2009-04-18 17:15:29

एशिया मंच का वार्षिक सम्मेलन उद्घाटित हुआ

दोस्तो, बो आओ एशिया मंच का वार्षिक सम्मेलन 18 तारीख को दक्षिण चीन के हाईनान प्रांत के बो आओ कस्बे में उद्घाटित हुआ, जिस का प्रमुख विषय है"आर्थिक संकट व एशिया: चुनौती व भविष्यवाणी"। चीनी प्रधान मंत्री वन च्यापाओ ने उद्घाटन समारोह में भाषण देते हुए एशियाई देशों से सर्वांगीण सहयोग मज़बूत करने, व्यापारिक संरक्षणवाद का विरोध करने, क्षेत्रीय वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने की अपील की, ताकि एशिया विश्व आर्थिक पुनरुत्थान का महत्वपूर्ण ईंजन बन सके ।

श्री वन च्यापाओ के भाषण का शीर्षक है《समान जीत प्राप्त करने के लिये विश्वास बढ़ाओ और सहयोग गहराओ 》। यह मौजूदा वार्षिक सम्मेलन में चीन सरकार की आशा भी है । पूर्व योजनानुसार हाल में थाइलैंड में आयोजित पूर्वी एशियाई नेताओं के सिलसिलेवार सम्मेलनों को रद्द किए जाने के कारण मौजूदा बो आओ एशिया मंच वित्तीय संकट के बाद एशियाई देशों का प्रथम उच्च स्तरीय सम्मेलन माना जाता है । दसेक देशों के उच्च स्तरीय नेता, देशी विदेशी सरकारों , कारोबारों और अकादमिक जगत के1600 से ज्यादा उच्च स्तरीय प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग ले रहे हैं ।

श्री वन च्यआपाओ ने सर्व प्रथम अंतरारष्ट्रीय वित्तीय संकट के मुकाबले के लिए चीन सरकार द्वारा उठाई गई आर्थिक संवर्द्धन से जुड़ी श्रृंखलाबद्ध योजनाओं से अवगत कराया और कहा कि इन योजनाओं का प्रारंभिक परिणाम निकला, चीनी आर्थिक प्रचलन में सकारात्मक परिवर्तन आया है और स्थिति अनुमान से अच्छी है । श्री वन च्यापाओ ने कहा:"चीनी आर्थिक विकास में निहित शक्तियां और अधिक प्रदर्शित की जायेंगी । अपनी जनता के कल्याण को सुधार करने के साथ-साथ चीन विश्व विभिन्न देशों के लिए व्यापार व पूंजी निवेश का ज्यादा मौका प्रदान करेगा ।"

श्री वन च्यापाओ ने माना कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट फैल रहा है और विश्व आर्थिक ह्रास की बुनियादी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है । इस तरह भूमंडलीय आर्थिक पुनरुत्थान को और अधिक समय लगेगा ।चीन एशियाई देशों के साथ मिलकर सर्वांगीर्ण सहयोग मज़बूत करने और क्षेत्रीय शांति व समृद्धि को बढ़ाने को तैयार है । उन्होंने सहयोग मज़बूत करने के लिए पांच सूत्रीय सुझाव प्रस्तुत किये ।

"पहला, आर्थिक व व्यापारिक सहयोग को घनिष्ट रूप से जोड़कर व्यापारिक संरक्षणवाद का विरोध किया जाए । दूसरा, वित्तीय व बैंकिंग सहयोग मज़बूत कर क्षेत्रीय वित्तीय स्थिरता को बनाए रखा जाए । तीसरा, पूंजी निवेश सहयोग गहराकर क्षेत्रीय आर्थिक वृद्धि में पूंजी निवेश की प्रेरक भूमिका अदा की जाए । चौथा, ग्रीन सहयोग को आगे बढ़ा कर एशियाई अर्थतंत्र के अनवरत विकास को संवर्द्धन किया जाए । पांचवां, अंतरराष्ट्रीय मामलों में समन्वय व सहयोग मज़बूत कर विश्व शांति, स्थिरता व समृद्धि को बढ़ाया जाए ।"

श्री वन च्यापाओ ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन क्षेत्रीय बुनियादी संस्थापन निर्माण के समर्थन के लिए दस अरब अमरीकी डालर के"चीन आसियान पूंजी निवेश सहयोग कोष"की स्थापना करेगा ।

उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों को एक बार फिर वचन दिया कि चीन एशियाई सहयोग का सक्रिय भागीदार और निर्माता है। चीन अचल रुप से पड़ोसी देशों के साथ अच्छे पड़ोसियों जैसी राजनयिक नीति अपनाता रहेगा । उन्होंने दोहराया कि अंतरारष्ट्रीय वित्तीय संकट के सामने चीन सरकार एशियाई देशों के साथ समान जीत की प्राप्त के लिए कोशिश करने को तैयार है । चीनी प्रधान मंत्री वन च्यापाओ का कहना है:

 "वित्तीय संकट का कारगर मुकाबला करने के लिए एशियाई देशों को अपने कार्य को अच्छी तरह करने के साथ साथ पारस्परिक सहयोग को और मज़बूत कर समान कोशिश करनी चाहिए, ताकि समान जीत प्राप्त हो सके और एशिया विश्व आर्थिक पुनरुत्थान का महत्वपूर्ण ईंजन बन सके ।"

विभिन्न देशों के राजनीतिक नेता श्री वन च्यापाओ के भाषण के प्रशंसक हैं । एकता व सहयोग, व्यापारिक संरक्षणवाद का विरोध और एशियाई स्टोक व मुद्रा बाज़ार का निर्माण उन के समान विचार बन गये । उन्होंने अंतरारष्ट्रीय वित्तीय संकट के मुकाबले में चीन की भूमिका को निश्चित कर दिया और एशिया के भविष्य के प्रति विश्वास जताया । कज़ाकिस्तानी राष्ट्रति श्री नज़ार्बायेव ने कहा: "मैं कहना चाहता हूँ कि चीन का आर्थिक विकास चीनी जनता को लाभ मिलेगा ही नहीं, सारे विश्व के आर्थिक पुनरुत्थान व विकास में भी अहम भूमिका अदा की जाएगी । मेरा विचार है कि मौजूदा मंच के विषयों का महत्वपूर्ण अर्थ है । अब एशिया के नया विश्व आर्थिक केंद्र बनने पर कोई शंका नहीं रही है ।"