2009-04-03 15:49:02

गाय के सामने साज बजाना

बहुत पहले की बात थी , एक दिन चीन के मशहूर तंतु वाद्य कलाकार कुंग मिन ई अपने घर में पालतु एक गाय को सुप्रसिद्ध प्राचीन धुन --छिन च्यो बजा बजा कर सुना रहे थे , यह धुन बहुत सुरीली और लोकप्रिय थी , कुंग मिन ई की वाद्य कला भी उच्च कोटि की थी , लेकिन इस सुरीली धुन सुन कर गाय में जरा भी प्रतिक्रिया नहीं हुई , वह बहरे की भांति चारा खाती रही । फिर कुंग मिन ई ने ऐसी आवाज की नकल कर उसे बजा बजा कर सुनाना शुरू किया ,जिस में गाय को काटने वाली मख्खियों की झनझनाहट तथा मादा गायों से अलग हुए गाय बच्चों का चिंतसे भरा असहाय पुकार सुनाई पड़ रहा था , इस प्रकार की धुन सुनकर गाय का चारा खाना बन्द हो गया , उस का सिर ऊपर उठा , कान खड़ी हो गई थी और दुम हिलने लगा । वह वहां पहलते टहलते कुंग मिन ई द्वारा बजायी गई धुन ध्यान से सुनने लगी ।

इस नीति कथा का अर्थ बहुत साफ है . इसे दो अर्थों में समझना चाहिए , पहले , यदि धुन बजा कर सुनाना चाहते हो , तो समझने वालों को बजाए जाए , दूसरे , यदि गाय को सुनाना चाहते हो , तो उस के समझने वाली आवाज बजायी जाए ।

                                                                    क्वो यांग का मकान

बहुत पहले की बात थी , चीन के किसी जगह क्वो यांग नाम का एक व्यक्ति रहता था , वह वाक्यपटु था , हमेशा अपने पर विश्वास करता था और दूसरों की बातें नहीं मानता । एक बार क्वो यांग के घर में नया मकान बनाया जा रहा था । जब उस ने राजी से तुरंत काम शुरू करने की मांग की , तो राजी ने उसे समझाया कि अभी ठीक नहीं है , क्यों कि लकड़ी अभी पूरी तरह सूखा नहीं है , अगर गली लकड़ी पर किचड़ लगायी जाए , तो भारी भार से लकड़ी में मोड़ आएगा । नई नई काटी हुई गली लकड़ी से मकान खड़ा किया जाए , शुरूआत में वह तैयार तो बन जा सकता है , पर कुछ दिन के बाद मकान ढ़ह सकता है । राजी की बातों पर क्वो यांग ने तुरंत तर्क वितर्क कर कहा कि तुम्हारे कहने से सोचा जाए , ऐसा मकान जरूर नहीं ढ़ह जाएगा , क्यों कि समय के बीतते लकड़ी सूखा जाएगी , वह ऐर मजबूत हो जाएगी , जबकि गली मिटी सूखने के बाद हल्की हो जाएगी , तब मजबूत लकड़ी पर हल्की मिटी पड़ने से मकान कैसा ढ़ह सकता । क्वो यांग की वितर्क बातो ने राजी के मुह को बन्द कर दिया , उस ने गुस्से में आकर तुरंत काम शुरू करि दिया । नया मकान बन कर तैयार हो गया , देखने में बड़ा आलीशान भी लगा । किन्तु कुछ दिनों बाद मकान पर लगायी गई लकड़ियों में मोड़ आया , मकान भी खराब हो कर ढ़ह गया ।

कहते हैं कि वाक्यपटु लोग दूसरों के मुह को बन्द तो कर सकता है , लेकिन जब प्राकृतिक नियम का उल्लंघन कर काम करता है , तो वह जरूर विफल होता है । मकान बनाने में भी नियम होता है , उस का नहीं पालन किया जाने से मकान ढ़ह जाएगा । वैसे ही दूसरा काम करने का भी नियम होता है , उस का पालन करना चाहिए ।

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