चीन के तिब्बत स्वयात्त प्रदेश के अली क्षेत्र के फूलान काउंटी के उत्तरी भाग में एक देवता तालाब के नाम से जाना माना माफांगयुंगछो तालाब है, इस तालाब के उत्तरी भाग के कैलाश पर्वतमाला में एक पवित्र पर्वत नाम का पहाड़ है जहां साल भर बर्फ जमी रहती है, इस पर्वत का नाम है कांगरनपोची पर्वत। आज हम आप को इस पवित्र पर्वत के तले एक स्कूल का दौरा कराएगें।
जब भी देश विदेश के पर्यटक मन में पवित्र भावना भरे इस देवता पर्वत की सैर करने आते हैं तो पर्वत तले कतार में खड़ी एक एक तिब्बती शैली वाली इमारातों के दिवारों के अन्दर से निकली पढ़ने की आवाजों को सुन कर अपना पांव थाम लेते हैं , छात्रों के पढ़ने की ऊंची आवाज लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने से नहीं रोक पाती है। यदि इमारत की दीवार पर टंगे कांस्य बोर्ड पर लिखी तिब्बती, हान व अंग्रजी भाषा से पर्यटकों को यह न बताया जाए कि उक्त इमारत तिब्बत के अली कैलाश पर्वत का एक तिब्बती चिकित्सा स्कूल हैं, तो लोगों को इस इमारत के अन्दर के दिवार से निकली आवाज को पूजा पाठ भजन समझ कर गलतफहमी हो सकती है , ऐसा लगता है कि यह शायद कोई एक तिब्बती बौद्ध स्कूल होगा। कैलाश पर्वत तिब्बती चिकित्सा स्कूल के प्रिन्सिपल छीतानतोची ने हमें बताया हमारी यह इमारत मुख्य तौर से उस समय के अली क्षेत्र के कृषि व चरगाह इलाकों में चिकित्सा व औषधि की कमी होने की स्थिति को देखते हुए तथा वहां के अनाथ , गरीब व स्कूल से वंचित बच्चों को पनाह देने के मकसद से निर्मित की गयी थी, ताकि अनाथ व गरीब बच्चे यहां पर कुछ पढ़ लिखने के साथ चिकित्सा का ज्ञान भी पा सकें, यह इमारत हमारे देश विदेश के बन्धुओं व सरकार द्वारा प्रदत्त पूंजी सहायता से निर्मित की गयी है।
आठ साल पहले स्वीजरलैंड में रह रहे जापालांगच्ये और अन्य तिब्बती बन्धु अपने गृहस्थान अली गए । उन्होने अली क्षेत्र के तिब्बती अस्पताल के प्रबंधक, मशहूर तिब्बती चिकित्सक, अली क्षेत्र के पन धर्म के जीवित बौद्ध तांगचनवांगचे से मुलाकात की और एक तिब्बती चिकित्सा स्कूल का निर्माण करने के सुझाव पर विचार विमर्श किया। 1994 में जीवित बौद्ध तांगचनवांगचे और जापालांगच्ये आदि स्वीजरलैंड के तिब्बती प्रवासियों ने स्थानीय सरकार के साथ मिलकर संयुक्त पूंजी से उक्त तिब्बती चिकित्सा स्कूल का निर्माण करने का फैसला लिया।
इन सालों में स्वीजरलैंड के तिब्बती प्रवासियों ने कुल 50 लाख य्वान की धनराशि लगायी और हर साल इस स्कूल के छात्रों की पढ़ाई व जीवन के रोजमर्रा खर्चे के लिए अतिरिक्त 2 लाख य्वान भी प्रदान करते आए हैं।स्कूल के माननीय प्रिन्सिपल होने के नाते, 84 वर्षीय बड़ी उम्र के बावजूद भी जीवित बौद्ध तांगचनवांगचे हर साल खुद इस स्कूल में जाकर छात्रों के साथ पहाड़ पर जड़ी बूटियां ढूंढने व तिब्बती चिकित्सा सिद्धातों का ज्ञान प्रदान करने तथा छात्रों को तिब्बती चिकित्सा व औषधि की माहिरता हासिल करने में संलग्न रहे हैं।
कैलाश पर्वत चिकित्सा स्कूल में वर्तमान चार अध्यापक हैं, 54 छाताओं को प्रथम श्रेणी व द्वितीय श्रेणी में बांटा गया है, इन में अधिकतर अली क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल के चौथी क्लास शिक्षा स्तर वाले अनाथ व गरीब परिवारों से आए बच्चे हैं, हर एक छात्र के हर साल की 600 य्वान स्कूल फीस व जीवन का खर्चा सरकार उठाती है। हालांकि फीस माफ तो कर दी गयी है लेकिन यहां के छात्र पढ़ने में अत्यन्त परिश्रम करते हैं। स्थानीय सरकार व स्वास्थय विभाग के समर्थन व निर्देशन में यह मध्यम व्यवसायिक स्कूल फलता फूलता रहा है, स्थानीय किसानों व चरवाहों ने इस पर भारी प्रसन्नता प्रकट की है। छीतानतूची ने हमें बताया हमारे छात्र मुख्य तौर से तिब्बती चिकित्सा सिद्धांत व चिकित्सा बुनियादी ज्ञान सीखते हैं, ताकि भावी में चिकित्सा व स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाने में अपना योगादान कर सकें।
