2009-03-19 16:27:16

कोककोला द्वारा ह्वीयुन की खरीदारी पर पाबंदी लगाने का मकसद बाजार प्रतिस्पर्धा पर असर नहीं पड़ने देना

चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने 18 मार्च को औपचारिक रूप से घोषणा की कि चीन के इजारेदारी विरोधी कानून के मुताबिक कोककोला कंपनी द्वारा चीन के सब से बड़े जूस कारोबार यानी ह्वीयुन कंपनी को खरीदने पर पाबंदी लगायी जाएगी । सूत्रों के अनुसार पिछले साल की पहली अगस्त से चीन में इजारेदारी विरोधी कानून लागू होने के बाद अनुमति से वंचित यह पहला खरीददारी मामला है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने विश्व में प्रचलित इजारेदारी विरोधी कानून के मुताबिक खरीददारी की जांच की और इस के आधार पर मामले को नामंजूर कर दिया कि इस खरीद का संबंधित बाजार प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसलिए मंत्रालय का यह फैसला युक्तियुक्त और कानूनी है।

हांगकांग के शेयर बाजार में प्रविष्ट चीनी ह्वी युन जूस कंपनी ने पिछले साल के 3 सितम्बर को ऐलान किया कि कोककोला के अधीनस्थ कंपनी 18 अरब हांगकांग डालर से ह्ली युन के तमाम शेयर खरीद लेगी । पिछले साल की 18 अगस्त को चीनी वाणिज्य मंत्रालय को कोककोला का इजारेदारी विरोधी आवेदन प्राप्त हुआ और मंत्रालय ने 20 नवम्बर को इस मामले की जांच पड़ताल का काम शुरू किया।

जांच के परिणाम के आधार पर चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने माना कि कोककोला द्वारा ह्वी युन को खरीदने के मामले से बाजार प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। कोककोला संवतः कार्बोनेट सोफ्ट ड्रिंक बाजार में अपने आधिपत्य स्थान का लाभ उठा कर अन्य प्रकार के जूस जबरन बेच देगी या दूसरों को दर किनारा करने वाला सौदा करेगी, जिस से बाजार प्रतिस्पर्धा को सीमित किया जा सकेगा और चीन के छोटे मझोले जूस कारोबारों पर दबाव डाला जा सकेगा ।

इस पर चीनी समाज विज्ञान अकादमी के अर्थ अनुसंधान प्रतिष्ठान के शोधकर्ता हान मङ ने कहा कि जब एक बार कोककोला ह्वी युन को खरीदने में सफल हुआ, तो चीन के बाजार में फल जूस उत्पादों के दाम ऊंचे होने की संभावना है और ग्राहकों के लिए जूस खरीदने के विकल्प कम होंगे। उन्हों ने कहाः

इस प्रकार की खरीददारी और व्यापार संचालन से चीन के बाजार पर जो बुरा प्रभाव होगा, वह स्पष्ट वस्तुगत है। कोककोला द्वारा ह्वी युन को खरीदना यदि साकार हुआ, तो चीन के बाजार में चीनी जूस ह्वीयुन लुप्त होगा और अमरीका का कोककोला छाया रहेगा । इस का दाम पर असर पड़ेगा और ग्राहकों के लिए जूस की किस्में भी कम होगी।

प्रसिद्ध बाजार अध्ययन संस्था ए सी निल्सन द्वारा जारी 2007 के पूर्वार्द्ध के आंकड़ों के अनुसार ह्वी युन का शुद्ध जूस चीन के जूस बाजार के 46 प्रतिशत पर काबिज था और मध्य घनत्व वाला जूस 40 प्रतिशत बना था। जब कि उसी साल कोककोला चीन के जूस बाजार के 10 प्रतिशत हिस्से तक भी नहीं पहुंची थी।

चीनी समाज विज्ञान अकादमी के विश्व अर्थ व राजनीतिक अध्ययन प्रतिष्ठान के विशेषज्ञ सुंग होंग ने कहा कि कोककोला विश्व का सब से बड़ा सोफ्ट ड्रिंक कारोबार है, यह संभव है कि वह अपने उत्पाद के साथ दूसरी किस्मों के उत्पादों को जबरन बेच देगी। इस का चीन के जूस उद्योग पर निश्चय ही बुरा असर पड़ेगा। उन्हों ने कहाः

इस खरीददारी से न केवल ह्वीयुन पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि ज्यादा प्रभाव चीन के इस समूचे उद्योग पर भी पड़ेगा। सोच लीजिए, ह्ली युन और कोककोला का विलय दो सब से बड़े उद्योगों का मिश्रण है, तो इस से चीन का समूचा जूस उद्योग प्रभावित होगा और बाजार पर उस का प्रभाव कितना बड़ा हो सकता और दूसरे जूस कारोबारों के प्रति कितनी बड़ी चुनौति बन जा सकती है।

इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने जो फैसला लिया है, वह कानून पर आधारित है और युक्तियुक्त भी है। पर इस फैसले का यह अर्थ नहीं है कि चीन विदेशी पूंजी द्वारा चीनी कारोबारों को खरीदने का द्वार बन्द कर देगा । इस का विदेशी कंपनियों द्वारा चीन में खरीदने, विलय करने की रणनीतिक सहयोग कार्यवाही पर असर नहीं पड़ेगा।

18 तारीख की रात, ह्वी युन और कोककोला दोनों ने अलग अलग तौर पर चीनी मंत्रलाय के फैसले पर वक्तव्य जारी किया। ह्वी युन ने कहा कि वह फैसले का सम्मान करेगी और कोककोला ने कहा कि वह भी चीनी वाणिज्य मंत्रालय के फैसले का सम्मान करती है और चीन के बाजार पर अपना विश्वास बनाए रखती है। वह भविष्ट में भी ह्वीयुन नहीं खरीदेगी।

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