2009-05-07 10:37:32

पारस्परिक विश्वास बढाना अमरीका ,पाकिस्तान व अफगानिस्तान का आतंकवाद विरोधी युद्ध जीतने की पूर्वशर्त है

अमरीका ,अफगानिस्तान और पाकिस्तान के नेताओं ने 6 तारीख को वाशिंटन में अलग अलग तौर पर द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय वार्ताएं कीं ताकि वापसी विश्वास बढाया जाए ,आतंकवाद विरोधी संयुक्त मोर्चे को मजबूत किया जाए और अफगानिस्तान व पाकिस्तान की स्थिति स्थिर बनायी जाए ।अफगानिस्तान में चल रहे आतंकवाद विरोधी युद्ध में पाकिस्तान का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है ,जो ओबामा प्रशासन की नयी अफगानिस्तान रणनीति का एक केंद्र है ।पर तीन पक्षों के वापसी विश्वास का आधार मजबूत नहीं है ।विभिन्न मतभेद व वाद विवाद के कारण अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी युद्ध की स्थिति जटिल रही है ।

6 व 7 मई को अमरीका ,अफगानिस्तान व पाकिस्तान के नेताओं और सेनाऔं ,खुफिया एजेंसियों व विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों ने विभिन्न स्तरों पर सिलसिलेवार वार्ताएं कीं ।वरिष्ठ अमरीकी अधिकारी के अनुसार इन वार्ताओं में अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने प्रत्यक्ष रूप से अफगान राष्ट्रपति कर्जाई और पाक राष्ट्रपति असिफ अली जर्दारी को स्पष्ट संकेत दिया कि तीनों पक्षों को आतंकवाद के खतरे से मिलकर निबटाना चाहिए ।ओबामा ने व्यक्त किया कि अमरीका अफगानिस्तान अतिरिक्त सेना भेजेगा और अफगिस्तान व पाकिस्तान को अधिक समर्थन देगा ।इस के साथ उन्होंने पाक राष्ट्रपति जर्दारी से तालिबान सशस्त्र बल पर प्रहार को मजबूत करने और नाभिकीय हथियार का आतंकवादियों के हाथ में न पडने की मांग की ।ओबामा ने अफगान राष्ट्रपति कर्जाई से आतंकवाद विरोधी युद्ध में अमरीका व पाकिस्तान के साथ सहयोग बढाने की आशा प्रकट की ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अमरीका ,अफगानिस्तान व पाकिस्तान के त्रिपक्षीय वार्ता से जाहिर है कि अफगानिस्तान के प्रति ओबामा सरकार की रणनीति में बडा बदलाव आया है ,जिस में पाकिस्तान का स्थान उन्नत हुआ है ।फिलहाल तालिबान सशस्त्र बल पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर क्षेत्र पहुंचा था ।ओबामा ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी और अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा मामालात सलाहकार जेम्स जोंस ने बताया था कि यह अमरीका के सामने सब से गंभीर सवालों में से एक है । अफगानिस्तान व पाकिस्तान मामले पर ओबामा के विशेष दूत होलब्रूक ने 5 मई को अमरीकी कांग्रेस में बताया कि पाकिस्तानि के समर्थन व हिस्सेदारी के बिना अफगानिस्तान युद्ध विफल होगा ।उन्होंने कांग्रेस से भावी पांच साल में पाकिस्तान को 7 अरब 50 करोड अमरीकी डालर की राहत देने की मांग की ।

आपसी विश्वास बढाना वाशिंटन में तीन पक्षों की बैठक के मुख्य उद्देश्यों में से एक है ।पर वर्तमान में तीन पक्षों के विश्वास का आधार मजबूत नहीं है ।संबंधित अमरीकी अधिकारी का कहना है कि अमरीका और पाकिस्तान के बीच कहीं हद तक अविश्वास मौजूद है ।अनेक अमरीकी अधिकारियों को जर्दाई की नेतृत्व क्षमता और अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी युद्ध में उस की हिस्सा लेने की इच्छा पर आशंका है ।अमरीका ने पाक सरकार पर इस फरवरी में तालिबान के साथ स्वात घाटी क्षेत्र में संपन्न शांति समझौता में ज्यादा रियायतें देने का आरोप लगाया ।उधर पाकिस्तान का दावा है कि नयी पाक सरकार के समर्थन में अमरीका का कदम धीमा रहा ।उस ने नयी पाक सरकार को जो समर्थन किया है ,वह मुशर्रफ सरकार को दिये गये समर्थन से कम है ।

अफगानिस्तान के प्रति अमरीका के रूख में बदलाव भी आया है ।वर्ष 2006 के अंत से पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बुश और कर्जाई दो हफ्ते में एक बार टेलीफोन पर बातचीत करते थे ।पर ओबामा ने इस नियमित बातचीत को रद्द किया ।अफगानिस्तान का दावा है कि अमरीका की आतंकवाद विरोधी रणनीति का इराक से केंद्रित होने के बाद अफगानिस्तान को दिये जाने वाली सैन्य व पूंजी सहायता बहुत कम हो गयी ,जो अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति बिगडने का एक महत्पूर्ण कारण है ।

पाकिस्तान अफगानिस्तान के संबंध में नयी पाक सरकार की स्थापना के बाद कुछ सुधार नजर आया है ।लेकिन आतंकवाद विरोधी मामले पर दो पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं ।अफगानिस्तान पाकिस्तान संबंधों की मध्यस्थता ओबामा सरकार के लिए एक चुनौती है ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अफगानिस्तान के प्रति ओबामा सरकार की नयी रणनीति का भविष्य अनिश्चित है ।अमरीकी कांग्रेस में कुछ लोगों ने इस पर आशंका जतायी है ।अमरीकी कांग्रेस की अनुदान समिति के अध्यक्ष डविड ओबे ने कहा था कि उन को अफगानिस्तान व पाकिस्तान पर ओबामा की रणनीति पर बडा संदेह है ।अगर एक साल के अंदर इस रणनीतिक का प्रभाव स्पष्ट नहीं दीखे ,तो कांग्रेस पाकिस्तान को कम सहायता देगी ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अमरीका के अंदर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति कर्जाई और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जर्दाई के विश्वास पर मतभेद मौजूद है ,लेकिन वर्तमान में ओबामा सराकर सिर्फ दो देशों के साथ आपसी विश्वास मजबूत करने और पाक अफगान संबंध की मध्यस्थता करने के जरिये उस क्षेत्र में अपनी रणनीति आगे बढा सकेगी ।