2009-04-13 10:44:08

श्रीलंका सरकार ने अस्थाई युद्ध विराम की घोषणा की

श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिदा राजापक्से ने 12 तारीख को घोषणा की कि सरकारी सेना 13 व 14 तारीख को लडाई क्षेत्र में दो दिन के मानवीय युद्ध विराम की घोषणा की ताकि युद्ध क्षेत्र में फंसे नागरिक परंपरागत नया साल मना सकें और सरकार विरोधी सशस्त्र संगठन लि्टटे के नियंत्रण से निकल सकें ।स्थानीय विश्लेषकों के विचार में श्रीलंका सरकार ने अस्थाई तौर पर लिट्टे के खिलाफ फौजी प्रहार बंद कर दिया ,पर लिट्टे हारने की स्थिति नहीं बदल सकेगा ।

13 व 14 तारीख को श्रीलंका का परंपरागत सिंहाली व तमिल नया साल है ।श्रीलंकाई राष्ट्रपति भवन ने 12 तारीख को एक ब्यान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति लडाई क्षेत्र में फंसे नागरिकों की स्थिति पर बहुत चिंतित हैं ।वहां के नागरिकों का नया साल मनाने और लडाई क्षेत्र से निकलने के लिए सरकार ने 13 व 14 तारीख को लिट्टे के खिलाफ सिर्फ प्रतिरक्षा करने की फौजी कार्यवाही करने का फैसला किया ।ब्यान में फिर एक बार लिट्टे से फौजी हार मानकर आत्मसमर्पण करने और सदा से आतंकवाद व हिंसा छोडने का अनुरोध किया गया ।

फिलहाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अनेक लडाई में लिप्त श्रीलंका के दो पक्षों से फौजी कार्रवाई बंद करने और लडाई क्षेत्र से नागरिकों का निकलने देने की अपील की ।इस के बीच श्रीलंकाई सरकार ने अस्थाई युद्ध विराम करने की घोषणा की ।ध्यान रहे इधर कई महीने में श्रीलंका की सरकारी सेना ने लिट्टे के खिलाफ फौजी प्रहार को मजबूत किया और लिट्टे को एक छोटे इलाके में घेर दिया ।अंतरराष्ट्रीय समुदाय लडाई क्षेत्र में फंसे नागरिकों की स्थिति पर चिंतित है ।

इस महीने की 5 तारीख को श्रीलंकाई सेना ने उत्तर के मुलाइटिवू क्षेत्र में स्थित लिट्टे के अंतिम अड्डे को कब्जा कर लिया ,जिस से लिट्टे की बची खुची शक्ति व प्रमुख नेताओं को सरकार द्वारा नागरिकों के लिए निर्धारित सुरक्षा क्षेत्र में भागना पडा ।संयुक्त राष्ट्र की संबंधित संस्था के अनुसार सुरक्षा क्षेत्र 20 वर्ग किलोमीटर से छोटा है ,पर वहां लगभग 1 लाख तमिल नागरिक फंसे हैं ।श्रीलंकाई सरकार लिट्टे पर नागरिकों को अपहृत कर मानव ढाल के रूप में उन का इस्तेमाल करने का अरोप लगाती है ,जबकि लिट्टे सरकारी सेना पर सुरक्षा क्षेत्र पर हमला करने का आरोप लगाता ।

लडाई में नागरिकों की हताहत से बचना श्रीलंकाई सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है ।इस के साथ सुरक्षा क्षेत्र में फौजी काररवाई बंद करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आवाज बुलंद हो रही है ,जिस से श्रीलंकाई सरकार पर बडा दबाव भी पडा । 11 अप्रैल को लगभग 1 लाख प्रवासी तमिलों व उन के समर्थकों ने लंडन में प्रदर्शन किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से श्रीलंका सरकार को सहायता बंद करने की अपील ।इस के साथ फ्रांस व कुछ उत्तर यूरोपीय देशों में इस तरह का प्रदर्शन भी पैदा हुआ ।स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बडे दबाव के सामने श्रीलंकाई सरकार ने अस्थाई तौर पर दो दिन के युद्ध विराम की घोषणा की ।श्रीलंका सरकार की आशा है कि इस कदम से एक तरफ लडाई क्षेत्र में फंले नागरिकों को नया साल मनाने और वहां से निकलने का मौका मिलेगा ,दूसरी तरफ लिट्टे वर्तमान स्थिति साफ साफ देखकर आत्मसमर्पँण करेगा ।

पिछली सदी के 1980 वाले दशक से लिट्टे ने उत्तर व पूर्वी श्रीलंका में एक स्वतंत्र तमिल देश की स्थापना के लिए सरकारी सेना के साथ लडाई शुरू की ।अनेक सालों की टक्कर से 70 हजार से अधिक लागरिक मारे गये हैं ।इस फरवरी में अमरीका ,युरोपीय संघ ,जापान व नौवे ने संयुक्त ब्यान जारी कर लिट्टे से हथियार डालकर श्रीलंका सरकार के साथ वार्ता करने और राजनीतिक पार्टी के रूप में श्रीलंका की राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया में भाग लेने का अनुरोध किया ।पर श्रीलंका सरकार ने अनेक बार कहा कि अगर लिट्टे ने हथियार डालकर सरकारी सेना से शर्त बिना के आत्मसमर्पँण नहीं किया ,तो सरकारी सेना उस पर फौजी प्रहार बंद नहीं करेगी ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में वर्तमान स्थिति से देखा जाए सरकारी सेना द्वारा लिट्टे को पूरी तरह पराजित करना सिर्फ समय का सवाल है ।पर श्रीलंका सरकार को समझना चाहिए कि सिर्फ फौजी विजय से श्रींलका में चिरस्थाई शांति साकार नहीं होगी और जातीय सवाल का उचित समाधान भी नहीं होगा ।तमिलों व अधिकांश सिंहालियों के लिए स्वीकार्य राजनीतिक योजना तैयार करना श्रीलंका सरकार के सामने सब से बडी चुनौती है ।

© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040