2009-04-24 16:43:35

विश्व बैंक और अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 20 देश समूह से लन्दन शिखर सम्मेलन में दिए वचनों का पालन करने की अपील की

विश्व बैंक और अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन ने 25 तारीख को एक संयुक्त वसंत बैठक में विश्व अर्थतंत्र सवाल पर विचार विमर्श किया। 20 देश समूह के लन्दन शिखर सम्मेलन के बाद यह पहली विश्व अर्थतंत्र व वित्त से संबंधित बैठक है। विश्व बैंक के गवर्नर जोलिक और आई एम एफ के महा प्रबंधक स्ट्रोस खाहन ने 23 तारीख को एक साथ मिलकर 20 देश समूह के सदस्य देशों से लन्दन शिखर सम्मेलन में दिए वचनों का पालन करने पर बल देने की अपील की। लीजिए पेश है इस संबंध पर एक सामयिक रिपोर्ट।

आइ एम एफ के महा प्रबंधक स्ट्रोस खाहन ने कहा कि उनके संगठन ने 22 तारीख को जारी नवीनतम विश्व अर्थतंत्र आउट लुक रिपोर्ट में कहा है कि विश्व अर्थतंत्र संकट की समाप्ति की किरण अब तक नहीं दिखाई दे रही है। उन्होने कहा(आवाज1) इस बार के आंकड़े पहले के किसी आंकड़ो से कहीं ज्यादा खराब हैं। इस से कहा जा सकता है कि संकट की समाप्ति अब भी बहुत दूर की बात है। लेकिन खुशखबरी है कि हम उम्मीद करते हैं कि विश्व अर्थतंत्र अगले साल के पहले छह महीनों में बहाल हो जाए। परन्तु यह कुछ हद तक विभिन्न देशों की नीतियों पर निर्भर रहता है, इस में वित्तीय नीति भी शामिल है, मिसाल के लिए अर्थतंत्र की उत्तेजन योजना तथा वित्तीय व्यवस्था नीति का पुनरूत्थान।

श्री स्ट्रोस खाहन ने कहा कि 20 देश समूह ने गत नवम्बर के वाशिंगटन शिखर सम्मेलन व इस माह के लन्दन शिखर सम्मेलन में विश्व वित्तीय संकट व अर्थतंत्र ह्रास के समाधान के लिए अच्छी शुरूआत की है, विभिन्न देशों ने कुछ कार्यवाहियों तो की हैं पर ये बिल्कुल पर्याप्त नहीं है। उन्होने कहा(आवाज2) 20 देश समूह के लन्दन शिखर सम्मेलन के दौरान , विभिन्न देशों की सरकारों ने अर्थतंत्र संकट का सामना करने पर अपने दिए वचनों ने मुझ पर गहरी छवि छोड़ी है। विभिन्न देशों ने वित्तीय संकट करने की जरूरत को समझा है, लेकिन अनेक समझने लायक राजनीतिक व तकनीकी स्तरीय कारकों की वजह से बहुत से देशों को इन वचनों को कार्यान्वयन करने में काफी मुश्किलें पैदा हुई हैं। यदि कहे की कोई प्रगति नहीं हुई है यह समुचित नहीं है। वास्तव में हमने कुछ प्रगतियां हासिल की हैं, परन्तु हमारे कदम तेज नहीं हैं, जो हमारे लक्ष्य को पाने के लिए काफी दूर हैं। विशेषकर वित्तीय संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित विकसित अर्थतंत्र समुदाय, जैसे कि अमरीका व यूरोपीय देशों की अपने आगे खड़े इन संकटो को निपटने की कार्यवाहियों की शक्ति इतनी प्रबल नहीं है।

विश्व बैंक के गवर्नर जोलिक ने कहा कि संयुक्त वसंत बैठक विश्व बैंक व आइ एम एफ के सदस्य देशों द्वारा 20 देश समूह के लन्दन शिखर सम्मेलन की सफलता का मूल्यांकन करने तथा अपनी अपनी रायों की अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण स्थल होगा। उनका मानना है कि विश्व अर्थतंत्र संकट के निपटारे का कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण व कठिन हैं, इस में विभिन्न देशों के समन्वय व सहयोग की सख्त जरूरत है। श्री जोलिक ने आधारभूत संस्थापनों के निर्माण में पूंजी निवेश को सुदृढ़ करने की महत्वत्ता पर बल दिया और कहा कि इस पहलु में चीन के पास सफल अनुभव हैं। उन्होने कहा (आवाज 3) हमें अवश्य आधारभूत संस्थापनों के निर्माण के पूंजी निवेश को सुदृढ़ करना चाहिए। लातिन अमरीका व एशिया वित्तीय संकट के दौरान आधारभूत संस्थापन निर्माण के पूंजी निवेश में कटौती कर दी गयी थी, इस ने अर्थतंत्र विकास पर लम्बे समय तक नकारत्मक प्रभाव डाला था। लेकिन चीन ने आधारभूत संस्थापन निर्माण पर पूंजी निवेश को प्रगाढ़ किया था, इस से न केवल रोजगार में वृद्धि हुई बल्कि इस के बाद के अर्थतंत्र के तेज विकास के लिए नींव भी डाली थी। इस ने चीन के अर्थतंत्र विकास पर बाधा डालने वाली कुंजीभूत सवाल को हल कर दिया और उत्पादन शक्ति को उन्नत किया।

श्री जोलिक ने कहा कि अन्य आपात सवाल यह है कि विबिन्न देशों को सार्थक रूप से अन्तरराष्ट्रीय व्यापार पर दिए अपने वचनों का पालन करना चाहिए और व्यापार संरक्षण कार्यवाही को निरस्त कर देना चाहिए। उन्होने कहा कि व्यापार संरक्षणवाद की जोखिमता बढ़ती जा रही है, यह सिर्फ विश्व अर्थंतंत्र संकट के घाव पर नमक ही छिड़केगी। उन्होने कहा(आवाज 4) 20 देश समूह के लन्दन शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों के नेताओं ने एतिहासिक गलतियों को फिर से उत्पन्न न होने का वादा किया था। लेकिन लन्दन शिखर सम्मेलन के बाद, 20 देश समूह में से 9 देशों ने अन्य देशों के हितों को नजरअन्दाज कर व्यापार परिसीमन कार्यवाही शुरू कर दी हैं या शुरू करने जा रहे हैं। ये 20 देश समूह के आधे सदस्य देशों से संबंध रखता है। चार देशों ने व्यापार परिसीमन रदद कर दिये हैं, लेकिन कुछ देश व्यापार परिसीमन रदद करने के साथ साथ नये व्यापार संरक्षण के कदम भी उठा रहे हैं। अर्थतंत्र ह्रास के गहन होने के चलते विभिन्न देश निरंतर बढ़ते दबाव के आगे अपने घरेलु बाजार की सुरक्षा कर रहे हैं, लेकिन यह एक पीछे जाने वाला रास्ता ही होगा और विश्व अर्थतंत्र संकट को लगातार खाई में थकेल देगा।

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