छात्रों की शिक्षा स्तर के अन्तर को लेकर कैलाश पर्वत चिकित्सा स्कूल ने छात्रों की शिक्षा स्तर के मुताबिक उन्हे अलग अलग कक्षाओं में बांटा है और कुछ पढा़ई में कठिनता महसूस करने वाले छात्रों को अलग से मदद देने आदि तरीकों से उनके स्तर को उन्नत करने के तरीके अपनाए हैं, समय पर स्नातक न हो पाने वाले छात्रों को जब तक वे स्कूल की पढ़ाई में उत्तीर्ण नहीं हो पाते है उन्हे तब तक स्कूल में अपनी पढ़ाई जारी रखने की इजाजत दी जाती है। स्कूल ने अन्य चिकित्सा स्कूलों के तिब्बती अध्यापक, प्रोफेसर व विशेषज्ञ अकसर स्कूल में पढ़ाने के लिए आमंत्रित भी किये जाते है। 2001 में प्रथम 40 स्नातक छात्रों में से 10 छात्रों ने अलग अलग तौर से तिब्बती चिकित्सा व छनतू चिकित्सा-औषधि विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने में सफलता हासिल की है। वर्तमान कैलाश पर्वत चिकित्सा स्कूल के स्नातकों की चिकित्सा ज्ञान आम तौर पर मध्यम पेशावर तकनीक स्तर तक जा पहुंची है और बुनियादी तौर से स्थानीय कृषि व चरगाह क्षेत्रों की चिकित्सा की जरूरत की मांग को पूरा कर लेने में सक्षम रही है।
स्कूल की पढ़ाई के बाद खुले समय में हमने स्कूल के छात्रों से बातचीत की। लोसांग नाम के विद्यार्थी ने हमें बताया कि वह फूलान काउंटी के मनश्यांग गांव के गरीब परिवार का छात्र है, स्कूल में तीन साल तक पढ़ रहा है, अब वह स्कूल के उच्च स्तरीय कक्षा में भर्ती हो गया है। सरकार के समर्थन व विदेशों के तिब्बती बन्धुओं की पूंजी सहायता से स्कूल उनका बहुत अच्छा ख्याल रखती है, उनकी शिक्षा में उन्नति होती रही है। उन्होने कहा कि स्कूल से स्नातक होने के बाद वे तिब्बत चिकित्सा कालेज में दाखिला लेगें और एक अच्छे चिकित्सक बनेगें ताकि अपने गांव व तिब्बती बन्धुओं के लिए तन मन से सेवा कर सकें।
अन्य एक विद्यार्थी कुंगच्वे ने हमें बताया सातवीं क्लास के समय घर की आर्थिक स्थिति बहुत बुरी थी, मुझे मजबूर होकर स्कूल छोड़ना पड़ा। इस स्कूल में पढ़ने आने पर मुझे बहुत ही खुशी है , मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं, इस लिए मैं बड़ी मेहनत से पढ़ता हूं। मेरी आशा है कि मैं ल्हासा चिकित्सा कालेज की परीक्षा में सफल होंगा। अपने गांव लौटने के बाद मैं एक अच्छा चिकित्सक बनूंगा और अपने बन्धुओं की पूरी तरह सेवा करूंगा। मैं अपनी वास्तविक कार्यवाही से समाज व विदेश के बन्धुओं के मदद व उनके प्यार के एहसान को अच्छी तरह चुकाउंगा।
कैलाश पर्वत का चिकित्सा स्कूल देवता तालाव व पवित्र पर्वत से सटा हुआ है, हर साल यहां बहुत से तीर्थयात्री व पर्यटक सैर सपाट करने आते हैं, लोगों की संख्या पहले के 8 हजार से साल ब साल बढ़ती जा रही है, पिछले साल 30 हजार तक जा पहुंची है। जितने भी पर्यटक यहां का सैर सपाट करने आते हैं, वे जरूर कैलाश पर्वत के चिकित्सा स्कूल को देखने आते हैं, और मौके पर वहां के चिकित्सकों से अपने रोगों का उपचार में मदद भी पाते हैं। पर्यटकों व तीर्थयात्रियों के आने से विद्यार्थियों को भी बाहर की दुनिया से संपर्क करने का अवसर मिला है और उनकी दृष्टि में भी विस्तार हुआ है।
कैलाशो पर्वत तिब्बती चिकित्सा स्कूल के प्रिन्सिपल छीतानतोची ने कहा कि स्कूल वर्तमान की बुनियाद पर अपने स्कूल की शिक्षा गुणवत्ता को अधिक बेहतर करेगा, छात्रों को अधिक चिकित्सा ज्ञान प्राप्त कर चिकित्सा माहिरता हासिल करने में अपना अथक प्रयास जारी रखेगा, ताकि देश विदेश के तिब्बती बन्धु हमारे उपर भरोसा रख सकें और तिब्बती चिकित्सा-औषधि के विकास के लिए अपना योगदान कर सकें।