2009-03-27 17:45:50

पर्यटन कार्य से तिब्बत के आर्थिक विकास को बढावा मिला

दोस्तो , तिब्बत अपनी विशेष ऐतिहासिक संस्कृति व प्राकृतिक सौंदर्य से सारे विश्व के पर्यटकों को मोहित करता आया है । सुधार व खुले द्वार नीति लागू किये जाने के बाद , खासकर 2007 में छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन की सेवा शुरू होने के बाद तिब्बत का पर्यटन व्यवसाय का विकास जोरों पर है , जिस से स्थानीय आर्थिक विकास व जन जीवन में सुधार को बढ़ावा मिला है ।

तिब्बत में प्राचीन मठों व अनुपम प्राकृतिक दृश्य ही नहीं , तिब्बत की अलग ढंग वाली शिल्पी कृतियां भी बहुत से पर्यटकों को मोह लेती हैं । परम्परागत जातीय शिल्प कलात्मक कृतियां तिब्बती जातीय संस्कृति की दीर्घकालीन निचोड़ है , उन की विशेष कलाएं , आकार प्रकार व डिजाइनें तिब्बत की यात्रा पर जाने वाले हरेक पर्यटक को गहरी सांस्कृतिक आभास दे सकती हैं । तिब्बती कालीन तिब्बत की पारम्परिक जातीय दस्तकारी कृतियों का आसाधारण प्रतिनिधि है ।

ल्हासा शहर के छंगक्वान डिस्ट्रिक्ट की कालीन मिल की सहायक प्रधान सुश्री डेकी ड्रोल्कार ने इस का परिचय देते हुए कहा कि तिब्बत में आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ने के चलते इस मिल में तैयार पराम्परागत तिब्बती कालीन बहुत से पर्यटकों को पसंद है । अब उन्हें उत्पादनों पर पूरा साल का आर्डर प्राप्त हो चुका है । उन का कहना है तिब्बती कालीन हमेशा परम्परागत शिल्पी कला से बुनायी जाती हैं , उन का कच्चा माल शुद्ध ऊन ही है । कालिनों की डिजाइनें तिब्ब्ती परम्परागत सांस्कृतिक शैलियों के आधार पर आधुनिक शैलियों से युक्त भी हैं । साथ ही ग्राहकों की पसंदीदा डिजाइनों के अनुसार विशेष तौर पर कालीन भी बुनायी जाती हैं ।

सुश्री डेकी ड्रोल्कार ने कहा कि व्यवसाय के विकास के साथ साथ कालीन मिल उत्पादन क्षतना को बढाने के लिये ल्हासा औद्योगित उद्यान में स्थानांततरित होगी ।

तिब्बती कालीनों को छोड़कर तिब्बत के परम्परागत फर्निचर और तिब्बती चालू जैसे जातीय शिल्पी व्यवसाय को भी पर्यटन उद्योग के विकास से फायदा हुआ है । आंकड़ों के अनुसार तिब्बत में जातीय शिल्पी कारोबारों की संख्या सैकड़ों तक पहुंच गयी है और उन का सालाना उत्पादन मूल्य दसियों करोड़ य्वान भी हो गया है , उत्पादित शिल्पी वस्तुएं पूरे देश में ही नहीं , बल्कि विदेशों में भी बिक जाती हैं , जिस से तिब्बती वासियों को बड़ा अच्छा आर्थिक मुनाफा हुआ है ।

असल में तिब्बती वासियों को पर्यटन कार्य के विकास से अनेक प्रकार के माध्यम से लाभ मिलता है । उदाहरण के लिये जातीय विशेषता वाला होटल व्यवसाय ले लीजिये । तिब्बत के शिकाजे में एक निजी टेंज़िन होटल बहुत विख्यात है । यह होटल 1986 में उद्घाटित हुआ , आज यह छोडा सा होटल बहुत से देशों में प्रकाशित तिब्बती पर्यटन पुस्तिकाओं में पाया जाता है । बहुत से विदेशी पर्यटक इसी पुस्तिका से रहने इस होटल आते हैं ।

इस होटल की मेनेजर सो़ड्रो ने कहा कि सुधार व खुले द्वार नीति के कार्यांवयन के शुरु में कुछ पर्यटक चीन के दौरे पर आने लगे हैं । यह देखकर उन के पिता जी ने एक होटन खोलने का मन बना लिया । ( आवाज 3----)

उस समय पिता जी नेपाल के साथ कुछ व्यापार करते थे , वे विचार के बंधन से काफी मुक्त हैं , सुधार व खुले द्वार नीति के कार्यांवयन के शुरु में ही व्यापार में जुट गये थे ।

सोड्रोंग ने कहा कि यह प्रथम निजी छोटा होटल उद्घाटन के एक साल बाद देश विदेश में काफी नामी होने लगा है । इधर सालों में तिब्बत के पर्यटन कार्य के विकास के चलते बहुत से निजी होटल स्थापित हुए हैं , पर टेंज़िन होटल का व्यवसाय बराबर फलता फूलता नजर आता है ।

पिछले अनेक सालों के प्रयासों के जरिये वर्तमान पर्यटन कार्य तिब्बत के विकास का खंभा बन गया है । हालांकि गत वर्ष में हुए 14 मार्च ल्हासा हिंसक वारदात से तिब्बती पर्यटन व्यवसाय को गम्भीर क्षति पहुंच गयी है और 2008 में तिब्बत के दौर पर गये पर्यटकों की संख्या इस के पूर्व वर्ष से आधी कम हो गयी है , पर चालू वर्ष के जनवरी से फरवरी तक तिब्बत में कोई एक लाख बीस हजार से अधिक देशी विदेशी पर्यटक गये हुए हैं , जो गत वर्ष की समान अवधि से 4.8 प्रतिशत बढ़ गयी है और पर्यटन आय नौ करोड़ 90 लाख य्वान से अधिक हो गयी है , तिब्बती पर्यटन कार्य 14 मार्च वारदात के प्रभाव से बाहर निकल गया है ।