2009-04-27 16:53:48

खलखजी जाति के प्रति एक हान जातीय लेखक का प्यार

चीन में 56 जातियों के लोग रहते हैं , जिन की अपनी शानदार व रंगबिरंगी संस्कृतियां हैं । देश में विभिन्न जातियों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान जारी है । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को शिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश में रह रहे खलखजी जाति की संस्कृति का अध्ययन करने वाले , हान जातीय विशेषज्ञ --- ह ची हूंग की कहानी सुनाएंगे ।

महाकाव्य मानस में खलखजी जाति के इतिहास की जानकारियां मिलती हैं । चीन की दूसरी अल्पसंख्यक जातियों में भी जैसे तिब्बती जाति में महाकाव्य केसर मिलता है , मंगोलियाई जाति में महाकाव्य जांगीयर मिलता है । मानस इन के साथ-साथ चीनी अल्पसंख्यक जातियों के तीन प्रमुख महाकाव्यों में से एक माना जाता है । हान जातीय विशेषज्ञ --- ह ची हूंग की आपबीती महाकाव्य मानस के साथ जुड़ी हुई है ।

वर्ष 1961 में 16 वर्षीय ह ची हूंग भीतरी चीन के शानसी प्रांत से उत्तर-पश्चिमी चीन के शिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के खजलसू खलखज़ी स्वायत्त शासन क्षेत्र गये । खलखज़ी जातीय लोग आम तौर पर इस क्षेत्र में रहते हैं , और इन के कुछ और लोग स्वायत्त प्रदेश के ई-ली , था-छंग , आखसू और खाशी आदि क्षेत्रों में भी रहते हैं । ह ची हूंग एक हान जातीय लड़का था , पर उन्हें खलखजी जातीय जीवन ने बहुत आकर्षित किया । ह ची हूंग रोज दिन में खलखजी मजदूरों के साथ सुनसान जंगल में लकड़ी काटने का काम किया करता था , और रात को इन के तंबुओं में खलखजी जाति के इतिहास और लोक कहानियां सुनता था ।

हमारे खजलसू क्षेत्र में सांस्कृति का बहुत समृद्ध भंडार मौजूद है । मैं हमेशा खलखजी लोगों के साथ रहता हूं , और मेरा जीवन भी इन के साथ जुड़ा हुआ है । क्यों कि मैं यहां रहता हूं , रोज़ इन के साथ बातचीत करता हूं , इन की शादी , अंत्यष्टि जैसी गतिविधियों में भी भाग लेता हूं । रोजाना जीवन में जो दिखता है , सब को अपने लेखन-कार्य में शामिल किया जा सकता है ।

खलखजी लोगों के साथ रह रहे ह ची हूंग इस जाति की परंपरागत संस्कृति से आकर्षित हुए। जब भी समय मिलता , तभी वे खाद्य पदार्थ और पानी लेकर खलखजी क्षेत्रों में घूमने चले जाते और इस जाति की ऐतिहासिक कथाओं , पुरा काल की कविताओं तथा ऐतिहासिक सूत्रों की कहानियां इक्कठी करने का काम करते । खलखजी दोस्तों के साथ घूमते हुए ह ची हूंग ने अनेक बार मानस का नाम सुना था ।

मानस खलखजी जाति का पुराना महाकाव्य है , जो आठ अंकों और दो करोड़ शब्दों से गठित है । महाकाव्य में खलखजी जाति के मानस वंश की आठ पीढ़ियों द्वारा विदेशी आक्रमणों का मुकाबला किए जाने तथा खलखजी जाति के रोजाना जीवन के बारे में रंगबिरंगी कहानियां वर्णित हैं । खलखजी के गायक पीढ़ी दर पीढ़ी इस का प्रसार कर रहे हैं , और उन्हों ने इस महाकाव्य का निरंतर सुधार भी किया है । आज यह विश्वमशहूर महाकाव्यों की तरह एक महाकाव्य है । मानस की चर्चा करते हुए ह ची हूंग ने कहा , खलखजी लोग मानस को बहुत मानते हैं । मानस पहले एक छोटी लोक-कथा थी , पर लोक गायकों के समान प्रयासों से इस का पैमाना बढ़ता रहा है । जाने माने गायक जूसूप मामाई आठ अंकों के दो लाख वाक्यों का मानस गा सकते हैं , इन सभी को गाने के लिए कई माह का समय चाहिये। जूसूप मामाई की तरह दूसरे अनेक गायक भी हैं , जो पूर्ण रूप से मानस गा सकते हैं ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओयांग)