2009-03-17 11:11:24

पांचवां विश्व जल स्रोत मंच इस्ताबुल में उद्घाटित

सात दिवसीय पांचवां विश्व जल स्रोत मंच 16 मार्च को तुर्की के प्रथम बड़े शहर इस्तानबुल में उद्घाटित हुआ , चीन समेत सौ से ज्यादा देशों , क्षेत्रों व 13 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से आये करीब बीस हजार प्रतिनिधि इस मंच और संबंधित गतिविधियों में भाग ले रहे हैं । मौजूदा मंच का प्रमुख मुद्दा जल स्रोत मामलों के समाधान का पुल बांधना है , उस का उद्देश्य है कि विश्व के विभिन्न देश जल स्रोत का प्रबंध करने व जल स्रोत से जुडे विवादों को दूर करने में संपर्क , आदान प्रदान और समन्वय को बढावा दें ।

विश्व जल स्रोत मंच विश्व जल परिषद ने स्थापित किया है और वह जल स्रोत क्षेत्र में सब से विशाल अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि माना जाता है । 1997 में विश्व जल परिषद ने मोरक्को शहर में प्रथम विश्व जल स्रोत मंच आयोजित किया , तब से हर तीन साल में एक बार आयोजित किया जाता है । मंच ने केंद्रीय मुद्दे को लेकर विश्व परिवर्तन व जोखिम भरे प्रबंध , मानव जाति के विकास व सहस्राब्दी विकास लक्ष्य को गति देने और जल स्रोत के निपटारे व प्रबंधन समेत 6 अतिरिक्त मुद्दे भी निर्धारित किये ।

जल स्रोत मंच के उद्घाटन के उसी दिन हुआ एक छोटे आकार वाला शिखर सम्मेलन जल स्रोत मंच के इतिहास में राज्याध्यक्षों व शासनाध्यक्षों का प्रथम सम्मेलन है , इसलिये व्यापक निगाहें उस पर टिकी हुई हैं । तुर्की के राष्ट्रपति अब्दुल्लाह जुल, इराकी राष्ट्रपति तालाबानी और संयुक्त राष्ट्र उप महा सचिव शा चु खांग समेत 13 देशों व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नेताओं ने इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया । तुर्की के राष्ट्रपति जुल ने उद्घाटन समारोह में बल देकर कहा कि जल संकट के निपटारे के लिये तकनीकी समर्थन पर निर्भर रहने के साथ साथ राजनीतिक ध्यान दिलाना भी जरूरी है । जल स्रोत का संरक्षण विश्व के सभी देशों व क्षेत्रों के सामने मौजूद भारी चुनौती है , यह चुनौती समाज व अर्थतंत्र से जुड़ी हुई है । विभिन्न देशों को सर्वोच्च स्तरीय अधिकारियों के बीच सलाह मशविरा किया जाना चाहिये । विश्व जल परिषद के महा निर्देशक फोचोन ने उद्घाटन समारोह में राजनीतिक निर्णायकों से अपील की है कि जल स्रोत मामले को भारी महत्व दिया जाये , जल सवाल के निपटारे के लिये तकनीकी प्रगति पर निर्भर रहने के चलते राजनीतिक प्रसास भी अपरिहार्य है । वर्तमान में विकसित देशों व विकासमान देशों के बीच जल स्रोत के प्रबंधन में काफी बड़े मतभेद मौजूद हैं , कुछ देशों के बीच गम्भीर जल स्रोत विवाद भी उत्पन्न हुए हैं , इसलिये मौजूदा शिखर सम्मेलन का आयोजन निस्संदेह राजनीतिक तौर पर उक्त सवालों के समाधान के लिये एक फलदायक नमूना पेश किया गया है ।

मौजूदा मंच के अंत में होने वाला मंत्री सम्मेलन इसी मंच का दूसरा महत्वपूर्ण संगठित भाग है । मौके पर सौ से ज्यादा देशों व क्षेत्रों के जल संरक्षण व वातावरण मंत्री स्तरीय अधिकारी इकट्ठे होकर अपने देश के जल निपटारे अनुभवों का आदान प्रदान करेंगे और जल स्रोत मामले पर वार्तालाप कर देंगे । मंच में जलवायु जैसे भूमंडलीय परिवर्तनों के मद्देनजर कारगर जल स्रोत प्रबंधन रणनीतिक इस्तानबुल जल सहमति नामी दस्तावेज संपन्न होगा , जिस से सरकारों , कानून निर्माण संस्थाओं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जल सवाल के समाधान के लिये प्रस्ताव प्रदान किये जायेंगे ।

सब से बड़ा विकासमान देश होने के नाते चीन सरकार इस जल स्रोत मंच को बड़ा महत्व देती है । चीनी जल संरक्षण मंत्री छन लेइ जल संरक्षण , विदेश मंत्रालय , कृषि मंत्रालय और चीनी मौसम ब्यूरो के संबंधित व्यक्तियों से गठित चीनी प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर इस जल स्रोत मंच में भाग ले रहे हैं । मंत्री छन लेइ चीन सरकार की ओर से मंच से संबंधित सम्मेलनों में भाषण देंगे । इस के अतिरिक्त वे जापान व कोरिया गणराज्य आदि देशों के जल संरक्षण विभागों व विश्व जल परिषद जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अधिकारियों के साथ वार्ता करेंगे । चीन सरकार ने मौजूदा जल स्रोत मंच व संबंधित गतिविधियों में भाग लेने के लिये प्रथम बार विशाल प्रतिनिधि मंडल भेज दिया है , ताकि विश्व को जल संरक्षण व पन बिजली डिजाइन व निर्माण संबंधी चीनी शक्तिशाली कारोबारों से अवगत कराया जाये और इन कारोबारों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रवेश करने के लिये प्रोत्साहन दिया जाये ।

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