2009-03-20 15:40:34

पश्चिमी हान राजवंश की स्थापना

बाद के युद्ध में छन शङ और ऊ क्वाङ की मृत्यु के पश्चात, किसान-विद्रोहों के एक अन्य नेता ल्यू पाङ (256- 195 ई.पू.) ने चीन का एकीकरण किया और छाङआन ( वर्तमान शेनशी प्रांत के शीआन के उत्तर-पश्चिम में) को राजधानी बनाकर हान राजवंश की स्थापना की। इतिहास में यह राजवंश पश्चिमी हान राजवंश ( 206 ई.पू. – 24 ई.) के नाम से प्रसिद्ध है और इस का संस्थापक ल्यू पाङ सम्राट काओचू कहलाता है। इस राजवंश में छिन राजवंश की "तीन ड्यूकों और नौ राज्य-सचिवों"वाली अफसरशाही व्यवस्था तथा सूबे व काउन्टी वाली प्रशासनिक व्यवस्था का अनुसरण किया गया। कायदे-कानून बनाने में भी छिन राजवंश की विधि-व्यवस्था के अनुभव लिए गए। इस के अलावा पश्चिमी हान राजवंश में अनेक राजाओं को जागीरें दी गईं। बाद में इन जागीरदार राजाओं की शक्ति तेजी से बढ़ी और उनकी जागीरें स्वतंत्र राज्य बन गईं। ईसापूर्व 154 में सात जागीरदार राजाओं ने विद्रोह कर दिया। विद्रोहों को दबा देने के पश्चात सभी जागीरदार राज्यों का शासन चलाने के लिए केन्द्रीय सरकार की तरफ से अफसर भेजे गए। पश्चिमी हान सम्राट ऊती (शासनकाल 141 – 87 ई.पू.) ने एक सौ से अधिक जागीरों का उन्मूलन कर समूचे देश को 13 प्रान्तों में बांट दिया। सूबेदारों व मजिस्ट्रेटों के काम का निरीक्षण करने के लिए हर प्रान्त में एक गवर्नर नियुक्त किया गया। इस के अलावा नमक बनाने, लोहा गलाने और सिक्के ढालने के कामों पर राजकीय एकाधिकार कायम करने जैसे कदम भी उठाए गए। परिणामस्वरूप केन्द्रीकृत सामन्ती राजसत्ता और भी सुदृढ़ हो गई। साथ ही देश में विभिन्न जातियों की जनता के बीच सम्पर्क भी निरन्तर बढ़ता गया। पश्चिमी हान राजवंशकाल में चीन एक शक्तिशाली व समृद्ध एकीकृत बहुजातीय सामन्ती राज्य बन चुका था।