2009-04-03 16:10:04

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में आज का मठ

ल्हासा के पश्चिमी उपनगर में स्थित दर्पोंग मठ गेलूग संप्रदाय के छै प्रमुख मठों में से एक है और ल्हासा में स्थित तीन मुख्य मठों में से एक भी। लोकतांत्रिक सुधार के बाद मठ के भिक्षुओं ने पानी के लिए पहाड़ पर चढ़ने तथा गर्मी के लिए गोबर जलाने के पुराने ढंग के जीवन को अलविदा कर दिया । मठ की लोकतांत्रिक प्रबंध कमेटी के प्रधान श्री आवांगतुंज्ये ने परिचय देते हुए कहा कि सरकार के अनुदान के अलावा अब तिब्बत में बहुत से मठ अपनी मेहनत से भी जीविका चलाते हैं। भिक्षु भिक्षुनी मठ की संपत्ति और अपने उत्पादन के सहारे कमाते हैं और मठ का संचालन करते हैं। उन की आमदनी पूरी तरह भिक्षुओं और मठ के हित में इस्तेमाल की जाती है। श्री आवांगतुंज्ये ने कहाः

"वर्तमान में दर्पोंग मठ के पास दुकान, चाय घर और एक क्लिनिक हैं। मठ ने आसपास की काऊंटियों में कुछ थोक दुकानें भी खोलीं और परिवहन का व्यवसाय चलाया । अब बड़ी संख्या में पर्यटक दर्पोंग मठ के दर्शन के लिए भी आते हैं ,इस से हमें दर्शन टिकट से भी मुनाफा मिलता है । हमारी आमदनी सीधे मठ के जीर्णोद्धार और भिक्षुओं के जीवन सुधार में इस्तेमाल की जाती है।"

चीन की केन्द्र सरकार भी हर साल मठ मंदिर और उस में सुरक्षित अवशेषों की सुरक्षा केलिए विशेष धनराशि देती है । 2006 से 2010 तक की 11 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान केन्द्रीय सरकार ने 57 करोड़ य्वान की राशि देने का निश्चय किया, जिस से जाशुलुंबो आदि 22 ऐतिहासिक ईकाइयों का संरक्षण किया जाएगा । जाशिलुंबो मठ की लोकतांत्रिक प्रबंध कमेटी के प्रधान सालुंग.प्यांगला ने कहाः

"लोकतांत्रिक सुधार, खास कर सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद सरकार ने मठ के जीर्णोद्धार और अवशेषों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया। जाशिलुंबो मठ देश की मुख्य संरक्षित ईकाइयों की सूची में शामिल किया गया । 1980 में केन्द्रीय सरकार ने मठ की मरम्मत के लिए 8 करोड़ य्वान की राशि प्रदान की । अब फिर 50 करोड़ य्वान की राशि निकाल कर जाशिलुंबो समेत 20 से अधिक मठों की मरम्मत की जा रही है। सिर्फ जाशिलुंबो मठ पर 13 करोड़ य्वान का प्रयोग हुआ है। सरकार यह भी कोशिश करती है कि जाशिलुंबो मठ हमेशा ऐसा शानदार रहेगा कि धर्मालंबी जब कभी आये, तो उन्हें मठ को भव्य और चमकता हुआ देखने को मिलेगा। एक तीर्थ स्थल होने के नाते जाशिलुंबो मठ हमेशा अनुयायियों के लिए खुला रहेगा, वे स्वतंत्रता के साथ इस में धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा ले सकते हैं।"

मठ संरक्षण के अतिरिक्त तिब्बत के विभिन्न मठ धार्मिक सिद्धांत और तिब्बती संस्कृति व इतिहास से ज्ञात उच्च स्तरीय धार्मिक लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। और आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक से लोगों को बौद्ध धर्म की संस्कृति से अवगत करते हैं।

तिब्बती बौद्ध धर्म के चार प्रमुख संप्रदायों में से एक साग्या का पितृक मठ साग्या मठ शिकाजे डिस्ट्रिक्ट के दक्षिण पश्चीमी भाग में साग्य काऊंटी में स्थित है, यहां न केवल साग्य संप्रदाय का सर्वोच्च स्तरीय धार्मिक प्रतिष्ठान खुला है, साथ ही कम्प्युटर प्रशिक्षण कक्षा और मठ की अपनी इंटरनेट वेबसाइट भी खोली गयी है। साग्या मठ की लोकतांत्रिक प्रबंध कमेटी के प्रधान पानत्यांत्वुयू ने इस के बारे में कहाः

"1999 में हमारे मठ ने कम्प्युटर प्रशिक्षण कक्षा खोली, अब साग्य वेबसाइट भी कायम किया, जिस में साग्य संप्रदाय के इतिहास और संस्कृति उल्लेखित हुए हैं । वर्तमान में सारे विश्व में भूमंडलीकरण और सूचना नेटवर्क का युग आया है, हमें अपने को बाह्य दुनिया से अलग कर स्वतः बन्द करने से बचना चाहिए और देश के दूसरे स्थानों और पूरे विश्व में अग्रसर होना चाहिए। अब साग्य आने की पूर्ण स्वतंत्रता है और कोई पाबंदी नहीं लगी है। हमारे धार्मिक प्रतिष्ठान में कांसू और सछ्वान प्रांतों से आए विद्यार्थी भी हैं।"

श्री पानत्यांत्वुयु ने कहा कि वर्तमान में साग्य मठ की तीर्थ यात्रा पर आने वाले अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मठ में दर्शन की सुविधाएं संतोषजनक हैं। मठ में आए भक्तों और पर्यटकों को इस पर बहुत संतोष हुआ है । 65 वर्षीय तिब्बती किसान लाच्युन अभी अभी मठ में तीर्थ यात्रा के लिए आ पहुंचा, उस का घर साग्य काउंटी के सीकांग कस्बे में है, जो साग्य से 10 किलोमीटर दूर है। हर बार वह गाड़ी या ट्रेक्टर से यहां आए । उन्हों ने कहाः

"लोकतांत्रिक सुधार से पहले हमारी जीवन बहुत दुभर था, मठ के दर्शन के लिए बहुत से कर का दान करना पड़ता था। लेकिन अब स्थिति एकदम बदली है, हमारे घर में छोटा सूत्र-कक्ष खुला है और साग्य मठ भी पहले से ज्यादा सुन्दर और आलीशान पुनः निर्मित किया गया है ।"

वर्तमान तिब्बत में मठ मंदिर न केवल धर्मालंबियों की तीर्थ यात्रा का स्थल है, साथ ही विश्वविख्यात पर्यटन स्थल और देश के सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण ईकाइ भी है। ल्हासा के केन्द्र में स्थित अहम तिब्बती बौद्ध मठ जोखांग 2000 में विश्व सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया गया और सारी मानव जाति की साझी संपत्ति बन गया । अब तिब्बती मठ मंदिर सारी दुनिया के लिए खुली है और वहां के लोगों का जीवन और अधिक सामंज्यसपूर्ण और सुखद हो रहा है।(श्याओ थांग)