वर्ष 2008 के उत्तरार्द्ध में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट पैदा हुआ ,जिस से अमरीका ,जापान व यूरोपीय संघ जैसे विकसित समुदाय आर्थिक मंदी में पडे और चीन ,ब्राजील व भारत जैसे नये आर्थिक समुदायों को भी वित्तीय संकट का धक्का लगा ।पिछले कई वर्षों में नये आर्थिक समुदाय विश्व आर्थिक विकास के मुख्य ईंजन बने रहे । वर्तमान में गंभीर विश्व आर्थिक व वित्तीय परिस्थिति के बीच वे अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहे हैं । अब वे संकट का मुकाबला करने का उपाय सक्रियता से ढूंढ रहे हैं ।
पिछले कई वर्षों में नये आर्थिक समुदायों का तेजी से विकास हुआ है,जिस ने पूरे विश्व की नजरें खींची हैं ।पर विश्व वित्तीय संकट पैदा होने से विश्व आर्थिक स्थिति अत्यंत गंभीर हो गयी है।अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन का अनुमान है कि चालू साल में नये व विकासशील आर्थिक समुदायों की विकास दर गतवर्ष की 6.3 प्रतिशत से 3.3 प्रतिशत तक गिर जाएगी ।भारतीय शांति अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता जे टी जेकब ने हाल ही में हमारे संवाददाता के साथ हुई एक बातचीत में कहा कि भारत व अन्य नये आर्थिक समुदायों को अपने आर्थिक ढांचे का सुधार करना चाहिए ।उन्होंने कहा ,चीन और अमरीका ने वर्तमान आर्थिक स्थिति से निबटने के लिए अपने-अपने आर्थिक ढांचे का सुधार किया है और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज पेश किये हैं।आर्थिक संकट के मुकाबले के लिए विभिन्न देशों को वर्तमान विश्व आर्थिक व्यवस्था का चतुर्मुखी समायोजन करना चाहिए।
पिछली सदी के अंत में अर्जेंटीना वित्तीय संकट में पडा था ,इसलिए कई साल पहले उन्होंने विदेशी पूंजी निवेश पर निर्भर रहने वाले विकास माडल को बदल दिया था ।पर उस की समस्या यह है कि एक बडे कृषि उत्पाद निर्यातक के नाते देश में कृषि संकट पैदा हो रहा है और इस वक्त अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट फिर आया है ,जिस से अर्जेंटीना की आर्थिक स्थिति अधिक जटिल हो गयी है। अर्जेंटीना चीन वाणिज्य व व्यापार संघ के अध्यक्ष लुइस बुसिओ के विचार में देशी विदेशी कठिनाइयों के बीच सिर्फ सरकारी भत्ते से काम नहीं चलेगा ।अपने देश की वित्तीय स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अर्जेंटीना विदेशी कर्ज सवाल के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट की सहायता नहीं ले सकता ।सरकारी उद्यमों को जो पूंजी व भत्ता प्रदान करती हैं ,वे केंद्रीय बैंक के विदेशी मुद्रा भंडारण से आता है ।अगर अर्जेंटीना के विदेशी भंडारण में बडी कमी आएगी ,तो वह अमरीकी डालर एप्रीशिएशन जैसी संभावित समस्या का निपटारा नहीं कर सकेगा ।
मैक्सिको लातिन अमरीका का दूसरा सब से बडा आर्थिक समुदाय है ,जिस का अमरीकी अर्थव्यवस्था से घनिष्ठ संबंध है ।अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट पैदा होने के बाद उस की मुद्रा की कीमत में बडी गिरावट आयी है और वित्तीय बाजार डांवोडाल हुआ है ।आर्थिक पैकेज प्रस्तुत किये जाने के बावजूद मैक्सिको आर्थिक गिरावट का रूझान बदलने में असफल रहा ।मैक्सिको नेशनल स्वायत्त विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ अनरिक दुसेल ने कहा कि मैक्सिको ,ब्राजील व अर्जेंटीना समेत अनेक लातिन अमरीकी देशों के सामने सब से प्रमुख सवाल दीर्घकालिक आर्थिक विकास योजना का अभाव है ।उन्होंने कहा ,मैक्सिको समेत लातिन अमरीकी देशों के लिए सब से बडी चिंता अल्पकाल की स्थिति के बजाये मध्य व दीर्घकालिक काल की स्थिति है ।सवाल यही है कि वर्ष 2015 व 2030 में लातिन अमरीकी देश अपने अपने आर्थिक विकास को बढाने के लिए क्या क्या कदम उठाएंगे। हमें दीर्घकालिक विकास रणनीति पर ध्यान देना चाहिए ।
गोल्डन ब्रिक देशों में से एक ब्राजील ने चालू साल की अनुमानित जी डी पी वृद्धि दर घटाकर दो प्रतिशत तक अनुमानित की है ।ब्राजील के मशहूर अर्थशास्त्री जोसे मुसालेम ने हमारे संवाददाता के साथ हुई बातचीत में कहा कि चालू साल ब्राजील के निर्यात पर वित्तीय संकट से गंभीर प्रभाव पडेगा ।लेकिन वैदेशिक व्यापार सिर्फ देश के जी डी पी का 16 प्रतिशत है ,इसलिए ब्राजील की समग्र स्थिति ठीक रही है ।उन के विचार में वर्तमान संकट पूरे विश्व के सामने चुनौती है ।इस के मुकाबले के उपाय की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा ,सब से पहले विश्व वित्तीय व्यवस्था की विश्वनीयता की बहाली की जानी चाहिए ।फिर क्रेडिट गतिविधि की बहाली कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की खरीदारी व्यवस्था व अंतरराष्ट्रीय बाजार का विस्तार किया जाना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय व्यापार टैरिफ बाधा से बचा जाना चाहिए।इस के अलावा रोजगार बढाया जाना चाहिए ।
नये आर्थिक समुदायों की स्थितियां भिन्न-भिन्न हैं ,पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत कर वर्तमान संकट का मुकाबला करना उन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।भारतीय विशेषज्ञ जे टी जेकब ने कहा ,चीन और भारत दो बडे एशियाई देश हैं ।समान आर्थिक स्थिति के सामने दोनों देशों को हाथ मिलाकर एक दूसरे को समर्थन देना चाहिए ,वरना दोनों को हानि पुहंचेगी ।
ब्राजील के अखबार फोलह द सो पौलो के आर्थिक कालम लेखक मुसालेम ने बल देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट के निपटारे के लिए विभिन्न देशों को अपनी विशिष्ट भूमिका निभानी चाहिए ।उन्होंने कहा ,ब्राजील विश्व अर्थव्यवस्था की बहाली में योगदान दे सकता है ।पर हर देश को अपनी विशिष्ट भूमिका निभानी चाहिए ।उदाहरण के लिए चीन उपभोग का विस्तार कर सकता है ,क्योंकि उस की जनसंख्या सब से अधिक है ।अमरीका का मुख्य काम अपनी मोर्टगेज क्रेडिट व्यवस्था का पुनर्निमाण करना है ।जबकि ब्राजील विश्व को यह दिखा सकता है कि बेहतर प्राकृतिक पर्यावरण बनाए रखना अधिक लाभकारी होगा ।
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