2009-04-10 15:48:02

इराक की भावी परिस्थिति ध्यानाकर्षक

दोस्तो , 9 अप्रैल 2003 को अमरीकी सेना ने बगदाद में अतिक्रमण कर शहर के केंद्र में स्थापित सद्दाम की मूर्ति को हटा दिया । 6 साल के बाद के 9 अप्रैल को बगदाद शहर में इराक के खिलाफ अमरीकी अतिक्रमण के प्रतिरोध में विशाल जल्सा आयोजित हुआ । पिछले 6 सालों में इराक के भीतर अमरीका विरोधी भावना बराबर काफी तीव्र बनी हुई है , साथ ही इराकी परिस्थिति में बड़ा बदलाव भी आया है । सुरक्षा स्थिति काफी बेहतर है , प्रांतीय संसद का चुनाव सफल हुआ है , जबकि अमरीका सरकार ने आगामी 2011 के अंत से पहले अपनी सेना की पूरी वापसी की घोषणा भी की है । ऐसी स्थिति में इराक की भावी परिस्थिति पर लोकमत का व्यापक ध्यान केंद्रित हुआ है ।

भावी एक अर्से में अमरीकी सेना की वापसी इराक की स्थिति के विकास का जोर है । अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा द्वारा गत फरवरी में घोषित सेना वापसी योजनानुसार अमरीका आगामी 18 महीनों के भीतर अधिकतर लड़ाई टुकड़ियों को इराक से हटाया जायेगा , बाकी 35 हजार से 50 हजार सैनिक तब तक मिशन निभाते रहेंगे , जब तक अमरीकी सेना की वापसी पूरी न हो जाती । जबकि दो दिन से पहले ओबामा ने इराक की यात्रा पर बल देते हुए कहा कि अमरीका गत वर्ष में अमरीका व इराक के बीच हुए सुरक्षा समझौते का कड़ाई से पालन करेगा और अमरीकी टुकड़ियां आगामी 31 दिसम्बर 2011 से पहले पूरी तरह इराक से हट जाय़ेंगी । वर्तमान स्थिति से देखा जाये , अमरीका सरकार की इराक से सेना वापसी निश्चित हो गयी है ।

इराक बराबर अमरीकी सेना के हाथों अंदरूनी सुरक्षा नियंत्रण अधिकार के हस्तांतरण के लिये तैयारी कर रही है । चालू वर्ष के शुरु में इराकी प्रधान मंत्री मालिकी के नेतृत्व में चुनाव गठबंधन ने प्रांतीय संसदीय चुनाव में जीत लिया , इस से जाहिर है कि इराकी युद्ध को हुए 6 सालों के बाद मौजूदा इराक सरकार का आधार मजबूत हो गया है । साथ ही इराक सरकार भी समझ गयी है कि जबरदस्त सत्ता व सेना की स्थापना देश की रक्षा की नीव है । गत फरवरी को इराक ने अमरीका से लड़ाकू विमानों को समेत 5 अरब अमरीकी डालर के हथियार व ट्रेनिंग साज सामान खरीद लिये । नाना प्रकार के आसारों से साबित हो गया है कि इराक सरकार अब अमरीकी सेना के हाथों राष्ट्रीय सुरक्षा नियंत्रण अधिकार हस्तांतरित करने में संलग्न है ।

राष्ट्रीय सुलह को बनाये रखना इराक के विभिन्न जगतों का महत्वपूर्ण काम ही है । गत जनवरी के अंत में इराक ने 2005 के बाद पहला प्रांतीय संसदीय चुनाव किया , इस चुनाव की प्रक्रिया सफल तो है , पर काफी संतोषजनक नहीं कहा जा सकता । क्योंकि विभिन्न पक्षों के बीच तेल के अहम कस्बे किर्कुक को लेकर गम्भीर मतभेद मौजूद हैं , इसलिये यह चुनाव सिर्फ कुल 18 प्रांतों में 14 प्रांतों में हुआ , बाकी प्रांतों में कब चुनाव होगा , अब कहना कठिन है । इस के अतिरिक्त हाल ही में इराक में हुई ताबड़तोड़ हिंसक घटनाएं बेहद चिन्ताजनक हैं । अमरीकी सेना की वापसी इराकी सुरक्षा स्थिति पर असर डालेगी या नहीं , लोगों में इस बात को लेकर शंका पैदा हुई है । इसलिये इराक सरकार के लिये राष्ट्रीय सुलह की प्रक्रिया को गति देना जरूरी है , नहीं तो इराकी परिस्थिति पर कुप्रभाव पड़ेगा , यहां तक कि अमरीकी सेना की वापसी को इराक में अस्तित्व रहने का तर्क मिलेगा ।

इस के अलावा आर्थिक विकास को जोरशोर से बढावा देना भी इराकी युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण का प्राथमिक कार्य भी है । इराक एक बड़ा तेल उत्पादक देश है , वहां का तेल भण्डारण सऊदी अरब के बाद विश्व में दूसरा नम्बर आता है । लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में तेल की खुदाई व निर्यात करना कठिन है । गत वर्ष में इराक सरकार ने तेल कानून का मसौदा विचारार्थ के लिये संसद को दिया , यह कानून मसौदा तेल की खुदाई में विदेशी पूंजी आकर्षित करने पर सहमत है , लेकिन यह मसौदा विभिन्न पक्षों के बीच तेल साधन के बंटवारे से उत्पन्न विवादों से टल गया । अतः इराक की भावी बहाली बड़ी हद तक आर्थिक पुनरुत्थान पर निर्भर रहेगी ।