2009-04-01 10:46:37

जी 20 वित्तीय शिखर सम्मेलन लंदन में होगा

जी 20 वित्तीय शिखर सम्मेलन दूसरी अप्रैल को लंदन में होगा। विश्व के प्रमुख आर्थिक समुदायों और नवोदित आर्थिक समुदायों के नेता सम्मेलन में विश्व वित्तीय संकट के मुकाबले के बारे में विचार विमर्श करेंगे । माना जाता है कि लंदन सम्मेलन वर्तमान विश्व आर्थिक मंदी की नाजुक घड़ी में आयोजित होने वाला एक अहम सम्मेलन है । विश्लेषकों का कहना है कि शिखर सम्मेलन में मतभेद होने के बावजूद कुछ विषयों पर सहमति पाने की संभावना है।

मौजूदा सम्मेलन में नेतागण मुख्यतः समग्र विश्व अर्थ नीतियों में समन्वय बढ़ाते हुए आर्थिक पुनरूत्थान को प्रेरित करने, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी मजबूत करने, अन्तरराष्ट्रीय वित्त बाजार को स्थिर बनाने तथा अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के सुधार के बारे में रायों का आदान प्रदान करेंगे । इसके अलावा सम्मेलन में गरीब देशों को वित्तीय संकट का मुकाबला करने में मदद देने, वित्तीय व व्यापारिक संरक्षणवाद का विरोध करने आदि सवालों पर भी विचार विमर्श किया जाएगा।

लोकमतों का कहना है कि मौजूदा सम्मेलन में एकीकृत सकल विश्व आर्थिक प्रेरणा योजना बनाने की कोशिश एक महत्वपूर्ण विषय है। लेकिन इस सवाल पर अभी अमरीका और यूरोपीय संघ के देशों में बड़ा मतभेद है । अमरीका चाहता है कि अन्य देश उस के साथ बड़े पैमाने वाली वित्तीय प्रोत्साहन योजना लागू करें । अमरीका के अन्तरराष्ट्रीय अर्थ मामले के जिम्मेदार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार फरोमन ने हाल में एक न्यूज ब्रिफींग में कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा शिखर सम्मेलन में विश्व आर्थिक पुनरूत्थान के लिए विशाल प्रोत्साहन योजना की आवश्यकता पर बल देंगे। लेकिन यूरोपीय संघ के देशों ने अपने हालिया वसंतकालीन सम्मेलन में कहा कि यूरोपीय संघ के देशों ने आर्थिक प्रेरणा की शक्ति और बढ़ाने पर अनिच्छा प्रकट की । जर्मन प्रधान मंत्री मेर्केल ने कहा कि बहुत से यूरोपीय देशों ने आर्थिक प्रेरणा के लिए भारी पूंजी लगायी है, उन का नतीजा देखा जाना चाहिए, फिर अगला कदम उठाने पर सोच विचार किया जाना चाहिए। जाहिर है कि जी 20 सम्मेलन में अमरीका और यूरोप अपने अपने रूख का व्याख्या करेंगे । फिर भी दोनों पक्ष सम्मेलन में मतभेद को कम करने की कोशिश कर सकेंगे और आर्थिक पुनरूत्थान के समान लक्ष्य के लिए संतुलित काम करेंगे।

विश्लेषकों का कहना है कि यद्यपि आर्थिक प्रोत्साहन योजना पर मतभेद मौजूद है, तथापि विश्व वित्तीय संकट का मुकाबला करना वर्तमान का फौरी जरूरी काम है, इसलिए विश्व आर्थिक पुनरूत्थान साकार करने के मुख्य लक्ष्य पर मौजूदा सम्मेलन मं कुछ सहमतियां अवश्य प्राप्त होंगी।

पहले, कुछ देशों में वित्तीय व व्यापारिक संरक्षणवाद का सिर उठने के रूझान के मुद्देनजर सम्मेलन में उपस्थित नेतागण समान रूप से पूंजी निवेश व व्यापार के संरक्षणवाद का दृढ विरोध करेंगे और विश्व आर्थिक पुनरूत्थान को शीघ्र ही साकार करने की कोशिश करेंगे और दोहा वार्ता को आगे बढ़ाने की अपील करेंगे।

दूसरे, गरीब देशों द्वारा वित्तीय संकट का सामना करने के लिए नेतागण गरीब देशों को सहायता देने का वचन देंगे, ताकि गरीब देशों को संकट से उद्धार मिले। संयुक्त राष्ट्र महा सचिव बान की मून ने हाल ही में शिखर सम्मेलन के नेताओं के नाम अपने पत्र में बलपूर्वक कहा कि विकासमान देशों को सहायता बढ़ाना चाहिए । व्यापक समर्थन के चलते इस सवाल पर सम्मेलन में सहमति प्राप्त होगी।

इसके अलावा अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय सुधार के क्षेत्र में सम्मेलन में उपस्थित नेतागण मुख्यतः अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक में पूंजी बढ़ाने पर भी विचार करेंगे और विश्व वित्तीय संकट को रोकने के लिए निगरानी और पूर्वचेतावनी की शक्ति बढ़ाने की कोशिश करेंगे। सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक मामलों में विकासशील देशों के स्थान पर भी विचार विमर्श किया जाएगा, संबंधित देश नवोदित बाजार व विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व और बोलने के अधिकार को मजबूत करने की अपील भी करेंगे । इन विषयों पर सहमति प्राप्त होने की आशा है।

चाहे सम्मेलन में विभिन्न प्रमुख विषयों पर संपूर्ण सहमति होगी या नहीं, पर यह निश्चित है कि मौजूदा जी 20 शिखर सम्मेलन दुनिया को यह साफ संकेत देगा कि विश्व के जीडीपी के 85 प्रतिशत के हिस्से वाले देशों के नेता अब एकजुट होकर आवश्यक कदम उठाएंगे और विश्व आर्थिक मंदी रोकने की कोशिश करेंगे । दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमरीका के नेतृत्व वाली वित्तीय व्यवस्था तथा वित्तीय ढांचे का अंत होने की स्थिति बन गयी है, अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक समायोजन पद्धति में विकासशील देशों का स्थान उन्नत होगा। इस तरह अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक वार्तालाप में एक नया संतुलन होगा।

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