2009-04-03 16:36:04

20 देश समूह शिखर सम्मेलन विश्व अर्थतंत्र के पुनरूत्थान के लिए भारी महत्व रखता है

20 देश समूह के नेताओं का दूसरा वित्त शिखर सम्मेलन 2 तारीख को लन्दन में सपन्न हुआ। चीन के संबंधित विशेषज्ञों का मानना है कि उपस्थित नेताओं ने अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन में पूंजी वृद्धि व वित्तीय निगरानी व प्रबंधन को प्रगाढ़ करने के मुददे पर अनेक सहमतियां हासिल की है, जो विश्व अर्थतंत्र के पुनरूत्थान को आगे बढ़ाने के लिए भारी महत्व रखता है। लीजिए सुनिए इस विषय पर एक सामयिक वार्ता।

लन्दन वित्त शिखर सम्मेलन की शुरूआत से पहले, फ्रांस, जर्मनी व अमरीका आदि विकसित देशों के बीच , विकासशील देशों और विकसित देशों के बीच सम्मेलन के मुख्य मुददे पर कुछ मतभेद मौजूद थे, इस पर अन्तरराष्ट्रीय लोकमतों ने इस बार के सम्मेलन को वास्तुगत सफलता पाने या न पाने पर व्यापक संदेह जाहिर किया। लेकिन लोगों के अनुमान से बिल्कुल अलग है कि उपस्थित विभिन्न देशों के नेताओं ने लगभग सभी मुख्य मुददों पर मतैक्य हासिल कर लिया है। चीनी अन्तरराष्ट्रीय सवाल अनुसंधान प्रतिष्ठान के अर्थतंत्र राजनियक व सुरक्षा अनुसंधान केन्द्र के निदेशक च्यांग याओ छुन का मानना है कि विभिन्न देशों द्वारा अपने मतभेदों को हल कर सकने से यह साबित होता है कि सभी को एक साथ मिलकर अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट को हल करने की जरूरत का अहसास हुआ है। उन्होने कहा(आवाज 1) यह साफ है कि चाहे विकसित देश हो या विकासशील देश सभी को यह अहसास हुआ है कि अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट सभी देशों से संबंध रखता है। इस लिए इस तरह की सहयोग इच्छा पहले से अधिक प्रबल हो गयी है, सभी का मानना है कि वित्तीय संकट के आगे सचमुच एक साथ इस का निपटारा करने की जरूरत है। इस बार के सम्मेलन की प्रमुख उपलब्द्धि यह है कि सभी देशों की मांग को उपलब्द्धियों में प्रतिबिंबित किया है,यह लोगों के अनुमान से बाहर रहा है।

इस बार के शिखर सम्मेलन में उपस्थित सदस्य देशों ने आई एम एफ आदि बहु पक्षीय अन्तरराष्ट्रीय वित संस्थाओं में अतिरिक्त 11 हजार अमरीकी डालर डालने पर रजामन्दी जाहिर की, ताकि कठिनाई से जूझ रहे देशों को मदद दी जा सके। चीन के आधुनिक अन्तरराष्ट्रीय संबंध अनुसंधान प्रतिष्ठान के विश्व अर्थतंत्र अनुसंधान विभाग के निदेशक छन फंग इन का मानना है कि उक्त अतिरिक्त पूंजी वृद्धि कुछ दिवालिया देशों को कठिनाईयों की दलदल से निकलने में मदद देने का महत्वपूर्ण अर्थ रखती है। उन्होने कहा(आवाज 2) फिलहाल अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था में आई एम एफ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। वित्तीय संकट के उत्पन्न होने के बाद से विश्व में 30 से अधिक देशों को पूंजी एकत्र करने की कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है, उन्हे आई एम एफ की सहायता की जरूरत है, लेकिन आई एम एफ पहले की पूंजी केवल 2 खरब 50 अरब अमरीकी डालर ही है, फिलहाल ये पूंजी खर्च हो चुकी है, इस लिए आई एम एफ में पूंजी में सतत वृद्धि करना ,छोटे देशों को वित्तीय संकट का हल करने में मदद देने के लिए बहुत अच्छी होगी।

इस के अलावा, सम्मेलन ने एक नयी वित्त सतत कमेटी का निर्माण कर पहले के वित्त सतत मंच की जगह लेने का फैसला किया, ताकि अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन के साथ वैश्विक समग्र अर्थतंत्र व वित्तीय बाजार की जोखिमता पर निगरानी रखकर पूर्व चेतावनी देने की भूमिका अदा कर सके। विश्व अर्थतंत्र सवाल के विशेषज्ञ छन फंग इन ने कहा कि इस बार के शिखर सम्मेलन ने वित्तीय निगरानी व प्रबंधन पहलु में अनेक व्यापक कार्यवाहियां पेश की हैं और उसकी शक्ति बहुत बड़ी रही है। उन्होने कहा (आवाज 3) एक तो निगरानी व प्रबंधन का पैमाना बहुत चौड़ा है, इस के अलावा, वित्तीय स्थिरता मंच के स्थान को फिलहाल वित्तीय सतत कमेटी ने ले लिया है. इस तरह वित्तीय सतत कमेटी आई एम एफ के साथ मिलकर विश्व की वित्त निगरानी व प्रबंधन करेगी, मेरे ख्याल में यह शक्ति पहले से कहीं अधिक प्रबल हो गयी है।

इस के अतिरिक्त 20 देश समूह के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य के लिए विकासशील देशों को सहायता देने के अपने वचनों को निभाने का निर्णय भी लिया है। चीनी अन्तरराष्ट्रीय सवाल अनुसंधान प्रतिष्ठान के अर्थतंत्र राजनियक व सुरक्षा अनुसंधान विभाग के निदेशक च्यांग याओ छुन का मानना है कि विभिन्न देशों के नेताओं के बीच कुछ महत्वपूर्ण मुददों पर मतैक्य हासिल करने से विश्व अर्थतंत्र के पुनरूत्थान पर सकारत्मक प्रभाव डालेगी। लेकिन पहले के अनुभवों से देखा जा सकता है कि शिखर सम्मेलन अन्त में अपनी भूमिका निभा सकेगा या नहीं , ये इन उपलब्द्धियों को भावी में बखूबी अजांम देने पर ही निर्भर रहेगा। श्री च्यांग याओ छुन ने कहा(आवाज6) फिलहाल संपन्न समझौता पूरे अर्थतंत्र की बहाली के लिए एक बेहतरीन भूमिका निभाएगी। लेकिन हमें यह जरूर मालूम होना चाहिए कि हालांकि यह मतैक्य केवल सम्मेलन में लिखित दस्तावेज की धाराओं के रूप में संपन्न की गयी हैं, इस लिए विश्व अर्थतंत पर क्या प्रभाव डालेगी, हमें आखिर आने वाली कार्यवाहियों से ही मालूम हो सकता है।

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