2009-05-18 16:13:14

तिब्बत में आधी शताब्दी की छलांग—तीसरा भाग:संस्कृतियों को विरासत में लेना

वर्ष 1959 में दस लाख तिब्बती भूदासों को मुक्ति मिली, वे पहली बार सच्चे"मानव"बने ।

गेसांग छ्वूदा:"उस दिन लोगों ने जागीरदारों के साथ संपन्न असमानता वाले अनुबंध को आग लगाकर नष्ट कर दिया । भविष्य में जागीरदारों के शोषण से मुक्ति पा सकेंगे, इस से वे बड़े खुश थे ।"

50 साल में दस हजार से ज्यादा सूत्र चक्र घुमाए जाते हैं । रंगबिरंगे सूत्र झंडियां फहराती हैं, भविष्य के प्रति तिब्बती लोग आशाप्रद हैं।

लोसांग शानतान:"मैं बुजुर्गों की सेवा करने वाले घर में काम करता हूँ। छ्वु क्वो मठ में बुजुर्गों का घर बनाया गया है ।"

50 साल में तिब्बत के प्राचीन नृत्यों में नयी जीवंत शक्ति दिखाई पड़ रही है ।《राजा गैसर》गाने की आवाज़ और ऊंची हो रही है ।

चांग छिंगली:"भविष्य में हम योजनानुसार कदम ब कदम तिब्बत की सभी सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण कार्य को संपूर्ण करेंगे, ताकि ऐतिहासिक, रंगबिरंगी और परम्परागत तिब्बती संस्कृति को चिरस्थाई तौर पर सुरक्षित किया जा सके।"

50 साल में आगे बढ़ने के कदमों में ऐतिहासिक परिवर्तन दिखायी पड़ता है ।

काल्ज़ांग येशे:"जनवादी सुधार के बाद पचास साल बीत चुके हैं । इस दौरान तिब्बत में जमीन आसमान का परिवर्तन आया है ।"

उक्त वाक्यों से आप को पता होगा कि पिछले पचास वर्षों में चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में क्या-क्या परिवर्तन हुआ । इस लेख में तिब्बत की परम्परगातक संस्कृतियों के बारे में जानकारी दी जाएगी । शीर्षक है"संस्कृतियों को विरासत में लेना"

लम्बे अर्से में श्रमिक उत्पादन और सामाजिक विकास में तिब्बती जाति ने अपनी विशेष संस्कृति रची, जिस में तिब्बती भाषा, तिब्बती चिकित्सा, तिब्बती खगोल, तिब्बती संगीत और तिब्बती नाचगान आदि शामिल है । तिब्बत की सांस्कृतिक विरासतों का इतिहास बहुत पुराना है । जनवादी सुधार के बाद के पिछले 50 साल मे तिब्बती संस्कृति का नया विकास किया जा रहा है ।

अब आप सुन रहे हैं तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाज़े प्रिफैक्चर में प्रचलित परम्परागत"त्वेश्ये"नृत्य गान, जो"देश स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत की नामसूचि"में शामिल किया गया है ।"त्वेश्ये"तिब्बती क्षेत्र में प्रचलित एक किस्म का सामूहिक नाचगान है, जिस में नृत्य और संगीत शामिल रहता है, और यह शिकाज़े प्रिफैक्चर में सब से लोकप्रिय है । 22 वर्षीय सोनाम चोफ़ेल शिकाज़े प्रिफैक्चर की ला जी कांउची में एक किसान हैं । उस ने कांउटी की"त्वेश्ये"अभिनय मंडली में भाग लिया है और इस प्रकार के तिब्बती सांस्कृतिक विरासत के विकास में संलग्न है । तिब्बती बंधु सोनाम चोफ़ेल ने कहा:

"छोटी उम्र से ही मैंने'त्वेश्ये'सीखना शुरू कर दिया था । कांउटी के किसान कला मंडल की स्थापना होने के बाद मैं ने इस में भाग लिया । मुझे बड़ी खुशी हुई कि कांउटी की ओर से अभिनय करूंगा ।'त्वेश्ये जन्मस्थान'के एक सदस्य के रूप में मुझ पर तिब्बती जाति की इस प्रकार की संस्कृति का प्रसार करने का कर्तव्य है ।"

आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में"त्वेश्ये"समेत देश स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की संख्या 60 है । राष्ट्र स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के उत्तराधिकारियों की संख्या 31 है । गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की नामसूचि में शामिल हुई परियोजनाओं के समर्थन और उक्त व्यक्तियों की सहायता के लिए चीन हर साल पूंजी निवेश करता है, ताकि तिब्बती संस्कृति का संरक्षण व विकास किया जा सके ।

अब आप सुन रहे हैं तिब्बती कथा वाचक द्वारा प्रस्तुत महाकाव्य《राजा गैसर》का एक भाग । जनवादी सुधार किए जाने के पूर्व कथा वाचकों के कथा वाचन में सामंती जागीरदारों ने भेदभाव किया था और उन का स्थान बहुत नीचा था । लेकिन आज वे तिब्बती सांस्कृतिक अवशेषों का विकास करने वाले सब से श्रेष्ठ लोक कलाकार हैं और उन्हें"राष्ट्र स्तरीय मूल्यवान व्यक्ति"के रूप में सम्मानित किया जाता है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांस्कृतिक विभाग में कार्यरत निमा ने जानकारी देते हुए कहा:

"जनवादी सुधार के पूर्व आम तिब्बती लोगों को सांस्कृतिक फलों का उपभोग करने का अधिकार नहीं था । उस समय लोक कलाकारों का स्थान बहुत नीचा था और उन की जीवन स्थिति बहुत दयनीय थी । लेकिन आज देश सांस्कृतिक अवशेषों के उत्तराधिकारियों और कृषि चरवाहा क्षेत्र में सांस्कृतिक दलों के प्रशिक्षण को महत्व देता है । तिब्बती किसानों और चरवाहों को सच्चे माइने में महसूस हुआ कि उन के सांस्कृतिक निर्माण का समादर किया जाता है । इस तरह वे सक्रियता से इस में भाग लेते हैं ।"

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।