जर्मन《जुन्गे वेल्ट》ने 27 तारीख को《भूदास व्यवस्था की समाप्ति》शीर्षक लेख प्रकाशित कर तिब्बत में दस लाख भूदासों के मुक्ति दिवस के ऐतिहासिक अर्थ का सकारात्मक मूल्यांकन किया ।
जर्मन चीनी शास्त्र विद्वान, मार्बर्क विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र प्रोफैसर हान्स हेइन्ज़ होल्ज़ ने इस लेख में कहा कि तथाकथित तिब्बती निष्कासित सरकार पहले शोषकों की प्रतिनिधि संस्था है । दलाई लामा ने जिस स्वतंत्रता की चर्चा की है , वह मुट्ठी भर शोषकों की जनता का शोषण करने वाली ही है । दलाई की धार्मिक व राजनीतिक अधिकार संपन्न व्यवस्था कोई धार्मिक संस्कृति नहीं है , वह आदिम शोषण व प्रशासनिक व्यवस्था है ।
लेख में कहा गया कि लोगों को भूदास व्यवस्था की समाप्ति को मनाने का पर्याप्त तर्क हैं , क्योंकि यह मानवाधिकार की विजय ही नही,《संयुक्त राष्ट्र चार्टर》को मूर्त रूप दिया गया है ।
लेख में कहा गया कि दलाई लामा के पूर्व निवास स्थान और उस के अधिकार का प्रतीक---पोटाला महल आज संग्रहालय बन गया । तिब्बत के इतिहास में लामा का प्रशासन काल एक सीमित दौर मात्र ही है, बल प्रशासकों का भवन आज जनता का भवन बन गया, यह नये युग का द्योतक भी है ।(श्याओ थांग)