2009-04-02 17:11:51

सुन्दरी की नकल

आज से दो हजार वर्ष पहले , दक्षिण चीन के य्यु राज काल में सी-श नाम की युवती इतनी खूबसुरत थी , उस की प्रसिद्ध चारों तरफ फैल गई थी । उस के हर हाव भाव देखने में सुन्दर लगते थे । आमाश की बीमारी के दर्द से सी -श का माथा अकसर सिकुड़ जाता था और दोनों हाथ छाती को रख कर चलती थे । बीमारी से पैदा उस के ऐसे हाव भाव भी लोगों को बहुत पसंद आते थे और उन की नजर सी -श इस अवसर पर सामान्य समय से भी अधिक प्यारी लगती थी ।

सी -श के गांव में एक कुरूप लड़की रहती थी , जिस का नाम तुंग -श था । वह समझती थी कि सी-श इसलिए सुन्दर मानी जाती है ,चूंकि वह अकसर छाती पर हाथ मसलते हुए चलती है और उस का माथा सिकुड़ जाता है । अतः उस ने सी -श की नकल करने का निश्चय किया , वह जब कभी बाहर घूमने जाती थी , तो वह भी छाती पर हाथ रखे हुए माथा सिकोड़ते चल रही थी , मानो वह इतनी दुबली होती हो कि हवा को भी सह नहीं सकती । किसी प्रकार की बीमारी नहीं पड़ने पर जान बुझ कर इस प्रकार का हाव भाव बना कर दिखाने के परिणामस्वरूप तुंग -श के प्रति लोगों के दिल में बड़ी घृणा पैदा हुई , इसलिए जब कभी तुंग श बाहर निकलती थी , तो पास पड़ोस के लोग तुरंत अपने घर के दरवाजे बन्द कर देते थे ,उस की साया से दूर रहने की हर सभव कोशिश करते थे और कुछ गांव वासी घर छोड़ कर दूसरे गांवों में बसने भी गए थे ।

दोस्तो , यह नीति कथा चीन में काफी मशहूर है , आज भी लोग इस का ऐसे लोग की आलोचना करने के लिए इस्तेमाल करते हैं , जो अपनी वास्तविकता के विपरित दूसरों की नकल करते है और अपना चाहे का परिणाम निकलता है ।

पुत्र और पड़ोसी

प्राचीन काल में सुंग राज्य में एक अमीर व्यापारी रहता था । एक दिन भारी वर्षा से उस के घर की दीवार का एक भाग ढ़ह गया । वर्षा थम जाने के बाद उस के पुत्र ने उसे कहा, पिता जी , जल्दी से एक ---- को बुला कर दीवार का पुनः निर्माण करवाए , वरना चोर हमारे घर घुस कर चीजों की चोरी कर सकेगा । इसी समय , पड़ोस के एक वृद्ध ने भी अमीर को समझाया कि टूटी हुई दीवार जल्दी से ठीक बनवायी जानी चाहिए । चोर बहुत है , दीवार टूट जाने से वे अन्दर घुस सकेंगे । लेकिन उसी दिन की रात चोर दीवार के टूटे हुए भाग से अन्दर घुसे और बहुत सी मूल्यवान चीजें ले कर भागे । इस घटना को लेकर अमीर व्यापारी ने अपने पुत्र की बड़ी तारीफ करते हुए कहा कि उस ने घटना से पहले ही ठीक सोच विचार कर सुझाव दिया है । लेकिन जिस पड़ोसी ने भी उस के पुत्र का समान सुझाव रखा था , उसे अमीर व्यापारी संदेह की नजर से देखने लगा , वह सेचता था कि कही यह वृद्ध पड़ोसी चोर तो नहीं ।

कथा की शिक्षा है कि एक ही चीज को दो बिलकुल विपरित दृष्टिकोण से देखना ठीक नहीं है । समान सुझाव देने पर अमीर पुत्र की तारीफ करता था , पर पड़ोसी पर शंका करता था , अपने परिवार जन पर विश्वास था , दूसरों पर अविश्वास , स्थिति को समझने का यह गलत तरीका है ।

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