2009-05-08 10:14:55

तिब्बत में आधी शताब्दी की छलांग—दूसरा भाग:तिब्बत में धार्मिक विश्वास

तिब्बती बौद्ध धर्म तिब्बत की अधिकांश जनता का विश्वसनीय धर्म है। हजारों वर्षों से तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षुओं ने पुराने व रहस्यमय बौद्ध धर्म को समझाने की कोशिश की है। वे लोग तिब्बत के समाज में उच्च स्तरीय स्थान पाते थे। तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार की नीति के लागू होने से पुराने तिब्बत में राजनीति व धर्म को जोड़ने वाली सामाजिक व्यवस्था को रद्द कर दिया गया और मठों में भी लोकतांत्रिक रुपांतरण किया गया। आज तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षु पहले की ही तरह धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का उपभोग करते हैं।

तिब्बती बौद्ध धर्म की चार शाखाओं में से एक----सागा शाखा के प्रमुख मठ सागा मठ शिकाचे प्रिफेक्चर के दक्षिण पश्चिमी भाग की सागा काऊंटी में है। यहां न केवल सागा शाखा का सर्वोच्च बौद्ध धर्म संस्थान खोला गया है, बल्कि कंप्यूटर कक्षा और वेबसाइट भी खोली गयी है। सागा मठ की लोकतांत्रिक प्रबंध कमेटी के प्रधान दपाल इदेन दोनयुस ने परिचय देते हुए बताया:

"वर्ष 1999 में हम ने कंप्यूटर कक्षा खोली। अब सागा की वेबसाइट भी खोली है, जिस में सागा शाखा का इतिहास व संस्कृति की रिकार्डिंग की गयी है। आधे साल के बाद वेबसाइट की स्थापना की गयी। आर्थिक भूमंडकीकरण और सूचना के अति तेज़ विकास के साथ-साथ, हमें अपने आप को घर में बंद नहीं करना चाहिए। हमें भी देश में , यहां तक विदेशों में जाना चाहिए । अब लोगों को सागा मठ में आने की पूरी स्वतंत्रता है। जो लोग हमारे मठ में आना चाहते हैं, वे आ सकते हैं। हमारे बौद्ध धर्म संस्थान में कानसू, स्छ्वान और छिंगहाई आदि प्रांतों से आये सदस्य शामिल हैं।"

अली प्रिफेक्चर की फूलैन काऊंटी की छोरगोर मठ के प्रधान जीवित बुद्ध लोसांग सेनदेन का विचार और खुला है। उन्होंने अली प्रिफेक्चर में खनिज पानी का उत्पादन करने वाली कंपनी की स्थापना की और स्थानीय 30 से ज्यादा लोगों के रोजगार की समस्या का समाधान किया है। यह कारोबार अली प्रिफेक्चर का एकमात्र स्वब्रांड वाला कारोबार है। जीवित बुद्ध लोसांग सेनदेन ने कहा कि मठों को केवल लोगों के चंदे पर नहीं निर्भर रहना चाहिए। मठों को लोगों पर भारी आर्थिक बोझ नहीं डालना चाहिए। इस के विपरित, मठों को अपनी शक्ति से आम नागरिकों को लाभ देना चाहिए। जीवित बुद्ध लोसांग सेनदेन ने कहा:

"मैं हमेशा ही वृद्ध सदन में काम करता हूं। मैं ने छोरगोर मठ में एक वृद्ध सदन की स्थापना की है। यहां वृद्धों के खाने, पीने व रहने का अच्छी तरह प्रबंध किया जाता है। यदि वृद्ध बीमार होते हैं, तो हम उनें अस्पताल भेजकर उन का उपचार करवाते हैं ।"

वर्ष 1986 से छोरगोर मठ ने क्रमशः स्थानीय वृद्धों को स्वीकार करना शुरु किया और उन के जीवन का प्रबंध करने में मदद दी। इस के अलावा, पर्यटन स्थल में होने की वजह से छोरगोर मठ आने जाने वाले पर्यटकों के लिए मुफ्त रुप से खाने, पीने , रहने व रोग उपचार करने की सेवा भी दी जाती है।

जीवित बुद्ध लोसांग सेनदेन का मानना है कि हालिया समाज में तिब्बती बौद्ध धर्म को बाहरी दुनिया से अलग नहीं करना चाहिए। हमें बाहर से व्यापक संपर्क करना चाहिए । इस के साथ-साथ, तिब्बती बौद्ध धर्म को सामाजिक विकास के अनुकूल समाज के लिए योगदान प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा:

"यदि धर्म का लम्बे अरसे से अस्तित्व है, तो उसे समाज के अनुकल बनना चाहिए। केवल इसी से, धर्म की जीवंत शक्ति मजबूत होगी। समाज के लिए धर्म का योगदान बढ़ेगा। धर्मों के अनुयाइयों को आम जनता के लिए कुछ न कुछ करने की ज़रूरत है और उन के बोझ को काफी हद तक कम करना चाहिए। यह हमारा कर्त्तव्य है।"

लोकतांत्रिक सुधार की नीति के लागू होने के पिछले 50 सालों में हालांकि तिब्बती भिक्षुओं का जीवन तरीका ज्यादा से ज्यादा आधुनिक हुआ है, भिक्षुओं का सामाजिक कर्त्तव्य भी मजबूत हो रहा है। चीन सरकार ने तिब्बत में धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति लागू की है और तिब्बत में मठों के निर्माण और कानूनी धार्मिक गतिविधियों को भारी समर्थन किया है। हाल में तिब्बत में कुल मिलाकर 1700 से ज्यादा विभिन्न किस्मों के धार्मिक स्थल हैं, जहां लगभग 50 हजार भिक्षु रहते हैं। मठों में विभिन्न परम्परागत धार्मिक गतिविधियां सामान्य रुप से आयोजित की जाती हैं। धार्मिक प्रथा से जीवित बुद्ध का चुनाव करने के तरीके का भी देश में सम्मान व संरक्षण किया गया है।