2009-03-23 16:56:06

जनवादी सुधार ने तिब्बती जनता के देश का मालिक बनने के अधिकार को सुनिश्चित किया है

दस लाख तिब्बती भूदासों के प्रथम मुक्ति दिवस के उपलक्ष में चाइना रेडियो इंटरनेशनल के रिपोर्टिंग दल ने तिब्बत जाकर जो अनेक रिपोर्टें लिखी हैं , उन में तिब्बत के जनवादी सुधार के पिछले 50 सालों में राजनीति, अर्थतंत्र , संस्कृति और जन जीवन व सामाजिक विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हुए नयी प्रगतियों व परिवर्तनों का चौतरफा तौर पर परिचय कराया गया है । आज के इस कार्यक्रम में उन में से एक रिपोर्ट प्रस्तुत है , शीर्षक है जनवादी सुधार ने तिब्बती जनता के देश का मालिक बनने के अधिकार को सुनिश्चित किया है ।

ल्हासा शहर के छंग क्वान डिस्ट्रिक्ट की निवासी कमेटी के शासित क्षेत्र में रहने वाली दादी मां निमा त्सेरिंग चालू वर्ष 76 वर्ष की हैं , वे पुराने व नये तिब्बत में हुए सुधार की तुलना कर मौजूदा जीवन को बेहद कीमती समझती हैं । 50 साल से पहले सामंती भूदास व्यवस्था वाले पुराने तिब्बत में दादी मां निमा त्सेरिंग भूदास मालिक की नौकरानी थी । उन्हों ने याद करते हुए कहा युवावस्था में मेरा जीवन अत्यंत दूभर था , दिन में तीन बार का पर्याप्त खाना भी नसीब नहीं था , कभी कभार सिर्फ एक बार का खाना मिलता था । साल भर में एक ही कपड़ा मात्र था , जूता भी नहीं था , सर्दियों में हालत और अधिक शोचनीय थी । उस समय जागीरदारों के अत्याचार तले भूदासों का जीवन कठोर ही नहीं , स्वतंत्र भी न था ।

पुराने तिब्बत में तिब्बती जन संख्या का 95 प्रतिशत से अधिक भाग बनने वाले भूदासों व गुलामों के पास कोई जमीन व अन्य उत्पादान सामग्री तो क्या , कोई शारीरिक स्वतंत्रता व राजनीतिक स्थान भी नहीं था , वे मजबूर होकर जागीरदारों पर आश्रित हुए थे ।

1959 में केंद्र सरकार ने तिब्बती विद्रोह को शांत करने के बाद भूदासों व गुलाम को मुक्त करा दिया , जिस से विशाल भूदासों व गुलामों की प्राण सुरक्षा व शारीरिक स्वतंत्रता को नये चीन के संविधान व कानून की गारंटी मिल गयी है । साथ ही सामंती भूदास मालिकों की जमीन मिल्कियत भी रद्द कर दी गयी है । आंकड़ों के अनुसार जनवादी सुधार में भूदास मालिकों की जमीन को जब्त कर क्रमशः दो लाख भूदास परिवारों व 8 लाख कुलाम परिवारों को बांटा गया है ।

सितम्बर 1965 में तिब्बत की प्रथम जन प्रतिनिधि सभा का सफल आयोजन हुआ और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन सरकार विधिवत रुप से स्थापित हो गयी , इस के साथ ही तिब्बत में क्षेत्रीय स्वशासन व्यवस्था भी कायम हो गयी , जिस से व्यवस्थित रुप से तिब्बत में सभी जातियों की समानता , एकता , आपसी मदद और समान समृद्धी वाली नीति निश्चित की गयी और राजकीय मामलों में हिस्सा लेने और अपने क्षेत्रीय व जातीय मामलों का बंदोबस्त करने के तिब्बती जनता के अधिकार की गारंटी हुई । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के उपाध्यक्ष अटेंग ने कहा तिब्बत में जातीय क्षेत्रीय स्वशासन का द्योतक सितम्बर 1965 में आयोजित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की प्रथम जन प्रतिनिधि सभा का प्रथम सम्मेलन ही है । इस सम्मेलन में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन कमेटी निर्विचित हुई है , तब से तिब्बत में जातीय क्षेत्रीय स्वशासन संस्था जन प्रतिनिधि सभा व जन कमेटी कायम हो गयी है ।

जनवादी सुधार लागू होने के बाद तिब्बत के आर्थिक , सांस्कृतिक व सामाजिक जीवन व बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में जमीन आसमान का परिवर्तन हुआ है , तिब्बती जनता के आर्थिक , सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकार में भी बड़ा सुधार आया है । तिब्बत के आधुनिक उद्योग , वाणिज्य , पर्यटन , डाकतार व सूचना प्रौद्योगिकी जैसे नवोदित उद्योगों का तेजी से विकास हुआ है ।

तिब्बत में आधुनिक निर्माण गति तेज होने के चलते तिब्बती जनता का जीवन स्तर व सामाजिक विकास भी लगातार बढ़ता गया है । किसानों व चरवाहों की औसस वार्षिक आय शुन्य से बढ़कर तीन हजार सौ य्वान तक पहुंच गयी है , व्यक्तियों की औसत आयु गत सदी के 50 वाले दशक के 35.5 साल से बढ़कर 67 साल तक हो गयी है । तिब्बती सामाजिक अकादमी के अनुसंधारकर्ता कल्जांग येशे ने कहा कि जनवादी सुधार से तिब्बत में भारी परिवर्तन हुए है । 

जनवादी सुधार को किये हुए आधी शताब्दी मात्र हुई है , पर तिब्बत में जमीन आसमान का बड़ा बदलाव आया है । यदि जनवादी सुधार नहीं होता , तो तिब्बती समाज में इतना बड़ा बदलाव नहीं आता ।

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