युरोप के सब से बड़े चीनी भाषी अखबार《युरोप टाइम्स》ने 27 तीरीख को अपनी वेब साइट पर संपादकीय जारी कर कहा कि तिब्बत में भूदास व्यवस्था की समाप्ति समकालीन मानवीय सजग आंदोलन के बाद की मानवाधिकार की जागृति है । पिछले 50 वर्षों में तिब्बत के विकास को दलाई ग्रुप नहीं नकारा सकता ।
संपादकीय में कहा गया कि पचास साल पूर्व यानी 28 मार्च 1959 को तिब्बत की जनसंख्या के 95 प्रतिशत वाले भूदासों को मुक्ति मिली । तत्काल में तिब्बत की यात्रा कर रहे अमरीकी लेखक अन्ना लुइस स्ट्रोंग ने अपने अनुभव के आधार पर लिखी《तिब्बती भूदास उठ खड़े हुए हैं》नामक किताब में तिब्बत के जनवादी सुधार की वस्तुगत स्थिति का विवरण दिया है और यह उस काल में पश्चिमी देशों का तिब्बत से परिचित होने का एक झरोखा बन गयी ।
संपादकीय में कहा गया कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के बाद तिब्बती भूदासों को मुक्ति मिली ही नहीं, तिब्बत ने इन्टरनेट वाला युग में प्रवेश किया । पेट भर खाने व कपड़े पहनने से शिक्षा और परम्पराओं से आज तक तिब्बत में जो उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं , उन्हें दलाई ग्रुप व अपनी तथाकथित निष्कासित सरकार हरगीज़ नहीं नकारा सकती ।