25 तारीख को ल्हासा में सब से बड़े मंदिरों में से एक चाईबून्ग मंदिर के दसियों भिक्षुओं ने संगोष्टी में तिब्बती लोकतांत्रिक सुधार की 50 वीं वर्षगांठ और तिब्बत के दस लाख भूदासों के मुक्ति दिवस के उपलक्ष में अपने अनुभव बताये ।
46 वर्षिय गावांग चोज़िन 18 साल पहले चाईबून्ग मंदिर में आए थे। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक सुधार लागू किए जाने के बाद तिब्बत में बहुत बड़े परिवर्तन हुए, लेकिन अगलाववादी भी सामंती भूदास व्यवस्था बहाल करना चाहते हैं और तिब्बत के विकास को बाधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तथाकथित तिब्बत सवाल कोई जातीय व धार्मिक सवाल नहीं है और मानवाधिकार का सवाल भी नहीं है।
लामा गावांग टेंजिन ने कहा कि लोकतांत्रिक सुधार लागू किए जाने से पहले यानि वर्ष 1959 से पहले, तिब्बत बहुत गरीब था, उन्होंने कहा कि संबंधित विज्ञान सीख कर उन्होंने नये तिब्बत के अच्छे विकास को देखा है।
लामा गावांग चोडराक ने कहा कि वर्तमान में तिब्बत इतिहास के सब से अच्छे दौर में है, इसलिए हमें वर्तमान की सफलता को संजोए रखना चाहिए और तिब्बत की स्थिरता व एकता के लिए नया योगदान देना चाहिए।(होवेइ)