2009-03-09 18:20:07

चीन में पोटा कानून का सवाल

आजमगढ उत्तर प्रदेश के मसऊद अहमद आज़मी का पश्न है कि क्या चीन में भारत के जैसा पोटा वाला कानून है?

भया,इस समय चीन में पोटा वाला कानून नहीं है,पर उसे बनाने का काम तेज गति से चल रहा है।चीनी जन विश्वविद्यालय के कानूनविद्या प्रतिष्ठान के उपमहानिदेशक,चीनी कानून सोसाइटी के अध्यक्ष प्रोफेसर चाओ पिन-जी के अनुसार चीन सरकार गहरे और चतुर्मुखी अनुसंधान के आधार पर पोटा विधेयक बनाने में सक्रिय है।

कुछ समय पहले चीन की राजधानी पेइचिंग में कानून संबंधी हुए एक राष्ट्रीय सम्मेलन में श्री चाओ ने कहा कि चीन हर सिकी रूप में आकंतवाद का डटकर विरोध करता है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर आतंकी अपरोधों पर प्रहार करने को कोशिश जारी रखेगा।उन के मुताबिक चीन ने एक ओर आतंकवाद के खिलाफ़ अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय संधियों में हिस्सा लिया है और दूसरी ओऱ अमरीका पर 11 सितम्बर 2001 को आतंकी हमला होने के तुरंत बाद अपने दीवानी कानून में संशोधन का प्राऱूप पारित किया,जिस में आंतकी अपरोधों और उन्हें अजाम देने वालों को मिलनी वाली सज़ाओं से जुड़ी धाराओं में अनेक पूरक विषय शामिल किए गए।सारी दुनिया में आतंकवाद के दिनोदिन ज्यादा प्रचंड रूप धारण करने को देखते हुए चीन सरकार पोटा जैसा आंतकविरोधी कानून बनाने में तेजी ला रही है।

सासाराम बिहार की सुश्री सदफ़ आरजू जानना चाहती है कि चीन में सब से बड़ा बाजार कौन सा है? कोआथ बिहार के सुनील केशरी और उन के साथियों ने इस से मिलता-जुलता सवाल पूछा है।

इस समय चीन में सब से बड़ा बाजार पेइचिंग का ज्वांग-शंग नामक एक बाजार है।वह वास्तव में दसेक मंजिली इमारत का एक डिपार्टमेंट स्टोर है,जो उत्तरी औऱ दक्षिणी दो भागों में बंटा है और जिस का कुल फर्शीक्षेत्रफल 1 लाख 3 हजार वर्गमीटर है।

इस बाजार के उत्तरी भाग और दक्षिणी भाग में कारोबार क्रमशः 2000 और 2006 में शुरू हुए।उत्तरी भाग में मशहूर देशी व विदेशी ब्रांड वाले तरह तरह के तिजारी माल बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को आकर्षित करते हैं,पर उन के दाम काफी उंचे है।जैसा दाम वैसा काम की कहावत यहीं शतप्रतिशत चरितार्थ है।धनी लोग यहां खूब पसन्त करते हैं ।दक्षिणी भाग में जो सामान बिकते हैं,उन के दाम अपेक्षाकृत कम है।आम लोग यहां आते रहते हैं।बड़ा होने के कारण इस बाजार में लोग जो चाहें,वह मिल सकता है।बहुत से विदेशियों ने कहा कि इस बाजार की अमरीका,ब्रिटेन,पेरिस और जापना आदि विकासशील देशों के बाजारों की तुलना की जा सकती है।

मऊ उत्तर प्रदेश के डा. एस ए फारूकी पूछते हैं कि चीन में कौन कौन से राष्ट्रीय पुरस्कार है?

दोस्तो,चीन में राष्ट्रीय पुरस्कारों की किस्में ज्यादा हैं।विभिन्न व्यवसायों में अपना अपना राष्ट्रीय पुरस्कार कायम है।उदाहरणार्थ विज्ञान-तकनीकी क्षेत्र में "सरकारी प्रगति व आविष्कार" पुरस्कार,साहित्य जगत में "लु-श्वुन" व "माओ-तुन" पुरस्कार,फिल्म जगत में "सौ पुष्प" एवं "स्वर्ण मुर्गी "पुरस्कार,टीवी जगत में "स्वर्ण बाज़" पुरस्कार,समाचार जगत में "थाओ-फ़न"," फ़ान छांग-च्यांग" और चीनी न्यूज पुरस्कार तथा चीन व विदेशों के बीच संबंधों को बढ़ाने की जगत में "मैत्री पुरस्कार " रखे गए हैं।इस के अलावा देश भर में चुने जाने वाले राष्ट्रीय स्तर के श्रेष्ठ श्रमिकों,न्यायाधीशों,प्रोक्यूरेटरों,पुलिसकर्मियों,नौजवानों और महिला कार्यकर्ताओं को भी राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश की रहमतुननिसा का सवाल है कि चीन अपनी विशाल ऊर्जा की जरूरतों को कैसे पूरा कर रहा है?

इस समय संसार में अमरीका के बाद चीन ही एक ऐसा देश है,जिस में तेजी से हो रहे आर्थिक विकास के कारण ऊर्जा की आवश्यकता सर्वाधिक है।

चीन ने सब से पहले 1993 में निश्चित पैमाने पर विदेशों से तेल का आयात शुरू किया।चीन में कोयले का अपार भंडार है।1993 तक उस में जितने भी पावर प्लांट स्थापित किए गए,वे सभी कोयले पर आधारित थे।परंतु शीघ्र ही चीन सरकार ने यह महसूस किया कि कोयले पर आधारित इन बिजली घरों से पर्यावरण का भारी नुकसान हो रहा है।थुंगछ्वान चीन का एक प्रसिद्ध औद्योगिक शहर है,जहां कोयले पर आधारित कई बिजलीघर थे।परंतु पर्यावरण को पहुंच रहे भारी नुकसान को देखते हुए चीन सरकार ने 90 के दशक में कोयले के बदले गैस पर आधारित कई पावर प्लांट बनाए।लेकिन सरकार में बैठे विशेषज्ञों ने यह अनुभव कर लिया कि तेल या गैस पर आधारिक पावर प्लांट से सरकार का खर्च बहुत बढ़ जाएगा और देश की अर्थव्यवस्था को गति नहीं मिल सकेगी।ऐसे में चीन सरकार ने कोयले के साथ तेल,प्राकृतिक गैस,पनबिजली और परमाणु बिजली से भी अपनी तेजी से बढ़ती हुई उर्जा-आवश्यकताओं को पूरा करने का फैसला लिया।आज चीन में 9 रिएक्टर दिन-रात परमाणु बिजली का उत्पादन कर रहे हैं।अगले 14 वर्षों में 30 परमाणु रिएक्टर और बैठाए जाएंगे,जो व्यापक पैमाने पर बिजली का उत्पादन करेंगे।चीन की सब से बड़ी दिक्कत यह है कि यूरेनियम जो परमाणु बिजली के उत्पादन का मुख्य कच्चा माल है,उस का दाम विश्व मंडी में सन् 2002 के बाद चार गुना बढ गया है।लेकिन किसी भी तरह से हो,चीन सरकार परमाणु बिजली के लिए सकारात्मक कदम उठाएगी।अब चीन के पश्चिमी भाग से पूर्वी भाग के औद्योगिक शहरों तक गैस पाइपलाइन बिछाने का कार्य जोरों पर है।अनुमान के अनुसार इस निर्माण-कार्य के अंजाम तक पहुचने के बाद बहुत कदर ऊर्जा की आपूर्ति हो सकेगी।