नेपाली युनाइटिड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)के अध्यक्ष व प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने 4 तारीख को प्रधान मंत्री के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की ।उस दिन नेपाली राष्ट्रपित राम बरन यादव ने प्रचंड का इस्तीफा स्वीकार किया ।नेपाली संविधान सभा में नेपाली युनाइटिड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी )की 1 तिहाई सीटें हैं ।प्रचंज के इस्तीफे से नेपाल की राजनीतिक स्थिति फिर डांवांडोल हो गयी ।
प्रचंड ने 4 मई को राष्ट्र को टी वी भाषण देकर कहा कि मौजूदा सरकार अपने कार्यकाल में जनता से प्रत्याशित उपलब्धियां प्राप्त नहीं कर सकेगी ,इसलिए उन्होंने प्रधान मंत्री के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की ।उन का कहना है कि सरकार के निर्णयों में राष्ट्रपति की दखलदाजी संविधान व लोकतंत्र के खिलाफ है ।नेपाल के लोकतंत्र व शांति की सुरक्षा के लिए उन्होंने इस्तीफा देने की घोषणा की ।
स्थानीय विश्लेषकों के विचार में प्रचंज के इस्तीफा का प्रत्यक्ष कारण यही है कि सरकारी सेना के चीफ आफ स्टाफ कटवाल का बहिष्कार किया गया ।वर्तमान में नेपाल में दो सशस्त्र शक्तियां मौजूद हैं यानी जन मुक्ति सेना और पूर्वी शाही सेना से गठित सरकारी सेना ।एक अरसे से नेपाली रक्षा मंत्री व नेपाली युनाइटिड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नेता टापा सरकारी सेना द्वारा शांति समझौते के खिलाफ नये जवान भर्ती कराने और रिटार्यर होने वाले जनरल व अधिकारी सेना में बनाए ऱखने पर असंतुष्ट रहे ।नेपाली सरकार ने 20 अप्रैल को कटवाल से 24 घंटे के अंदर उपरोक्त मुद्दे पर स्पष्ट करने की मांग की ।कटवाल ने 21 अप्रैल को लिखित जवाब दिया ।3 मई को नेपाली मंत्रिमंडल ने कटवाल के जवाब से असंतुष्ट होकर उन का बहिष्कार करने का फैसला किया ।पर सत्ताधारी गठबंधन के कुछ दलों ने इस फैसले का समर्थन नहीं किया और यहां तक कि सत्ताधारी गठबंधन के दो दल सरकार से हट गये ।3 मई को प्रचंद ने मंत्रिमंडल के फैसले को राष्ट्रपति यादव को सौंप दिया।ध्यान रहे राष्ट्रपति यादव विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस पार्टी के हैं । राष्ट्रपति यादव ने कटवाल से अपने पद पर बने रहने की मांग की ।इस तरह नेपाली राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के बीच गंभीर मतभेद पैदा हुआ ।
नेपाली युनाइटिड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी ) तो पूर्व नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) है ।उस ने अप्रैल 2008 में संविधान सभा चुनाव में भाग लिया और बाद में संविधान सभा की सब से बडी पार्टी बन गयी ।अगस्त 2008 में नेपाली युनाइटिड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नेतृत्व में नेपाली लोकतांत्रिक गणराज्य की सरकार का गठन हुआ ।वर्तमान में नेपाली युनाइटिड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी )के अधीन जन मुक्ति सेना के जवानों की संख्या 19 हजार के आसपास है ।
विश्लेषकों के विचार में भविष्य में नेपाली राजनीतिक स्थिरता पर दो मुद्दों का प्रभाव सब से ज्यादा है ।एक ,नेपाली संविधान बनाना ।दूसरा है जन मुक्ति सेना का पुनगठन ।
नेपाली अस्थाई संविधान के अनुसार नेपाली संविधान सभा का कार्यकाल दो साल है ।नेपाल को 28 मई 2010 से पहले नेपाली लोकतांत्रिक गणराज्य का संविधान घोषित करना होगा ।संविधान बनाने में नेपाली युनाइटिंड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और अन्य पार्टियों के बीच गंभीर मतभेद मौजदू हैं ।नेपाली युनाइटि़ड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी )के कुछ व्यक्तियों के विचार में कम्युनिस्ट पार्टी सरकार का नेतृत्व कर रही है ,पर राष्ट्रीय सत्ता वास्तव में कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ में नहीं है ।उन की आशा है कि नेपाल समाजवादी रास्ते पर चलेगा ।पर अन्य कुछ राजनीतिक शक्तियों की आशा है कि नेपाल में एक आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना होगी ।राजनीतिक मतभेद से नेपाल में संविधान का मसौदा बनाने की गति बहुत धीमी रहती है ।
नेपाली युनाइटिड कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सशस्त्र बल का पुनगठन एक उल्लेखनीय व नाजुक मुद्दा है ।नेपाली युनाइटिड कम्युनिस्ट पार्टी का विचार है कि जन मुक्त सेना को पूरी तरह सरकारी सेना में शामिल कराया जाना चाहिए ,जबकि अन्य अधिकांश पार्टियों को इस पर आपत्ति है ।नेपाल स्थित संयुक्त राष्ट्र विशेष दल का कार्यकाल 23 जूलाई को पूरा होगा ।अल्क काल में इस मुद्दे का समुचित निपटारा भावी नेपाली सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है ।
स्थानीय विश्लेषकों के विचार में उपरोक्त दो मुद्दों का उचित समधान नेपाल की भावी राजनीतिक स्थिति के लिए निर्णायक है ।
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