी ने कहा कि चीन एक घनी जनसंख्या वाला देश है और सकल चिकित्सा स्तर ऊंचा नहीं है। इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के लिए चीन को पश्चिमी देशों से भिन्न तरीका अपनाना चाहिए । किसी भी नई किस्म के संक्रामक रोग पर नियंत्रण का सब से कारगर तरीका उस के स्रोत पर काबू पाना है। प्रोफेसर ह्वांग ने कहा कि अपनी स्थिति के मुताबिक अपने देश के नागरिकों की सेहत की रक्षा करने केलिए चीन ने जो सही कदम उठाए हैं, वह अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति चीन के जिम्मेदाराना रूख की अभिव्यक्ति है। श्री ह्वांग च्यान शी ने कहाः

हमें देश की शक्ति के भरोसे संक्रामक रोग को सब से छोटे दायरे में नियंत्रित करना चाहिए, न कि उस के प्रकोप के समय जल्दबाजी से कदम उठाना पड़ेगा। 2003 में सार्स पर नियंत्रण के काम में चीन ने कटू सबक खायी थी । मौजूदा फ्लू नियंत्रण काम में हम वैज्ञानिक तरीके से अपने अनुभवों के आधार पर उचित तरीके अपना रहे हैं , न कि दूसरे देश के तरीके की अंधी नकर करे । हमारा उद्देश्य एक ही है यानी अपने नागरिकों की सेहत की हिफाजत की जाएगी।

प्रोफेसर ह्वांग च्यान शि ने कहा कि वर्तमान में चीन जो रोग नियंत्रण की नीति लागू कर रहा है, वह दीर्घकालीन और अनवरत है, लेकिन तरीके समय व स्थिति के मुताबिक बदले जा सकते हैं। श्री ह्वांग ने कहा कि ए एच एक एन एक फ्लू का विषाणु अनुमान से परे होता है, इसलिए स्वास्थ्य विभागों को बदलती हुई स्थिति के अनुसार रोग नियंत्रण के कदम बदलना चाहिए।

चीन ने फ्लू रोग की रोकथाम के लिए जो कदम उठाए हैं, उस का चीनी लोग समर्थन करते हैं। पेइचिंग वासी वु यांग ने कहा कि चीन सरकार ने ए एच एक एन एक फ्लू की रोकथाम के लिए जो कदम उठाए हैं, उस से जाहिर है कि सरकार आम लोगों के जीवन व स्वास्थ्य का सम्मान करती है । रोग संबंधी सूचना समय रहते पारदर्शी व खुली तौर पर घोषित की जाती है, जिस से जन समुदाय अपने जीवन व सुरक्षित यातायात पर निश्चिंत हो सकता है। उन्हों ने कहाः

मुझे लगा है कि ए एच एक एन एक फ्लू की रोकथाम के लिए चीन के कदम आवश्यक और कारगर है। खासकर जब हम किसी नयी किस्म के रोग विषाणु के नुकसान से वाकिफ नहीं हैं तो हमें और सावधानी बरतना चाहिए। हमें सार्स की झंझट झेलनी पड़ी थी, इसलिए हम जानते हैं कि रोग पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाना बहुत जरूरी है।