2009-04-15 15:07:04

तलवार की तलाश के लिए नाव पर चिंह बनाना

छुन राज्य वंश का एक लोग था , वह नदी को पार करने के लिए नाव पर बैठा , जब नाव नदी के मंझदर में पहुंचा , तो पानी की एक तेह लहर आ धमकी , नाव को बड़ा धक्का लगा और नाव पर बैठे छुन राज्य का लोग भी एक तऱफ झुक गया , इस झुकाव से उस के कमर पर बांधे तलवार म्यान से बाहर निकल कर पानी में डूब गया । नाव पर बैठे अन्य लोगों को तलवार गुम होने पर बहुत खेद हुआ । लेकिन छुन राज्य के लोग ने बड़े इतमीनान से नाव पर एक चिंह बनाया और कहा कि मेरा तलवार इसी पर नदीं में गिर गया है ।

नाव किनारे पर लगा छुन राज्य के लोग नाव पर अंकित चिंह की जगह से पानी में कूद पड़ा और हाथ से तलवार ढूंढने लगा । लम्बी देर के बाद भी हाथ में कुछ नही आया । उस की इस अंध विश्वास और बुद्धु पर लोगों ने आपस में कहा कि नाव नदी में चल रहा है , पर नदी में गिरा तलवार नहीं चल पाता है , नाव पर बनाए चिंह के अनुसार तलवार ढूंढ निकालने का विचार क्या अक्ल हीन नहीं है

नाव पर अंकित चिंह से तलवार की तलाश नामक नीति कथा चीन में बहुत लोकप्रिय है , इस कहाव से लोग शिक्षा यो लेते है कि दुनिया की सभी बातें गतिशील होती है , हमारा विचार भी गतिशील होना चाहिए , छुन राज्य के उस व्यक्ति की भांति हर चीज को अपरिवर्तनीय समझने से बचना चाहिए ।

                                               लम्बा बांस का डंडा कैसा द्वार से अन्दर लाया

बहुत पहले की बात थी , लु राज्य में एक किसान बांस का एक लम्बा मोटा डंडा बाजार ले जा रहा था, जब वह नगर के द्वार पर पहुंचा , तो उस ने बांस के डंडे को ऊपर नीचे की ओर सीधा खड़ा कर द्वार से अन्दर लाने की कोशिश की , किन्तु बांस का डंडा द्वार की ऊंचाई से भी लम्बा था कि उसे अन्दर नहीं लाया जा सका । किसान ने फिर बांस के डंडे को दाईं बाईं की ओर लम्बा कर अन्दर लाने की कोशिश की , तो पाया कि बांस का डंडा द्वार की लम्बाई से भी लम्बा था । लाख कोशिश करके भी बांस का डंडा नगर के द्वार से अन्दर नहीं लाया पाया , थकन से वह हांफने भी लगा । पास खड़े एक वृद्ध व्यक्ति ने यह दमाशा देखते हुए हंसा , तुम बड़ा बुद्धू हो , तुम्हारा दिमाग कहां गायब हो गया । मैं बहुत बुद्धा हो गया हूं , मैं जितने पुलों से गुजरा था , वह तुम्हारे तय किए गए रास्तों से भी ज्यादा है , मुझ से क्यों नहीं पूछते हो । किसान ने बड़े विनय से नमस्ते कर कहा ,आप की फरमाईश सिर आंख पर है । वृद्ध ने अपनी सफेद दाढी पर हाथ फेरते हुए कहा , यह बहुत सरल काम है , तुम इस लम्बा बांस को चीड़ कर दो भाग कर दे , तो आसानी से द्वार से अन्दर ला सकते हो । दो भागों में काट करने के बाद यह डंडा बेकार होगा , किसान ने सोच कर कहा । फिर तो नगर के बाहर अवरूद्ध होने से बेहतर हो , वृद्ध का कहना । किसान ने वृद्ध का सुझाव माना और बांस का डंडा दो भागों में करके द्वार से नगर के अन्दर ले चला गया ।

तो दोस्तो ,आप सोच कर बताए कि वृद्ध का सुझाव ठीक है या नहीं , बांस को काटे बिना क्या द्वार से अन्दर लाया जा सकता है. कहानी से यह व्यक्त हुआ है कि दरअसल सफेद दाढी वाला वृद्ध घमंडी और बुद्धू व्यक्ति है ।