2009-05-04 18:06:42

चार मई युवाओं से बर्ड्स नेस्ट वाली पीढ़ी तक

दोस्तो , चीन के विख्यात पेइचिंग विश्वविद्यालय के केम्पस में अंग्रेजी भाषा के डी और एस इन दोनों शब्दों और बाँल जैसी नकशे से गठित मूर्ति बहुत चर्चित है । जिन में डी का अर्थ है डेमोक्रेसी , जबकि एस का अर्थ है साइंस और बाँल पृथ्वी का प्रतीक है । इस मूर्ति का मतलब है जनवाद और विज्ञान आज की दुनिया के विकास के दो खंभे हैं ।

चीन में आज से 90 साल पहले के चार मई आंदोलन ने जनवाद व विज्ञान को समकालीन युग की नयी संस्कृति की केंद्रीय धारणा के रुप में मान लिया था । तत्कालीन पेरिस शांति सम्मेलन ने प्रथम विश्व युद्ध के परास्त जर्मनी के अधिकृत चीन के शानतुंग प्रांत को जापान को हस्तारित कर दिया , इस खबर के चीन में पहुंचने के बाद चार मई 1919 को पेइचिंग विश्वविद्यालय समेत पेइचिंग के दसेक विश्वविद्यालयों के हजारों विद्यार्थियों ने विशाल जलूस जल्सा किया और साम्राज्यवाद विरोधी देशभक्तिपूर्ण आंदोलन करने में पहल किया । यह आंदोलन चीनी युवा आंदोलन की शुरुआत ही है , इसलिये चार मई को चीनी युवा दिवस के रूप में सुनिश्चित किया गया ।

1840 में अफीम युद्ध शुरू होने से चीन कदम ब कदम एक अर्द्धउपनिवेशी व अर्द्धसामंती समाज में बदल गया , जिस से देश में राजनीतिक व आर्थिक अंतरविरोध अत्यंत तीव्र होने लगे । 1894 के चीन जापान चा ऊ युद्ध के बाद चीन साम्राज्यवादी देशों के शिकंजे में फंसने के खतरे में पड़ गया । चार मई 1919 तक चीन के बहुत से प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ने देश को उबारने की कोशिश की और जनवाद व विज्ञान का नारा लगाया । उस जमाने के प्रगतिशील व विचारशील युवाओं को चार मई नौजवान कहलाये जाते हैं ।

चार मई आंदोलन के बाद के 90 सालों में चीनी युवाओं ने देश के विकास में असाधारण योगदान किये हैं । राष्ट्र व समाज की प्रगति , देश की समृद्धि और व्यक्तिगत मूल्य साकार बनाने के लिये वे विचारों को बंधन से मुक्त कराने , खोज व आविष्कार करने में अग्रसर रहे हैं । युद्ध काल में उन्हों ने आपनी आकांक्षा पूरी करने के लिये प्राण बलिदान करने की परवाह भी नहीं की । नये चीन की स्थापना की शुरुआत में उन्हों ने देश के आर्थिक निर्माण में अपना खून पसीना बहा दिया । सुधार व खुले द्वार नीति के काल में उन्हों ने नयी पश्चिमी टेक व धारणाओं का ग्रहण कर लिया , बहुत से नौजवान देश के बाहर जा कर स्वतंत्र रूप से कारोबार लगाने के पथ पर चल निकले ।

आज के चीनी युवा लोग सुधार व खुले द्वार नीति के सुफलों का उपभोग करने वाली पीढ़ी है , साथ ही वे चीन के विकास में प्राप्त उल्लेखनीय उपलब्धियों पर गर्व महसूस करने वाली पीढ़ी भी है । 2008 में चीन को सिलसिलेवार असाधारण घटनाओं का सामना करना पड़ा , चीनी युवाओं की छवि ने दुनिया के लोगों को अचंभे में डाल दिया है । जब विदेशों में पेइचिंग आलम्पिक मशाल रिले में तिब्बती स्वाधीनता रचने वाले तत्वों ने बाधा डालने की कुत्सित हरकतें कीं , तो चीनी युवाओं ने इंटरनेट पर एक जबरदस्त तिब्बती स्वाधीनता विरोधी आलम्पिक मशाल रक्षा अभियान चलाया , जिस से दुनिया ने चीनी युवाओं की आवाज सुन ली । 12 मई वन छ्वान भूकम्प आने के बाद चीनी युवाओं ने रक्तदान व चंदा देने और स्वयंसेवक बनने में होड़ सी लगायी , जिस से समाज के प्रति उन की कर्तव्य भावना अभिव्यक्त हो गयी । पेइचिंग आलम्पिक खेल समारोह के दौरान युवा स्वयंसेवकों ने दुनिया को 80 व 90 वाले दशकों में जन्मे युवाओं की आत्मविश्वास व खुले और आगे बढ़ने की मानसिक सूरत दिखायी , जिस से वे बर्ड्स नेस्ट वाली पीढ़ी के नाम से विख्यात हो गये हैं ।

हालांकि चार मई आंदोलन को 90 साल हो गये हैं , पर चार मई भावना फिर भी युग के विकास के साथ साथ नये विषय से जुड़ गयी है । आज चीनी युवा पीढ़ी अपनी नजरों को विस्तृत कर मुक्त विचारों के जरिये अपने आप , देश और समूचे विश्व के सामंजस्यपूर्ण विकास में संलग्न है । चार मई युवाओं से बर्ड्स नेस्ट वाली पीढ़ी तक युग में बदलाव आता है , चीनी युवाओं की छवि बदल रही है , उन का विचार बदल रहा है , पर राष्ट्र की स्वाधीनता , देश की समृद्धि और सामाजिक प्रगति प्राप्त करने की उन की धारणा में कोई हेरफेर नहीं आया । वे अवश्य ही चीनी प्रगति बढाने की मुख्य शक्ति बन जाय़ेंगे ।