2009-03-15 17:53:02

ल्हासा के भिक्षुओं ने कहा कि उन्हें उथल पुथल नहीं चाहिए

14 तारीख को संवाददाता ने जोखांग मठ और सेरा मठ का दौरा करते समय देखा कि मठों में सभी धार्मिक गतिविधियां सामान्य हो रही हैं। डांवाडोल स्थिति व तोड़फोड़ न हो अनेकों भिक्षुओं के मन की आवाज़ा है।

सेरा मठ के प्रसिद्ध भिक्षु लोसांग चोस्पल ने कहा कि आज सरकार सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण करने का आह्वान करती है, यह बौद्ध धर्म द्वारा प्रस्तुत मेल मिलाप सिद्धांत के समान है। गत वर्ष की 14 मार्च घटना में कुछ अपराधियों व भिक्षुओं ने सड़कों पर जाकर मार पीट की कार्यवाई की, जिस ने समाज के सामंजस्य को तोड़ा है, वह अनुचित है।

लोसांग चोस्पल ने कहा कि इधर के वर्षों में सरकार की नीति बेहत्तर होती रहती है। मठों में सांस्कृतिक अवशेषों का अच्छी तरह प्रबंध व संरक्षण किया गया है। भिक्षुओं का जीवन भी पहले से बेहत्तर हो गया है। सैन्य टुकड़ी के अस्पताल भी अकसर डॉक्टरों को भेजकर भिक्षुओं की शारीरिक जांच करते हैं।

सेरा मठ की प्रबंध कमेटी के उप प्रधान पुर्बू त्सेरिंग ने कहा कि 14 मार्च घटना के दौरान, सेरा मठ के कुछ भिक्षुओं ने भी हिंसा में हिस्सा लिया था। इस के बाद सरकार ने मठ में कानूनी शिक्षा दी। कानून व इतिहास को नहीं जानना कुछ भिक्षुओं के हिंसक घटना में भाग लेने के कारणों में से एक है। उन्हों ने खुद भी कानून के बारे में ज्ञान सीखा है। उन्होंने कहा कि कानूनी शिक्षा मठ का सामान्य गतिविधियों पर असर नहीं पड़ा है। सरकार मठ की धार्मिक प्रथाओं का पूरा सम्मान करती है।(श्याओयांग)