जी 20 समूह नेतओं का दूसरा वित्त शिखर सम्मेलन 2 अप्रेल को लन्दन में शुरू होगा। अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट के निरंतर फैलने, वैश्विक अर्थतंत्र स्थिति अहम जटिल होने की परिस्थिति में विभिन्न देशों ने इस सम्मेलन पर भारी उम्मीद जतायी है। शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष देश ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ब्रांउड ने कुछ समय पहले कहा था कि चीन संबंधित अन्तरराष्ट्रीय सलाह मश्विरा का महत्वपूर्ण भागीदार है, यह शिखर सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है। संबंधित विशेषज्ञों ने कहा है कि विश्व अर्थतंत्र वृद्धि का महत्वपूर्ण इंजन होने के नाते, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट समस्या के आगे चीन अपनी शक्ति के अनुरूप रजनात्मक भूमिका अदा करेगा और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर इस कठिन समस्या का हल करेगा। लीजिए प्रस्तुत है एक सामयिक वार्ता।
बाहरी जगत ने चीन के इस शिखर सम्मेलन की भूमिका पर उंची अपेक्षा रखी है, चीन खुद भी इस सम्मेलन पर उंची अपेक्षा रखता है। चीनी सहायक विदेश मंत्री हे या फिंग ने चीन के इस शिखर सम्मेलन की अपेक्षा पर पांच सुझाव रखे हैं। उन्होने कहा(आवाज 1) पहले, विभिन्न पक्षों को उन्मुख भावना से एकता को मजबूत कर बाजार को प्रफुल्लित करना व जनता के हौसले को बढ़ाना है। दूसरा, विभिन्न पक्षों द्वारा अपने देश की स्थिति के अनुसार अर्थतंत्र उत्तेजन योजना को निरंतर आगे बढ़ाते हुए समग्र अर्थतंत्र नीति में समन्वय बिठाना है। तीसरा, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था के सुधार में सार्थक प्रगति हासिल करना, विशेषकर नवीन बाजार के पुनरूत्थान व विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व के बोलने के अधिकार को उन्नत करना। चौथा, व्यापारिक संरक्षणवाद का दृढ़ता से विरोध करते हुए दोहा राउंड वार्ता में सर्वोतोमुखी व संतुलन परिणाम को आगे बढ़ाना। पांचवा, विकास सवाल पर ध्यान देना, विशेषकर वित्तीय संकट के कारण विकासशील देशों की सहायता में कटौती करने की कार्यवाही से बचना।
उक्त पांच सूत्रीय सुझाव से देखा जा सकता है कि चीन लन्दन शिखर सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ हाथ में हाथ डाले सहयोग के आधार पर मिलकर इस कठिन स्थिति को सुलझाने का संदेश देने की आशा करता है। अन्तरराष्ट्रीय सवाल के विशेषज्ञ, पेइचिंग नार्मल यूनिवर्सिटी के राजनीतिक व अन्तरराष्ट्रीय संबंध कालेज के उप कुलपति ,प्रोफेसर चांग संग चिन का मानना है कि चीन इस शिखर सम्मेलन में रचनात्मक निर्माण भूमिका अदा कर सकता है। उन्होने कहा(आवाज 2) चीन के इस वित्तीय शिखर सम्मेलन की भूमिका के बारे में मेरे ख्याल में विश्व को समग्र अर्थतंत्र नीति में समन्वय को प्रगाढ़ कर एक साथ कठिन स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश करनी है, चीन इस पहलु में एक रचनात्मक भूमिका अदा कर सकता है।
चीन के केन्द्रीय बैंक यानी चीनी जन बैंक के गवर्नर चओ श्या छुआन ने हाल ही में कहा कि प्रभुसत्ता देश से संबंध न रखने वाली , एक स्थिर मुद्रा वाली अन्तरराष्ट्रीय रिजर्व मुद्रा का निर्माण किया जाना चाहिए। इस सुझाव को रूस और ब्राजील आदि देशों का समर्थन मिला है, अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के महा निदेशक स्ट्रोस खाहन ने इस सुझाव का भी स्वागत किया। श्री चओ श्याओ छुआन के सुझाव पर वित्तीय सवाल के विशेषज्ञ, केन्द्रीय वित्त यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हान फू लिंग ने इस का मूल्यांकन करते हुए कहा(आवाज 3) चीन के अर्थतंत्र शक्ति के प्रगाढ़ होने के चलते, चीन का पात्र पहले के केवल गेम की भागीदारी देश से गेम के नियमों का निर्धारण करने वाले देश की भूमिका में बदलना चाहिए । चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है, करीब 20 खरब अमरीकी डालर है। चीन के अपने हितों को लेकर कहा जाए या भावी के अगले दौर की अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था के विकास को लेकर कहा जाए, चीन को अपनी आवाज बुलन्द करनी चाहिए।
हालांकि चीन अपनी यथासंभव कोशिशों से अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, तो भी कुछ पश्चिमी देश भारी विदेशी मुद्रा भंडार वाले चीन को अधिक योगदान करने की आशा लगाए हुए हैं, मिसाल के लिए आई एम एफ में पूंजी डालना, ताकि अर्थतंत्र कठिनाईयों से जूझ रहे देशों को मदद दी जा सके। इस पर चीनी उप प्रधान मंत्री वांग छी सान ने हाल ही में ब्रिटिश अखबार दी टाइम्स पर एक आलेख प्रकाशित करते हुए कहा कि चीन आई एम एफ में पूंजी लगाने का समर्थन करता है और विभिन्न पक्षों के साथ सक्रियता से पूंजी एकत्र करने के तरीकों व यथासंभव योगदान देने का इच्छुक है। लेकिन पूंजी लगाने के पैमाने पर विभिन्न देशों के विकास दौर व औसत व्यक्तिगत जी डी पी के स्तर पर तथा अपने देश की अर्थतंत्र सुरक्षा की निर्भरता सीमा के भारी अन्तर आदि मुददों पर गंभीर रूप से विचार करना चाहिए।
प्रोफेसर चांग सान चिन का मानना है कि चीन अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट सवाल में अपनी भूमिका अपने खुद की शक्ति के अनुरूप होना चाहिए। उन्होने कहा(आवाज 4) चीन को अन्तरराष्ट्रीय संगठनों में अपनी आवाज अधिकार व नियमों के निर्धारण की क्षमता को उन्नत करना चाहिए। लेकिन मौजूदा वित्तीय संकट में चीन अपना कितना योगदान कर सकता है इस सवाल पर चीन को अपनी असली शक्ति पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, चीन को दुनिया को बचाने की शक्ति काबलिता हासिल नहीं है।
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