चीन की राजधानी पेइचिंग में लाचू जैसे तिब्बती विश्वविद्यालय विद्यार्थियों की संख्या कई सौ है । ये लोग अपनी जन्मभूमि के निर्माण और तिब्बती संस्कृति के संरक्षण पर ध्यान देते हैं । वे अनियमित रूप से एक तिब्बती भाषा की पत्रिका भी प्रकाशित करते हैं, जिस में मुख्य तौर पर पेइचिंग में पढ़ने वाले तिब्बती विद्यार्थियों द्वार लिखी गई कविताएं,और अनुभव प्रकाशित किए जाते हैं । लाचू पत्रिका में से अपनी सब से पसंदीदा कविता पढ़ रहा है ।
लाचू ने जानकारी देते हुए कहा कि पेइचिंग में तिब्बती भाषा बोलने का वातावरण नहीं है । इसलिए इस प्रकार की तिब्बती पत्रिकाएं तिब्बती भाषा के स्तर को उन्नत करने के लिए सहायक हैं। इस तरह लाचू इस प्रकार के मौके को और मूल्यवान समझता है । कभी कभार लाचू तिब्बत से जुड़ी रिपोर्ट और व्याख्यान सुनता है, तिब्बती संस्कृति के प्रति चीनी हान जाति के विद्यार्थियों की भी रूचि है । लाचू ने कहा कि कुछ दिन पहले विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय संस्कृति भवन जाकर वहां प्रदर्शित《तिब्बत के जनवादी सुधार की 50वीं वर्षगांठ》शीर्षक चित्र प्रदर्शनी देखी । इस की चर्चा में लाचू ने कहा:
"पुराने सामंती भूदास वाले तिब्बत की तुलना में आज के तिब्बत में जमीन आसमान का परिवर्तन है । अब तिब्बत का बुनियादी संस्थापन निर्माण अच्छा है । मिसाल के लिए मेरे गांव में यातुंग कांउटी के हर परिवार ने सरकार से भत्ता ले कर अपने मकान को नया रूप दिया है। यांतुंग प्राइमरी में अब छात्र कंप्यूटर, और अंग्रेज़ी सीखते हैं । लेकिन जब मैं पढ़ता था तब मीडिल स्कूल में ये सुविधाएं नहीं थीं ।"
लाचू एक सीधा सादा तिब्बती युवा है । दलाई लामा और तिब्बत को अलग करने वाले कुछ तत्वों की कार्रवाई की चर्चा में लाचू ने कहा:
"मैं अलगाव का समर्थन नहीं करता । दलाई लामा एक धार्मिक नेता हैं , हमें अंधाधुंध उन के कथनों का पालन नहीं करना चाहिए । दलाई लामा के कथन में क्या सही है, क्या गलत है, इस के प्रति हमें सोचना चाहिए । 14 मार्च दुर्घटना के प्रति मुझे खेद है । मेरा विचार है कि दलाई ग्रुप को बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस से वास्तव में आम नागरिकों को नुक्सान पहुंचा है ।"
तिब्बती विद्यार्थी लाचू ने कहा कि वह तिब्बत को अलग करने का पूरी तरह विरोध करता है । यह भीतरी इलाके में पढ़ने वाले तिब्बती विद्यार्थियों का समान विचार है । उन की आशा है कि तिब्बत में और विकास होगा । लाचू जन्मभूमि को तहेदिल से गहरा प्यार करता है । अपनी भविष्य योजना की चर्चा में लाचू ने कहा कि विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वह तिब्बत वापस लौटकर काम करेगा ।