चीन स्थित भारतीय राजदूत आदरणीय सुश्री राव जी.
चीन स्थित बंगलादेश राजदूत आदरणीय अहमद जी,
मेहमानो और मित्रोः
नमस्ते ।
चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिन्दी सेवा के प्रसारण की 50वीं वर्षगांठ के सुअवसर पर मैं सी आर आई के सभी सदस्यों की ओर से आज के समारोह में आए सभी नेताओं और मेहमानों का हार्दिक स्वागत करता हूं। और सी आर आई हिन्दी प्रसारण को लगातार सहयोग और समर्थन देने वाले भारतीय दूतावास, चीनी व भारतीय मित्रों और श्रोताओं को तहेदिल से धन्यवाद देता हूं । मैं हिन्दी विभाग के नई व पुरानी पीढ़ियों के साथियों को भी हार्दिक बधाई देता हूं।
पूर्व के पुरातन सभ्यता वाले देश के रूप में चीन और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण आवाजाही का लम्बा इतिहास रहा है। 15 मार्च 1959 को चाइना रेडियो इंटरनेशनल के हिन्दी प्रसारण की औपचारिक शुरुआत हुई, जिस ने चीन भारत की परंपरागत मित्रता में चार चांद लगाने में भारी योगदान दिया है । चीन में हिन्दी प्रसारण की एकमात्र सेवा के रुप में सी आर आई की हिंदी सेवा ने भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में पिछले 50 साल में चीन और दक्षिण एशिया के बीच आकाशवाणी सेतु की भूमिका निभाई है और चीन और भारत के बीच आवाजाही व सहयोग बढाने में बड़ा योगदान दिया है।
बीती आधी सदी के विकास के फलस्वरूप सी आर आई हिन्दी सेवा ने शुरूआती काल के शॉट वेव प्रसारण से विकसित होकर अब शॉट वेव, परदेश में सीधा प्रसारण, इंटरनेट वेबसाइट और पत्रिका प्रकाशन समेत मल्टी मीडिया का रूप धारण कर लिया है और व्यापक श्रोताओं में खासी प्रतिष्ठा प्राप्त की है। अब सी आर आई हिन्दी प्रसारण सुनने वाले 680 श्रोता क्लब हैं। हर साल श्रोताओं के लगभग दो लाख पत्र प्राप्त होते हैं और सी आर आई हिन्दी वेबसाइट पर ऑन लोगिंग की मासिक मात्रा 6 लाख पहुंच गई है।
पिछले 50 सालों में सी आर आई हिन्दी विभाग के सदस्यों ने जी जान से चीन के हिन्दी भाषी रेडियो प्रसारण कार्य का विकास किया है, साथ ही चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए सराहनीय काम किए हैं। श्री सुन पाओ कांग, छन चुंग रून और छन ली शिंग आदि चीन के हिन्दी भाषा जगत के सुप्रसिद्ध विशेषज्ञ बने हैं । उन के द्वारा हिन्दी में अनुवादित थांग राजवंश के महान बौद्ध धर्माचार्य ह्वेनसांग की रचना《महान थांग राजवंश काल में पश्चिम की तीर्थ यात्रा का वृत्तांत 》और चीनी में अनुवादित भारतीय महाकवि टैगौर की रचनाएं दोनों देशों में काफी लोकप्रिय हुई हैं, इस के अलावा हिन्दी विभाग के लोगों द्वारा अनुवादित हिन्दी फिल्में व टीवी धारावाहिक भी चीनी दर्शकों में लोकप्रिय हैं।
पिछली आधी शताब्दी में बीते रास्ते का सिंहावलोकन करते हुए हम देखते है कि सी आर आई हिन्दी प्रसारण में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं। मैं आशा करता हूं कि हिन्दी विभाग के सभी साथी प्राप्त कामयाबियों के आधार पर और पूरिपूर्ण शक्ति से कार्यक्रम में सुधार करेंगे और सृजन करेंगे और नयी नयी उपलब्धियां प्राप्त करेंगे। इस साल, सी आर आई हिन्दी विभाग जोरदार रूप से काम के ढांचे का रणनीतिक रूपांतर करेगा और पहले के बेतार प्रसारण की प्रधानता को विकसित कर रेडियो प्रसारण एवं ऑन लाइन सेवा दोनों को प्रधानता देगा। बेतार प्रसारण के कार्यक्रम को रंगारंग व विविध बनाने के साथ साथ वेबसाइट के निर्माण पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा। इंटरनेट के माध्यम से श्रोताओं और पाठकों को समृद्ध ओडिया-वीडियो प्रोग्राम, तस्वीरें और लिखित सामग्री मुहैय्या कराई जाएगी। इस के अलावा हम परिपक्व श्रोता संघों की मदद से रेडियो कम्फ्यूसियस कक्षाएं खोलेंगे और चीनी भाषा सीखने में रूचि रखने वाले भारतीय मित्रों को चीनी भाषा पढ़ाएंगे तथा चीन व भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का नया आयाम विकसित करेंगे।
अंत में मुझे चीन और भारत में व्यापक प्रचलित एक हिन्दी वाक्य से अपना भाषण समाप्त करने की अनुमति दें।
हिन्दी चीनी भाई-भाई ।
धन्यवाद ।