2009-04-17 10:00:24

मध्य पूर्व मामले पर अमरीका की दो देश योजना कठिनाई का सामना कर रही है

मध्य पूर्व सवाल पर अमरीकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जोर्ज मिटचेल 15 तारीख को इजरायल पहुंचे ।पिछले दो दिन में उन्होंने इजरायली प्रधान मंत्री नेटान्याहू ,राष्ट्रपति शिमोन पेरेस ,विदेशी मंत्री लिब्रमेन ,रक्षा मंत्री बाराक और विपक्षी पार्टी कदिमा के अध्यक्ष लिवनी से मुलाकात की । उन की इजरायल यात्रा का एक मुख्य उद्देश्य इजरायली नेताओं को फिलिस्तीनी देश की स्थापना का महत्व समझाना है यानी दो देश की योजना के विषय को अवगत कराना ।पर वर्तमान स्थिति से देखा जाए अमरीका की दो देश योजना लागू करना अनेक कठिनाइयों का सामना कर रहा है ।

इजरायली नेताओं के साथ हुई बातचीत से जाहिर है कि मध्यपूर्व सवाल पर अमरीका के पक्ष के मुख्य विषय ये हैं ,पहला ,अमरीका इजरायल की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के वायदा का पालन करते हुए दो देश योजना के आधार पर इजरायल फिलिस्तीन शांति प्रक्रिया बढाएगा और अमरीका के विचार में इजरायल के साथ एक शांतिपूर्ण सहअस्थित्व वाले फिलिस्तीन की स्थापना अमरीका के हित में है ।दूसरा ,अमरीका की आशा है कि इजरायली सरकार इजरायल फिलिस्तान शांति प्रक्रिया बढाएगा और आर्थिक पैकेज समग्र शांति प्रक्रिया का एक भाग बनाएगा ।ध्यान रहे इजरायली प्रधान मंत्री नेतान्याहू ने इस से पहले आर्थिक शांति योजना प्रस्तुत की थी ।

राष्ट्रपति के विशेष दूत के नाते मिटचल ने फिलिस्तान व इजरायल की दो बार यात्रा की थी ।पर मौजूदा यात्रा के दौरान दक्षिण पंथी लुकुद ग्रुप के नेतृत्व वाली नयी इजरायली सरकार ने दो देश योजना का स्पष्ट समर्थन व्यक्त नहीं किया ।

इजरायली विदेश मंत्री लिबर्मान ने पद संभालने के बाद ही कठोर शब्दों में अन्नापोलिस प्रक्रिया को नकारकर बल दिया था कि इजरायल की रियायत से शांति प्रक्रिया को मदद नहीं मिलेगी ।इस बार उन के रूख में बदलाव नहीं आया ।इजरायली विदेशी मंत्रालय के ब्यान के अनुसार मिटचल के साथ हुई बातचीत में लिबर्मान ने कहा कि परंपरागत तरीके नाकाम साबित हुए हैं ।इजरायली सरकार को नया उपाय प्रस्तुत करने की आवश्यकता है ।इस के साथ इजरायली गृहमंत्री यिशाइ जैसे कई वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया कि दो देश योजना वर्तमान स्थिति के अनुरूप नहीं है ।उन के विचार में वर्तमान में सब से अच्छा उपाय आर्थिक माध्यम से फिलिस्तीन इजरायल पारस्परिक विश्वास की स्थापना है ।

इजरायली प्रधान मंत्री नेतान्याहू ने दो देश योजना पर वायदा भी नहीं किया ।मिटचेल के साथ हुई बातचीत में उन्होंने सिर्फ कहा कि फिलिस्तीन को पहले इजरायल को एक यहूदी देश मानना है , इस के बाद ही इजरायल दो देश योजना पर विचार करेगा। इस से जाहिर है कि हालांकि इजरायली सरकार ने दो देश योजना को नहीं ठुकरा दिया है ,पर इसे लागू करना बहुत कठिन होगा ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में प्रधान मंत्री का पद संभालने के दो हफ्ते में नेतान्याहू प्रशासन की देशी विदेशी नीतियों खासकर फिलिस्तीन इजरायल संबंध जैसे संवेदनशील सवालों पर सरकार के रूख का अंतिम रूप तय नहीं हुआ है ।फिलिस्तीन इजरायल संबंध का सवाल एक तरफ नेतान्याहू के राजनीतिक स्थान की मजबूती से जुडा है ,दूसरी तरफ वह पडोसी अरब देशों ,यूरोप व अमरीका यहां तक कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संबंधित है ,जिस का इजरायल के अस्थित्व के अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध है । इस लिए इस अत्यंत महत्वपूर्ण व संवेदनशील मुद्दे पर अस्थाई तौर पर औपचारिक वायदा न करने और अस्पष्ट रूख अपनाना नेतान्याहू सरकरा के लिए वर्तमान में सब से अच्छा विकल्प है ही ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अन्नापोलिस प्रक्रिया शुरू हुई है ,पर इस में ठोस प्रगति प्राप्त नहीं हुई ।विभिन्न पक्ष तरीका ढूंढ रहे हैं ।भविष्य में अमरीका और इजरायल के बीच परंपरागत मित्र देशों के संबंधों में बडा बदलाव नहीं आएगा ,पर दो देश की योजना के सिद्धांतों व इस से संबंधित नीतियों पर दो देशों को अधिक सलाह मशविरा करने की जरूरत है ।