पाकिस्तान के भूतपूर्व प्रधान मंत्री एवं मुस्लिम लीग शरीफ शाखा के नेता श्री शरीफ ने 28 तारीख को सर्वोच्च अदालत में वर्ष 1999 विमान अपहरण केस की पुनः सुनवाई करने की मांग की।
श्री शरीफ ने कहा कि उस वर्ष अदालत का फैसला अन्यायपूर्ण था। उस समय उन्हें थल सेना के चीफ ऑफ स्टाफ मुशर्रफ के दबाव में ही विदेश में निर्वासित होना पड़ा था।
वर्ष 1999 के 12 अक्तूबर को, तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शरीफ ने चीफ ऑफ स्टाफ की संयुक्त कमेटी के अध्यक्ष एवं थल सेना के सेनाध्यक्ष मुशर्रफ को सभी पदों से बरखास्त करने की घोषणा की थी और मुशर्रफ के विमान को कराची हवाई अड्डे में उतरने से रोका था। उसी दिन, मुशर्रफ ने सैन्य विद्रोह किया और शरीफ सरकार को भंग कर दिया। वर्ष 2000 में पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने श्री शरीफ को आजीवन कारावास की सज़ा दी। अंत में श्री शरीफ ने सरकार के साथ समझौता किया कि वे सऊदी अरब जाएंगे और दस वर्ष तक स्वदेश वापस नहीं लौटेंगे। वर्ष 2007 में पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने विदेश में निर्वासित शरीफ को स्वदेश वापस लौटकर संसदीय चुनाव में भाग लेने को अनुमति दी। (श्याओयांग)