2009-03-27 10:14:09

चि छांग की तीरंदाजी कला

प्रचान काल में कान यङ अपने समय का एक असाधारण तीरंदाज माना जाता था , उस के तीर के सामने किसी भी किस्म के पशु पक्षी भाग नहीं सकते थे । फे वुई कानयङ का शिष्य था , कड़ी मेहनत से अभ्यास किया जाने के बाद उस की तीरंदाजी कला अपने गुरू से भी आगे बढ़ी थी ।

ची छांग नाम का एक युवा था , वह फेवुई का शिष्य बन गया और उस की अचूक निशानाबाजी सीखने का कटिबद्ध हुआ । फे वुई ने उस को अचूक निशानाबाजी का रहस्य बताते हुए कहा कि पहले तुम अपने पर इस तरह नियंत्रण रखने की क्षमता पाओगे कि किसी भी हालत में तुम्हारी आंखें झपक नहीं ले सकतीं , जब तुम ऐसा सक्षम हो गए , तभी तुम तीरंदाजी सीखने के योग्य हो सकोगे . गुरू की बात मान कर ची छांग घर वापल गया और पत्नी की बुनाई मशीन के नीचे लेट कर मशीन पर तेज गति से दौड़ रहे शटल घुरता रहा । दो साल बीत चुका था , वह आंखों की गति पर नियंत्रण रखने में वहां तक सफल हो गया था कि सुई के आगे मारे जाने पर भी उस की आंखें नहीं झपकती है । ची छांग ने बड़ी खुशी के साथ गुरू फे वुई को अपनी यह सफलता बतायी । पर फे वुई ने कहा कि मात्र यह क्षमता पाने से तुम तीरंदाजी में पारंगत नहीं हो सकते हो . तुझे अपनी नजर को इतना शक्तिशाली बनाने की कोशिश करना चाहिए कि छोटी से छोटी चीज देखने पर वह बहुत बड़ी लगती हो और अस्पष्ट चीज देखने में बहुत साफ लगती हो । नजर को ऐसा तेज करने के बाद तुम तीरंदाजी सीखने के योग्य हो जाओगे।

ची छांग फिर घर वापस गया और उस ने एक जिन्ली पकड़ कर उसे बैल के पतले बाल से बांध दिया और उसे खिड़की पर लटकाया , इस के बाद वह रोज खिड़की पर लटकाए छोटी छोटी जिन्ली की ओर ताकता रहा । दस दिन गुजरा , वह सूखा पड़ी छोटी छोटी जिन्ली ची छांग की नजर में लगातार बड़ी बनती जाने लगी । फिर इस तरह अभ्यास करते करते तीन साल हो गए , वह सूखी राई सी जिन्ली ची छांग की नजर में गाड़ी की पहिया जितनी बड़ी दिखाई पड़ने लगी । अगर वह इस से थोड़ी बड़ी चीज देखता तो लगता था कि वह चीज पहाड़ जितना बड़ा दिखाई पड़ रही थी और बहुत साफ नजर आ रही थी । ची छांग ने जिन्ली को निशाना साध कर तीर मारा , तीर तो जिन्ली के बीचोंबीच मार कर गुजरा लेकिन जिन्ड़ी को बांधने वाला पतला पतला बाल नही टूटा । इस असाधारण सफलता पर ची छांग बहुत प्रसन्न हुआ , उस ने अपने गुरू को यह खुशखबरी सुनाई , तो फे वुई ने प्रशंसा के अंदाज में सिर हिलाते हुए कहा कि कड़ी मेहनत का सुफल होता है । तुम पूरी तरब कामयाब हो गए है ।

यह नीति कथा बताती है कि कड़ी मेहनत का जरूर अच्छा परिणाम निकलता है । हमें पढ़ाई और कामकाज में हमेशा मेहनत होना चाहिए ।