2009-05-04 14:32:21

श्रीलंका की स्थिति जटिल रही

श्रीलंका सरकार विरोधी सशस्त्र संगठन लिट्टे ने 3 मई को फिर एक बार अंतरराष्ट्रीय समुदाय से युद्ध विराम की मध्यस्थता करने की मांग की ताकि श्रीलंका सरकार लिट्टे के खिलाफ सैन्य काररवाई बंद करे ।उधर श्रीलंका सरकार ने कुछ पश्चिमी देशों की आलोचना की कि वे श्रीलंका सरकार की गृह युद्ध समाप्त करने की कोशिशों को बाधित कर रहे हैं ।श्रीलंका का गृहयुद्ध अंत में कैसे समाप्त होगा ।अब तक यह स्पष्ट नहीं है ।पर श्रीलंका में लंबे समय तक मौजूद जातीय मुठभेड के मद्देनजर श्रीलंका का शांति रास्ता लंबा होगा ।

लिट्टे ने 3 मई को ब्रिटिश विदेशी मंत्री और फ्रांसीसी विदेश मंत्री के नाम पर पत्र लिख कर आशा प्रकट की कि दो देशों के विदेश मंत्री शांति की मध्यस्थता करेंगे ।लिट्टे श्रीलंका सरकार के साथ युद्ध विराम संपन्न करने को तैयार है कि ताकि देश में कई दशक तक चले गृहयुद्ध समाप्त हो सके ।पत्र मं लिखा गया कि लिट्टे जातीय मुठभेड हल करने का चिरस्थाई उपाय ढूंढने के लिए सरकार के साथ वार्ता करना चाहता है ।

इस साल में लड़ाई मैदान पर गंभीर रूप से क्षेतिग्रस्त होने के बाद लिट्टे ने अनेक बार सरकार से युद्ध विराम करने का वकालत किया और विदेशों से सहायता मांगी ।26 अफ्रैल को लिट्टे ने एकतरफा तौर पर युद्ध विराम की घोषणा कर सरकारी सेना के खिलाफ सभी फौजी हमला बंद करने का फैसला किया ।लेकिन श्रीलंका सरकार ने फौरन लिट्टे की मांग से इंकार किया और फौजी कारर्वाई अंत तक चलाने का संकल्प व्यक्त किया ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में गतवर्ष लिट्टे के खिलाफ फौजी प्रहार की बहाली करने के बाद लिट्टे का पूरा सफाया करने वाला सरकार का संकल्प अटल रहा ।राष्ट्रपति महिंदा राजपक्से ने अनेक बार कहा कि सरकार लिट्टे के साथ फिर युद्ध विराम नहीं करेगी ।लिट्टे को हथियार डालकर किसी शर्त के बिना सरकारी सेना के सामने आत्मसमर्पण करना होगा । 5 अप्रैल को सरकारी सेना लिट्टे के अंतिम फौजी अड्डे को कब्जा करने में सफल रही ,जिस से लिट्टे की बची खुची शक्ति को बीस वर्गकिलोमीटर की छोटी पट्टी में घेरी गयी ।वह क्षेत्र सरकार द्वारा नागरिकों के लिए निर्धारित सुरक्षा क्षेत्र है ,जहां बडी संख्या वाले आम तमिल लोग बसे हैं ।13 व 14 अप्रैल को श्रीलंका के परंपरागत नये साल के दौरान सरकारी सेना ने दो दिन के युद्ध विराम की घोषणा की ,पर सुरक्षा क्षेत्र से बहुत कम नागरिक भाग निकले ।इस के बाद सरकारी सेना ने फिर फौजी हमला बोला ।दो पक्षों की लडाई के बीच एक लाख से अधिक तमिल नागरिक वहां भाग निकले ।पर संयुक्त राष्ट्र संघ के नवींतम आंकडों के मुताबिक युद्ध ग्रस्त इलाके में लगभग 50 हजार आम नागरिक रह रहे हैं ।श्रीलंका सरकार ने लि्टटे पर सुरक्षा क्षेत्र में नागरिकों को अपहृत कर मानव ढाल बनाने का आरोप लगाया ताकि सरकारी हमले को रोका जाए ।उधर लिट्टे ने सरकारी सेना पर अनेक बार सुरक्षा क्षेत्र पर हमला करने का आरोप लगाया ।लिट्टा का दावा है कि सरकारी सेना के हमले से हर दिन कोई सौ नागरिक हताहत होते हैं ।युद्ध क्षेत्र में आम नागरिकों की स्थिति ने देशी विदेशी तमिलों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर खींच ली ।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 22 अप्रैल को श्रीलंका सवाल पर अनौपचारिक सलाह मशविरा किया और युद्ध में लिप्त दो पक्षों से सुरक्षा क्षेत्र में आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन को वहां हटने के लिए अनुमति देने की मांग की ।श्रीलंका सरकार ने 27 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वायदा दिलाया कि वह भावी फौजी काररवाई में भारी तोपों व लडाकू विमानों के इस्तेमान से कतरेगी और सुरक्षा क्षेत्र में फंसे नागरिकों को बचाने की पूरी कोशिश करेगी ।इस के बावजूद दो पक्षों के बीच लडाई होती रही । 2 मई को उत्तर श्रीलंका के युद्ध क्षेत्र में एक अस्थाई अस्पताल पर तोपों से बमबारी की गयी ,जिस से कम से कम 64 व्यक्ति मारे गये ।श्रीलंकार सराकर और लिट्टे ने एक दूसरे पर इस दुर्घटना रचने का आरोप लगाया ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में वर्तमान स्थिति से देखा जाए तो वर्ष 2006 से शुरू हुए नये दौर का गृहयुद्ध समाप्त होने वाला है ।पर श्रीलंका में कई दशकों तक चली जातीय मुठभेड का जल्दी से समाधान नहीं होगा ।निकट भविष्य में श्रीलंका सरकार की युद्ध विराम स्वीकार करने की कम संभावना है ।श्रीलंका में फौजी काररवाई जारी रहेगी और अधिक नागरिकों की हताहती होगी ।लिट्टे की बची खुची शक्ति या तो पूरी तरह पराजित की जाएगा ,या तो अन्य क्षेत्र में घुसकर छापामार लडाई जारी रखेगी । अगर सरकार युद्ध के बाद जल्दी से व्यापक तमिलों व अधिकांश श्रीलंकाइयों के लिए स्वीकार्य राजनीतिक समाधान योजना पेश नहीं कर सके ,तो श्रीलंका की शांति का रास्ता लंबा होगा ।