पढ़ाई का काम ज्यादा होने के कारण लाचू बहुत व्यस्त है, उस के साथ साक्षात्कार क्लास के अवकाश के समय में हुआ । छिंगह्वा विश्वविद्यालय में अपना जीवन बिताते हुए तिब्बती विद्यार्थी लाचू ने कहा:
"छिंगह्वा विश्वविद्यालय में आने के बाद पढ़ाई पहले से कहीं कठिन है । क्योंकि यहां पढ़ने वाले लोग देश के विभिन्न स्थलों से आए सब से श्रेष्ठ विद्यार्थी हैं, इस तरह विद्यार्थियों के बीच प्रतिस्पर्द्धा तीव्र है । शनिवार और रविवार को भी हम कक्षाओं में पढ़ते हैं, यहां तक कि महीने भर विश्वविद्यालय के बाहर नहीं जाते । मेरा विचार है कि पढ़ाई के दौरान कोशिश करने के बाद हम संतोषजनक कामयाबी हासिल कर सकते हैं ।"
सच है कि छिंगह्वा विश्वविद्यालय में पढ़ना विद्यार्थियों के लिए भारी चुनौती है । लाचू को याद है कि विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के प्रथम वर्ष में एक बार परीक्षा में उस ने साठ अंक प्राप्त किए थे, जबकि दूसरे विद्यार्थियों ने अस्सी या नब्बे अंक प्राप्त किए थे। इस घटना से लाचू को बहुत दुख हुआ । तब से ही लाचू ने संकल्प किया कि और ज्यादा मेहनत से पढ़ेगा । अथक कोशिशों के बाद लाचू ने पढ़ाई में धीरे-धीरे अच्छे अंक प्राप्त किए । उस की सीधी-सादी भावना ने दूसरे विद्यार्थियों पर गहरी छाप छोड़ी है । लाचू के सहपाठी उत्तर पूर्वी चीन के हार्पिन से आए चो यांग ने कहा:
"लाचू एक सीधा सादा व्यक्ति है, वह दूसरों के साथ सदिच्छापूर्ण व्यवहार करता है । लाचू बहुत मेहनत से पढ़ता है । विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के बाद शुरू में वह दूसरे विद्यार्थियों से कुछ कमतर था, लेकिन वह लगातार कोशिश करता है और मेहनत से काम करता है । इस के साथ ही अध्यापकों, सहपाठियों और स्कूल के समर्थन व सहायता के जरिए अब लाचू अन्य विद्यार्थियों के स्तर तक पहुंच गया है। वह एक सक्रिय व आशावान व्यक्ति है ।"
लाचू का जन्मस्थान यातुंग कांउटी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सब से दक्षिण भाग पठारीय पहाड़ी क्षेत्र में है, जहां यातायात बहुत असुविधापूर्ण है । इस वर्ष सर्दियों की छुट्टियों में लाचू तिब्बती मीडिल स्कूल में पढ़ने वाले छोटे भाई को देखने के लिए भीतरी इलाके के च्यांगसू प्रांत के नाथोंग शहर गया । लाचू और उस का भाई जन्मस्थान वापस नहीं लौटे हैं और उन्होंने परिवारजनों के साथ तिब्बती पंचांग के नए वर्ष की खुशियां नहीं मनायी । लाचू ने कहा:
" कभी-कभार घर की याद आती है । लेकिन टेलिफोन के जरिए मैं माता पिता और रिश्तेदारों से बात कर लेता हूं और फोन से ही मैंने उन्हें नए वर्ष की बधाई भी दी। यहां मैं ने स्कूल के नेताओं और अन्य तिब्बती विद्यार्थियों के साथ नव वर्ष की खुशियां मनायी । जन्मस्थान से आए हम कई तिब्बती विद्यार्थियों ने एक साथ खेला, गाया, तिब्बती पकवान बनाए और साथ-साथ क्वोर्जोम नृत्य किया ।"
गरीब परिवार से आए लाचू विश्वविद्यालय में पढ़ाई के मौके को मूल्यवान समझता है । घर के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए अवकाश के समय वह काम करता है । रोज़ाना पढ़ाई के अलावा लाचू रेड क्रोस सोसाइटी की छिंगह्वा विश्वविद्यालय शाखा तथा स्कूल के नौजवान लीग समिति के जातीय दल में काम करता है । उस की आशा है कि सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी के जरिए अपनी संगठनात्मक क्षमता और भाषा क्षमता को उन्नत करेगा। विश्वविद्यालय लाचू जैसे गरीबी विद्यार्थियों के लिए विशेष नीति अपनाता है और पढ़ाई के अलावा उन्हें अवकाश कार्य के लिए ज्यादा वेतन दिया जाता है । इस की चर्चा में तिब्बती विद्यार्थी लाचू ने कहा:
"मेरा विचार है कि तिब्बत के प्रति पार्टी की अच्छी नीति नहीं होती, तो मैं आज यहां नहीं होता । प्राइमरी, मीडिल और हाई स्कूल में मेरे लिए पढ़ाई की फीस पूरी तरह मुफ्त थी, साथ ही स्कूल से मुझे जीवन भत्ता भी मिलता था। छिंगह्वा विश्वविद्यालय में दाखिल होनेके लिए मैने सरकारी ऋण लिया जिसे में अपनी छात्रवृत्ति के जरिए उतार सकता हूँ । छिंगह्वा विश्वविद्यालय में पढ़ाई सहायता की छात्रवृत्ति ज्यादा है । इस तरह अब मुझ पर कोई आर्थिक बोझ नहीं है ।"
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।