दोस्तो, तिब्बत की राजधानी ल्हासा के केंद्र में स्थित पोटाला महल शहर का प्रतीक निर्माण है । वर्ष 2002 से ही चीन सरकार ने इस 1300 वर्षीय पुराने वाले ऐतिहासिक निर्माण की मरम्मत शुरू की । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांस्कृतिक अवशेष के संरक्षण कार्य के प्रमुख कार्य के रूप में पोटाला महल की मरम्मत पर विभिन्न पक्षों का ध्यान केंद्रित हुआ है ।
अब आप सुन रहे हैं तिब्बती श्रमिकों के द्वारा काम करते समय गाया जाने वाला श्रम गीत । इधर के वर्षों में पोटाला महल के कोने-कोने में इस प्रकार के गीत सुने जा सकते हैं ।
दोस्तो, पोटाला महल विश्व में समुद्री तल से सब से ऊंचे स्थान पर है और सब से अच्छी तरह संरक्षित प्राचीन महल है, जो पूर्ण रूप से पत्थर व लकड़ी से बना हुआ है । यह तिब्बती जाति की प्राचीन काष्ठ निर्माण कला का सब से महत्वपूर्ण नमूना है । लेकिन बहुत पुराने होने के कारण और प्राकृतिक पर्यावरण परिवर्तन के कारण पोटाला महल की स्थिति खराब होने लगी थी। वर्ष 1959 के बाद चीन सरकार हर वर्ष पोटाला महल की मरम्मत के लिए विशेष अनुदान देती है । वर्ष 1989 से 1994 तक प्रथम बार इस की बड़े पैमाने पर मरम्मत की गई । वर्ष 2002 में पोटाला महल की दूसरी बार मरम्मत शुरू हुई ।
मरम्मत कार्य को अच्छी तरह करने के लिए कई साल पूर्व चीनी राष्ट्रीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो और तिब्बत के संबंधित विभागों ने विशेषज्ञों को गठित कर पोटाला महल का वैज्ञानिक व विस्तृत निरीक्षण आकलन किया । महल की मरम्मत" जीर्णोद्धार करने और पूर्व की छवि को न बदलने"के सिद्धांत के अनुसार किया जा रहा है । तिब्बती ललित कलाकार आवांग लोचु ने कहा कि पोटाला महल के भीत्ति चित्र दूसरे भीत्ति चित्रों से अलग हैं, इस तरह विशेषज्ञ बहुत संजीदगी के साथ इस की मरम्मत करते हैं और उक्त सिद्धांत के अनुसार भीत्ति चित्रों की मरम्मत करते हैं ।
श्री आवांग लोचु ने जानकारी देते हुए कहा कि पोटाला महल के भीत्ति चित्रों की मरम्मत के दौरान अगर मुश्किलों का सामना करना पड़े, जिन का समाधान विशेषज्ञ भी न कर सकें, तो राष्ट्रीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो उन की मदद के लिए देश भर में भीत्ति चित्रों को अच्छी तरह संरक्षण करने वाली इकाइयों का निमंत्रित करता है ।
पोटाला महल की मरम्मत व संरक्षण तिब्बती सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण का एक नमूना है । दीर्घकालीन इतिहास के दौर में तिब्बत जनता ने अपनी मेहनत व बुद्धि से विशेष संस्कृति का सृजन किया है । चीनी राष्ट्रीय संभ्यता के एक भाग की हैसियत से तिब्बती सांस्कृतिक विरासत सन साधन अत्यंत समृद्ध हैं । लेकिन तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले वहां पर सांस्कृतिक अवशेषों का संरक्षण व प्रबंधन कोई नहीं था । 1959 में जनवादी सुधार के बाद तिब्बत ने तिब्बती सांस्कृतिक अवशेष प्रबंधन संस्था की स्थापना कर सांस्कृतिक अवशेषों की जांच , वसूली और संरक्षण से जुड़े काम शुरू किये । विशेषकर सुधार व खुले द्वार नीति लागू किये जाने के बाद चीनी केंद्रीय सरकार ने तिब्बती सांस्कृतिक अवशेषों की गणना , पंजीकरण , संरक्षण और जीर्णांद्धार आदि क्षेत्रों में उत्तरोत्तर अधिक पूंजी जुटा दी है , जिस से तिब्बत के बहुत से सांस्कृतिक अवशेषों का सही संरक्षण हो गया है ।
वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में विभिन्न म्युजियमों में लाखों सांस्कृतिक अवशेष सुरक्षित हुए हैं , जिन में राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त सांस्कृतिक अवशेषों की संख्या दस हजार से है । 2006 के अंत तक तिब्बत में पंजीकृत नाना प्रकार वाले सांस्कृतिक संरक्षित क्षेत्रों की संख्या दो हजार तीन सौ से अधिक है , जिन में राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त प्रमुख सांस्कृतिक अवशेष संरक्षित इकाइयों की संख्या 35 तक पहुंच गयी है ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के प्रधान युडावा ने कहा कि गत सदी के 80 वाले दशक से गत सदी के अंत तक के बीस सालों में राज्य ने एक अरब 40 करोड य्वान लगाकर क्रमशः पोताला महल , जोखांग मठ ,गानडेन मठ , ताशिलुम्पो मठ व साका मठ का जीर्णोद्धार कर लिया । 2006 से 2010 तक के दौरान तिब्बती सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण काम में नयी प्रगति हुई है ।
2006 से 2010 तक के दौरान राज्य ने ताशिलुम्पो मठ समेत 22 सांस्कृतिक संरक्षित इकाइयों और क्रांतिकारी सांस्कृतिक स्थलों के जीर्णोद्धार में 57 करोड़ य्वान का बंदोबस्त कर दिया है ।
युडावा ने कहा कि यह पहली बार है कि मरम्मत परियोजनाओं में इतनी भारी धनराशि लगायी गयी है । उन्हों ने कहा कि वर्तमान में तिब्बत की सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण प्रणाली दिन ब दिन सुव्यवस्थित हो गयी है और सांस्कृतिक अवशेषों के अध्ययन व संरक्षणा की क्षमता भी लगातार बढ़ गयी है । इस के अलावा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण नियमावली , मठों की सांस्कृतिक अवशेष प्रबंधन अस्थायी नियमावली और पोताला महल संरक्षण व प्रबंधन उपाय समेत दसेक कानून व नियमावलियां भी निर्धारित की हैं , जिस से सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण काम कानूनी व नियमित पथ पर चल निकला है ।
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