2009-05-13 16:49:57

स्छवान भूंकपग्रस्त क्षेत्र के लोग धीरे धीरे भूंकप की काली परछाई से बाहर निकल रहे हैं

स्छवान में 12 मई भीषण भूंकप को अब एक साल हो चुके हैं। इस भीषण भूंकप ने 69 हजार से अधिक लोगों की जान ले ली, 17 हजार लोग लापता हैं और 3 लाख 70 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं । इस भयकर भूंकप से लोग दुखद भावना से निकल सकेगें कि नहीं, वे फिर से सामान्य जीवन शुरू कर सकेगें कि नहीं, यह बहुत से लोगों के मन में बनी एक चिन्ता है। वर्तमान हमारे संवाददाता ने भूकंपग्रस्त का फिर एक बार दौरा किया, उन्होने भूंकपग्रस्त क्षेत्रों में देखा कि लोगों के मन में बनी भूंकप की काली परछाई धीरे धीरे उनके मन से निकल रही हैं। वाह वाह आप सबसे बहादुर है, आप सबसे बहादुर हैं।

यह मिएन यांग शहर की आन श्येन काउंटी के च्येफाए बस्ती के एक मिडिल स्कूल के बच्चों की भूंकप में घायल हुए लोगों के तन्दुरूस्त होने के बाद अस्पताल से निकलने के बाद उनका हौसला बढाने की आवाजें थीं। भूंकप ने लोगों के शरीर को न सिर्फ पीड़ा पहुंचाई है बल्कि लोगों के मन में गहरी चोट भी पहुंचाई हैं। पएछुआन काउंटी के एक सीमेन्ट कारखाने में कार्यरत मजदूर लू थाओ ने हमारे संवाददाता को बताया कि उनके बेटे ने अपनी आंखो से अपने सहपाठियों को भूंकप में मरते देखा था, इस लिए वह हमेशा सपने में डर के जाग उठता है। उन्होने कहा मेरे बेटा पएछुआन मिडिल स्कूल के सातवीं क्लास में था, जब भूंकप आया था उसने हमें वहां नहीं पाया, तो क्लास में लौट कर अपने तीन सहपाठियों को पीठ में लांधकर बाहर ले आया, लेकिन इन तीन में से दो की मौत हो चुकी थी। मुझे अपने बेटे के साथ एक लम्बे समय में रोजाना यहां तक कि अब भी उसके साथ सोना पड़ता है, उसके सोने के बाद ही मैं कमरे की बत्ती बुझा देता हूं। वह बराबर सपने में डरावने सपने देखता है और अक्सर बुरे सपनों से चिल्ला उठता है, कभी बहुत रोता है, उसने अपनी आंखो से अपने सहपाठियों के खून की लाशे देखी थीं।

भूंकप के उत्पन्न होने के बाद, चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय व विभिन्न अस्पतालों ने अनेक मानसिक राहत दलों को भूंकपग्रस्त क्षेत्रों में भेजा था, वहां उन्होने लोगों के मन को शान्ति दिलाने में मदद दी, इन में अनाथ बच्चे व अपने बच्चे खो देने वाले परिवार पर विशेष ध्यान दिया गया। वर्तमान राष्ट्र स्तरीय की भूंकप बाद मानसिक संकट सहायता अनुसंधान परियोजना, भूंकपग्रस्त क्षेत्रों में चलाई जा रही हैं, अनुमान है कि 2010 के आरम्भ में एक मानसिक राहत जाल बिछा लिया जाएगा और भूंकपग्रस्त क्षेत्रों के लोगों के मानसिक स्वस्थ्य में कारगर मदद दी जा सकेगी।

भूंकपग्रस्त क्षेत्र की प्राथमिक चिकित्सा संस्था होने के नाते स्छवान जन अस्पताल ने भूंकप में घायलों के शरीरिक दुख को दूर करने में भारी सहायता दी है। इस अस्पताल के मानसिक डाक्टर श्याओ चिन ने कहा कि भूंकप के बाद कुछ लोगों के मन में मानसिक बाधा बन रही है और वे डरावनी, चिन्तित तथा लाचार आदि लक्षणों से प्रतिक्रियाएं करते दिखाई देते हैं, यहां तक कि कुछ लोग आत्महत्या करने की सोच रहे हैं। मिसाल के लिए, इन्द्रियों का इलाज, जिसे अमरीका के एक अनुसंधान ने हमें परिचय कराया है। इस इलाज से हम मरीजों के शरीर को हल्का करने व मन की शान्ति बनाने पर जोर देते हैं। पूरी तरह शरीर को हल्का करना इतना आसान नहीं है, इस के लिए लोगों के मन में चिन्ता को दूर करना, डरावट को दिल से निकालना जैसी मानसिक इलाज शामिल हैं।

स्छवान जन अस्पताल के उप निदेशक छाए ली ने कहा कि अनेक पक्षों की मदद से हमारे अस्पताल ने मानसिक राहत में संतोषजनक सफलताएं हासिल की हैं। उन्होने कहा हमने पूरे जीजान से मानसिक इलाज में हिस्सा लिया है, हमारे अस्पताल ने विशेष तौर पर मानसिक राहत टीम का इन्तेजाम किया है और अब तक चार मानसिक राहत प्रशिक्षण क्लासों का भी आयोजन किया है। वर्तमान हमने कोई 697 से अधिक लोगों को मानसिक सहायता प्रदान की है, वे फिलहाल अच्छी तरह जीवन के आगे खड़ी समस्याओं का हल कर सकते हैं.

अलबत्ता केवल बाहरी मदद से ही एक हादसा से बने दुख को दूर नहीं किया जा सकता है। दिल को छू लेने की बात यह है कि भूंकपग्रस्त क्षेत्रों में बहुत से लोग व्यवहारिक स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं और अपनी मनोबल से अपने को कठिनाईयों व हादसे से निपटने में प्रबल बना रहे हैं। भूंकपग्रस्त क्षेत्र के निवासी न्यो वी लांग ने अपनी कविता-- मेरा घर-- को पढकर सुनायाः तुम जानते हो कि मैं तुम्हे कितना याद करता हूं. लेकिन 12 मई के भूंकप ने हमें एक दूसरे से विदा कर दिया। आज मैं केवल दिल में तुम्हारी याद लिए दुखे दिल से कहना चाहता हूं कि मेरा पुराना घर मिट गया , लेकिन तुम हमेशा याद रखना मेरे दिल में तुम्हारी यादें कभी भी नहीं मिटेगी, तुम मेरे मन में हमेशा जिन्दा रहोगे।