तिब्बत में तलवारबाजी का खेल व्यापक तात्यपर्य का होता है। ऐतिहासिक ग्रंथ के अनुसार थुबो राज्य के समय तिब्बत क्षेत्र में लोग युद्ध और रणकौशल पर महत्व देते थे। शांति के समय भी वे अपने पास तलवार रखते थे और तलवार से लड़ने का कौशल उन्नत करते थे। इसलिए तलवारबाजी पुरूषों का लोकप्रिय खेल बन गया, जो अब तक बरकरार रहा । वर्तमान काल में भी तिब्बती युवक अपने पास तलवार रखना पसंद करते हैं।
तिब्बत में प्रचलित फेंक का खेल दो रूपों में होता है। एक का नाम क्वोख और दूसरा है पत्थर फेंकना।
क्वोख कूत्ता मार कर भगाने का दूसरा नाम है। इस खेल में रस्सी और लोह डंडा प्रयोग किया जाता है। रस्सी डंडे पर बांध दी गयी और लोहे का डंडा 10 सेंटीमीटर लम्बा और 2 सेंटीमीटर मोटा है। आदि काल में लोग इस का इस्तेमाल कर जानवरों से आत्म रक्षा करते थे।
पत्थर फेंकना भी आदि काल में आत्म रक्षा का तरीका था। साथ ही वह पशु चराने का साधन भी था। पत्थर ऊनी चाबूक से फेंका जाता था , ऊनी चाबूक तिब्बती भाषा में वु थ्यु कहलाता है। ऊनी चाबूक के एक छोर पर रिंग बंधा है जो उंगली पर लगाया जा सकता है ,दूसरा छोर बैल व बकरे के ऊन से बनाया गया है ,बीचोंबीच एक हथेली जितना बड़ा टुक़ड़ा बुना गया है, जिस पर पत्थर रखा जा सकता है। फेंकने के समय चाबूक के दोनों छोर घूमा कर पत्थर फेंका जाता है। जिस से पत्थर तेज गति से दूर दसियों मीटर या सौ मीटर तक दागा जा सकता है और पत्थर की शक्ति तेज और जबरजस्त होती है।
तिब्बत के आधुनिक खेलकूद का विकास
वर्ष 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति हुई, जिस का खेल कार्य परम्परागत जातीय खेलकूद से आधुनिक खेल में परिवर्तित हो गया।
शांतिपूर्ण मुक्ति के पूर्व तिब्बत का खेलकूद मुख्य तौर पर परम्परागत खेलकूद था । लेकिन पुराने तिब्बत में कड़ी सामंती भू-दास व्यवस्था लागू की जाती थी, समाज के अधिकांश जन संख्या वाले भू-दासों का जीवन बहुत गरीब था और उन की व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी नहीं थी । इस तरह खेलकूद में उन की भागीदारी बहुत कम थी । तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद विशेष कर लोकतांत्रिक सुधार के बाद तिब्बत की व्यापक जनता अपने भाग्य का मालिक बन गयी । हर व्यक्ति को खेलों में भाग लेने का अधिकार है । इस तरह तिब्बत में खेलकूद का व्यापक तौर पर विकास हो रहा है ।
शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत ने अनेक बार तिब्बती युवाओं के फुटबाल और बास्केटबाल प्रतिनिधि मंडल स्थापित कर भीतरी इलाके के प्रांतों व शहरों में आधुनिक खेल विचारधारा सीखने और खेल प्रशिक्षण लेने के लिए भेजा । केंद्र सरकार तिब्बत क्षेत्र के खेल शिक्षा पर भी महत्व देती है । वर्ष 1959में तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार किए जाने के बाद विभिन्न स्कूलों में खेलव्यायाम कक्षा खोली गई । आज तिब्बत में बास्केटबाल, वालिबाल, फुटबाल, टेबल टेनिस और ट्रेक एंड फ़िल्ड आदि आधुनिक खेलकूद का जोरदार विकास हो रहा है, विभिन्न प्रकार की खेल प्रतियोगिता की जाती है । जनव्यापी खेल, प्रतिस्पर्द्धा वाले खेल और पर्वतारोहण आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हासिल हुई। तिब्बती किसान और चरवाहे परम्परागत खेलकूद में भाग लेने के साथ-साथ आधुनिक खेलों के विकास में भी संलग्न हैं ।
आज तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने कुल नौ बार आधुनिक खेल समारोहों का आयोजन किया । हर वर्ष स्वायत्त प्रदेश में विभिन्न प्रकार की सौ से ज्यादा खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं । वर्तमान में तिब्बत में संजीदगी के साथ《चीन लोक गणराज्य खेलव्यायाम कानून》,《समूची जनता शारीरिक स्वास्थ्य लाभ योजना कार्यक्रम》तथा《वर्ष 1994 से 2010 तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की खेल कार्य विकास योजना》का कार्यान्वयन किया जा रहा है । सारे प्रदेश में खेल कार्य आर्थिक निर्माण के साथ स्वस्थ रूप से आगे विकसित हो रहा है ।
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