2009-04-21 16:30:23

भारत ने चीन से आयातित खिलौनों पर पाबन्दी लगायी

अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट के दिनों दिन फैलने की स्थिति में भारत वाणिज्य औद्योगिक मंत्रालय ने इस साल के आरम्भ में चीन के खिलौनों पर पाबन्दी लगाने की बात कही थी। लेकिन तथ्यों ने साबित कर दिखाया है कि इस तरह की व्यापार संरक्षणवादी कार्यवाही अंत में दोनों देशों के हितों को क्षति ही पहुंचाएगी। नवरूत्थान अर्थतंत्र समुदाय होने के नाते चीन और भारत को कहीं अधिक एक साथ मिलकर वर्तमान अर्थतंत्र की कठिनाईयों का सामना करना चाहिए। लीजिए सुनिए इस विषय पर एक सामयिक वार्ता। (आवाज 1)

दुकानदारः चीनी खिलौनो में संगीत व बत्तियां है, दाम भी भारत के खिलौनों से सस्ते हैं, ग्राहक इन्हें कहीं अधिक पसंद करते हैं।

ग्राहकः भारत के बच्चों व उनते मां-बापों को चीनी खिलौनों ने कई सालों तक मुग्ध कर रखा है।

अभी आप ने भारत की राजधानी नयी दिल्ली के एक खिलौने बाजार में एक दुकानदार व ग्राहक के बीच चीनी खिलौने पर एक बातचीत सुनी। भारत में चीन द्वारा निर्मित उत्पादों की दुकाने बहुत हैं। भारत वाणिज्य व औद्योगिक मंत्रालय के आंकड़ो के अनुसार, दो सालों में चीन के खिलौनों के बाजार का अनुपात पहले के 50 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत जा पहुंचा है, लेकिन इस साल की 23 जनवरी को भारत के वाणिज्य व औद्योगिक मंत्रालय ने अचानक एक विज्ञप्ति जारी कर चीन के खिलौनों पर छह महीने की पाबन्दी लगाने की घोषणा की, वजह यह कि इन में सार्वजनिक स्वास्थ्य व सुरक्षा के कारक मौजूद हैं।

जावेरी नयी दिल्ली की गृहस्थी संभालने वाली महिला हैं, वे अक्सर चीनी खिलौने के बाजारों में घूमने जाती हैं। उनकी नजर में चीनी खिलौने न केवल बच्चों को बचपन की खुशी देती हैं बल्कि उनके मा-बापों पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी नहीं डालते हैं। उन्होने हमारे संवाददाता को बताया(आवाज 2) चीनी खिलौनों में रोशनी की चमक होती हैं और उनमें संगीत की धुन भी है। लेकिन भारत के बाजार हमें इस तरह के उत्पाद दे नही सकते। वे कहते हैं कि चीन के खिलौने हमारे लिए नुकसानदेह है, लेकिन मैंने कभी इस तरह का मामला नहीं देखा है।

भारत सरकार ने चीन के खिलौनों को निशाना बाध कर जो पाबन्दी लगायी है , उसका कुछ भारतीय खिलौने उत्पादन कारोबोरों ने स्वागत किया है। हालांकि भारत द्वारा उत्पादित खिलौने का बाजार दर कुछ बढ़ गया है, फिर भी एक महीने की पाबन्दी के लागू होने पर भी भारत के बाजारों में खिलौनों के दाम 30 से 100 प्रतिशत बढ़ गए हैं। भारत के ग्राहकों के लाभ को नुकसान पहुंचा है। बहुत से चीनी खिलौनों के आयातित व्यापारियों व विक्रेताओं का मानना है कि पाबन्दी केवल भारत के उद्योगों को प्रतिस्पर्धा रहित सुरक्षित वातावरण ही प्रदान करेगी और यह भारत के उद्योगों के स्वस्थ विकास व बाजार के परिपक्व के लिए हितकारी नहीं है। एक भारतीय व्यापारी ने हमारे संवाददाता को बताया(आवाज 3) बहुत से व्यापारियों ने कहा कि उन्हे चीनी खिलौनों पर पाबन्दी लगाने पर कोई चिन्ता नहीं है, क्योंकि भारत के बाजारों में चीनी खिलौनों का आरक्षण एक लम्बे समय तक जारी रह सकता है, लेकिन कुंजीभूत सवाल चीनी खिलौनों पर पाबन्दी लगाना नहीं है बल्कि भारत के बाजारों के सभी खिलौनों की गुणवत्ता की जांच व मानकीकृत को प्रगाढ़ करना है।

खिलौनों के अलावा, अन्य भारतीय जनता को पसंद चीन निर्मित उत्पादों पर भी व्यापार संरक्षण दीवार खड़ी कर दी गयी है। भारतीय सरकार के व्यापार संरक्षणवादी कार्यवाही पर चीन ने भारी महत्व दिया है। चीन सरकार ने अनेक बार विभिन्न स्थलों में इस पर विधिवत विरोध जताया और विश्व अर्थतंत्र के आगे खड़ी गंभीर चुनौतियों के विशेष काल में भारत से व्यापार संरक्षण के जरिए बाजार को बचाने की कार्यवाहियों पर सावधानी रूख अपनाने का सुझाव रखा ताकि दोनों पक्षों के अर्थतंत्र-व्यापार संबंध पर कोई कुप्रभाव न पड़े।

इस पर भारत के शान्ति व मुठभेड़ अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रोफेसर जेकोब ने कहा कि भूमंडलीकरण के काल में चीन और भारत के बीच व्यापार का सवाल केवल व्यापार क्षेत्रों में ही नहीं है, इस लिए व्यापार समस्या का हल करते समय मात्र संकीर्ण रूख से अपने देश के व्यापार संरक्षण पर विचार करना उचित नहीं है । उन्होने कहा(आवाज 4) व्यापार संरक्षणवाद एक गंभीर सवाल है, वह केवल अर्थतंत्र सवाल नहीं है, संरक्षणवाद नीति के पीछे अक्सर राजनीतिक कारक छुपे रहते हैं। संरक्षणवाद नीति स्थिति को और अधिक बिगाड़ती है, वास्तव में जितना खुलापन रखा जाएगा उतना ही अच्छा होगा, खुलापन व्यापार ही समस्या को हल करने का मूल माध्यम है।

चीन और भारत के वाणिज्य अधिकारियों की भेंट के बाद भारतीय वाणिज्य व औद्योगिक संघ के संयुक्त सचिव शर्मा ने कहा (आवाज 5) भारत पूरी कोशिशों से अनेक कदमों को उठाने की पहल करेगा और चीन के किसी भी कार्यवाही व योजना पर प्रतिक्रिया करेगा, ताकि इस नाजुक घड़ी में पर्याप्त रूप से दोनों देशों के अर्थतंत्र के विकास को अधिक उत्तेजित किया जा सके।