वित्तीय संकट के निरंतर फैलने व चीनी अर्थतंत्र विकास को नवीन चुनौतियों का सामने करने की पृष्ठभूमि में फिलहाल पेइचिंग में चल रही चीन की सर्वोच्च राष्ट्रीय सत्ता संस्था यानी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के इस साल के वार्षिक सम्मेलन में पहले के सालों की तुलना में जनता के खुशहाली जीवन को सुनिश्चत करने की मांग कहीं अधिक तीव्र रही है।
चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि, चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के जन संख्या व श्रमिक आर्थिक अनुसंधान प्रतिष्ठान के निदेशक छाए फांग ने विश्लेषण करते हुए कहा कि चीनी जनता के चिकित्सा, वृद्धा बीमा, रिहायशी मकान तथा शिक्षा आदि सामाजिक प्रतिभूति से संबंधित ऊंची मांग को उचित रूप से हल किया जाए या नहीं , वर्तमान चीन की घरेलु आवश्यकता के विस्तार को साकार करने , अर्थतंत्र के सतत व तेज वृद्धि को प्रेरित करने का एक कुंजी कारक बन गया है। उन्होने कहा हमारे निवासी पैसा जमा करने पर न कि पैसा खर्च करने पर ज्यादा ध्यान देते हैं, इस का बड़ा कारण उनके दिल में बनी चिन्ता है, उनकी बैचेनी है कि अपने बुढ़ापे में वे कैसे अपना गुजारा करेगें? बीमार हो गए तो क्या होगा? बेरोजगार हो गए तो कहां से पैसा लाएगें ? बच्चो की स्कूल फीस कैसे देगें ? इन चिन्ताओं को दूर करने के लिए हमारी सरकार पूंजी निवेश को सुदृढ़ कर अधिकाधिक लोगों को सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था में शामिल कर सकने के दौर में घरेलु उपभाक्ता को सबसे पहले शुरू कर सकती है।
जनता की परेशानी को जानते हुए चीनी प्रधान मंत्री वन च्या पाओ ने अपनी सरकारी कार्य रिपोर्ट में इस का विशेष रूप से उल्लेख किया है, इस से देखा जा सकता है कि हालांकि वैश्विक वित्तीय संकट के प्रभाव से चीन का अर्थतंत्र लगातार फिसलता जा रहा है, तो भी इस साल सामाजिक प्रतिभूति व जन जीवन परियोजना के बजट में कोई कटौती नहीं की गयी है, बल्कि पहले उसे कहीं ज्यादा बढ़ा दिया गया है। प्रधान मंत्री वन च्या पाओ ने कहा कि कठियाईयां जितनी अधिक हो उतना ही हमें जनता के जीवन पर ध्यान देना चाहिए, इस साल अर्ततंत्र व सामाजिक विकास की आपात जरूरत से संबंधित मुददे व जनता के शारिरीक हितों से घनिष्ठ संबंध रखने वाले छोटे या बड़े मुददों को एकत्र कर हल किया जाएगा।
चीन जैसे एक अरब 30 करोड़ जन संख्या वाले देश के लिए, इन सवालों को हल करना इतना आसान नहीं है। इस पर चीन सरकार ने चिकित्सा व स्वास्थ्य में सुधार कर जनता के रोगों के उपचार की जरूरतों व दवाओं के दामों की महगांयी को कम करने के सवालों को हल करने का सर्वप्रथम मुददा बनाया है। इस समस्या को हल करने के लिए चीनी प्रधान मंत्री वन च्या पाओ ने कहा कि आगामी तीन सालों में चीन सरकार 8 खरब 50 अरब य्वान का पूंजी निवेश कर एक नए दौर की चिकित्सा व स्वास्थ्य व्यवस्था के सुधार को आगे बढ़ाएगी ताकि जनता को सुरक्षित, कारगर, सुविधाजनक व सस्ती चिकित्सा सेवा प्रदान की जा सके। उन्होने कहा बुनियादी चिकित्सा सुनिश्चता व्यवस्था के निर्माण को आगे बढ़ाया जाएगा। चीन के सभी शहरी व ग्रामीण इलाकों के नागरिकों को बुनियादी चिकित्सा बीमा में भर्ती कराया जाएगा और ग्रामीण में नवीन सहयोग चिकित्सा व्यवस्था के पैमाने को विस्तार किया जाएगा, ताकि तीन सालों में इस में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या 90 प्रतिशत से अधिक हो सके।
चिकित्सा सवाल की तरह सरकार ने जनता के खुशहाली जीवन से संबंधित ग्रामीण वृद्धा बीमा के सवाल पर भी भारी महत्व दिया है। वर्तमान चीन में 60 साल की उम्र के वृद्धा लोगों की संख्या 15 करोड़ 30 लाख हैं, इन में 70 प्रतिशत गांवो में हैं । वर्ष 1986 से ही चीन ने सेवानिवृत्ति प्राप्त ग्रामीण व शहरी लोगों की वृद्धा बीमा व्यवस्था की स्थापना की थी। इस पर बोलते हुए राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा के सदस्य, आनहुए प्रांत के श्रम व सामाजिक प्रतिभूति विभाग के निदेशक चू युंग ने कहा कि फिलहाल यह एक फौरी मामला बन गया है। उन्होने हमें बताया हमें जल्दी ही इस व्यवस्था को अधिक परिपूर्ण करना चाहिए, विशेष तौर से नवीन ग्रामीण इलाकों की वृद्धा बीमा व्यवस्था को, ताकि व्यापक किसान सामाजिक प्रतिभूति में भाग ले सकें, और बुढ़ापे में खुद जीवन का चारा ढूंढने या अपने संतान पर निर्भर रहने की दिशा से निकल कर सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था में शामिल होकर इत्मीनान से अपना बुढ़ापा जीवन बिता सके।
इस के अलावा, चीनी प्रधान मंत्री ने अपनी सरकारी कार्य रिपोर्ट में प्राथमिक रूप से इन मुददों पर बल दिया है, वे हैं — सरकार ने 43 अरब य्वान धनराशि का विशेष इन्तेजाम किया है, जिसे कठिन जीवन से जूझ रहे परिवारों को व्यवहारिक व सस्ते मकानों को किराये पर लेने के लिए पूंजी सहायता देने, रोजगार नीति को बखूबी अंजाम देने , उच्च शिक्षालयों के स्नातकों को रोजगार दिलाने में मदद देने, किसान मजदूरों के लिए विशाल रोजगार का रास्ता खोलने तथा ग्रामीण इलाकों में अनिवार्य शिक्षा के दौर में आर्थिक कठिनाई वाले परिवारों के बच्चो को बोर्डिंग के जीवन में सब्सीडी देने आदि के लिए खर्च किये जाएंगे, ताकि ग्रामीण इलाकों व अन्य बस्तियों के एक भी बच्चों को स्कूल से वंचित नहीं होने की पक्की सुनिश्चता प्रदान की जा सके।